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समाज

कड़ाके की सर्दी और किसानों की भूख हड़ताल

आमिर अंसारी
२१ दिसम्बर २०२०

किसान आंदोलन का आज 26वां दिन है. सरकार और किसान संगठन अभी तक किसी समझौते तक नहीं पहुंच पाए हैं. सरकार ने बातचीत का न्योता दिया है लेकिन किसान संगठनो का कहना है कि वे इस पर दो-तीन दिनों में फैसला करेंगे.

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Indien Neu Delhi Farmer Proteste
तस्वीर: Seerat Chabba/DW

दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों के किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी सरकार से कई बार बातचीत भी हो चुकी है लेकिन अब तक कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है. किसानों ने तीन नए कृषि कानून वापस लिए जाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना और तेज कर दिया है. सोमवार से किसान भूख हड़ताल करेंगे और हरियाणा में 25 से 27 दिसंबर तक टोल नाके फ्री कर दिए जाएंगे. रविवार को केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को बातचीत का न्योता भेजा और तारीख तय करने को कहा, जिसपर संगठन दो से तीन दिन में फैसला करेंगे.

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान संगठनों को पत्र लिखा है जिसमें उन्हें एक बार फिर बातचीत का न्योता दिया है. 5 पन्नों के पत्र में किसान नेताओं से बातचीत की तारीख सुझाने का भी आग्रह किया गया है. पत्र में ये बात दोहराई गई है कि सरकार खुले दिल से किसानों से बात करना चाहती है.

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से योगेंद्र यादव ने कहा है कि किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं. जहां भी धरना चल रहा है वहां सोमवार से 24-24 घंटे की पारी में किसान भूख हड़ताल करेंगे. दिल्ली के धरनास्थलों पर 11-11 लोग शामिल होंगे. किसान संगठनों ने 23 दिसंबर को किसान दिवस के मौके पर देशवासियों से एक समय का भोजन अन्नदाताओं के सम्मान में त्याग करने की अपील की है. 

कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एक संगठन पर विदेशी फंडिंग लेने का आरोप लगा है. इस संगठन का नाम भारतीय किसान यूनियन (उग्रहन) है. संगठन पर कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना विदेश से फंड लेने का आरोप है. बैंक ने संगठन से जल्द से जल्द जरूरी रजिस्ट्रेशन पूरा करने को कहा है. संगठन का कहना है कि जो भी प्रवासी उन्हें फंड भेज रहे हैं वे पंजाब के हैं और विदेशों में रह रहे हैं.

'मन की बात' के दौरान थाली बजाएंगे किसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात जो कि आगामी 27 दिसंबर को होनी है उस दौरान किसान थाली पीटेंगे. मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को रेडियो पर मन की बात करते हैं. किसानों का कहना है कि वे उनकी मन की बात सुन-सुनकर थक गए हैं और वो हमारी मन की बात कब सुनेंगे. जितनी देर मोदी रेडियो पर मन की बात करेंगे उतनी देर आंदोलन कर रहे किसान थाली पीटते रहेंगे.

दूसरी ओर रविवार को मोदी ने दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में मत्था टेका और गुरु तेग बहादुर साहिब को श्रद्धांजलि अर्पित की. गौरतलब है कि बड़ी संख्या में पंजाब से आए सिख किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और मोदी का गुरुद्वारा जाना उन्हें एक संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है.

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