1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कैसी है यूरोपीय संघ की नई कृषि नीति

२१ अक्टूबर २०२०

हमारी खाने की थाली तक पहुंचने वाली सब्जियां और फसलें उगाने वाले किसानों का जीवन दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में कठिन है. उनकी आय बढ़ाने और पर्यावरण-सम्मत खेती को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय संघ ने बनाई नई साझा कृषि नीति.

https://p.dw.com/p/3kEjC
प्रतीकात्मक फोटो: अपनी गेंहूं की फसल से खुश जर्मनी का एक किसान.तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/McPhoto

यूरोपीय देशों के कृषि मंत्रियों की बैठक में पूरे संघ पर लागू होने वाले कृषि सुधारों पर सहमति बन गई. बड़े स्तर पर लाए जाने वाले बदलावों में सबसे ज्यादा ध्यान इसे पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिहाज से मुफीद बनाने पर रहा. नई कृषि नीति को संघ के सभी 27 देशों ने स्वीकार कर लिया है. अब अगला कदम ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संसद में इसे पास करना होगा. इसी हफ्ते संसद में कृषि सुधारों से जुड़े प्रस्तावों पर मतदान होना है.

ईयू के सभी सदस्य देशों और यूरोपीय संसद को अब से लेकर अगले साल के बीच इस नीति के अंतर्गत आने वाले सभी नियम तय करने होंगे, जिसके बाद जनवरी 2023 से नई नीति अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगी. 2021 से शुरु कर पहले दो सालों तक इसका पायलट फेज चलेगा. समझौते के बाद जर्मनी की कृषि मंत्री यूलिया क्लोएक्नर ने पत्रकारों से बातचीत में नई कृषि नीति को पहले से ज्यादा "ग्रीन, फेयर" और सरल बताया.

कैसे दिया जाएगा खेती को 'ग्रीन' बनाने पर जोर

यूरोपीय संघ ने नई कृषि नीति के तहत लाए जाने सुधारों के मद में अगले सात सालों में 387 अरब यूरो (करीब 459 अरब डॉलर) खर्च करने का बजट तय किया है. साझा कृषि नीति पर खर्च होने वाला यह ईयू के कुल बजट का सबसे बड़ा हिस्सा होगा. नई नीति में यह तय किया गया है कि सभी किसानों पर इसका संस्थागत दबाव होना चाहिए कि अगर वे सरकारों से वित्तीय मदद लेना चाहते हैं तो उन्हें पर्यावरण के लिहाज से और भी ज्यादा सख्त नियमों का पालन करना होगा.   

छोटे किसानों के लिए प्रशासनिक तामझाम थोड़े कम रखे जाएंगे, जिससे वे प्रक्रियाओं का "कम बोझ उठाएं और पर्यावरण व जलवायु के लक्ष्यों में ज्यादा योगदान दे सकें." भविष्य में आने वाली सभी नई 'ईको-स्कीमों' में किसानों को सरकार से किसी भी तरह की प्रत्यक्ष प्रोत्साहन राशि हासिल करने के लिए पर्यावरण से जुड़े कड़े नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.

यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई किसान जलवायु और पर्यावरण से जुड़ी न्यूनतम शर्तों से भी आगे बढ़कर खेती करता है तो उसे उसी अनुपात में अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी. इसके लिए ईयू के सभी सदस्य देशों को संघ द्वारा दी जाने वाली राशि का कम से कम 20 फीसदी रिजर्व रखना होगा. इस राशि को लेकर संघ के कई सदस्य देशों के बीच पहले असहमति थी. खासकर पूर्वी यूरोप के कई देशों को डर था कि अगर उनके किसान बढ़ चढ़ कर ईकोफ्रेंडली खेती करने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो उन्हें यूरोपीय संघ से मुहैया कराई जाने वाली पूरी प्रत्यक्ष प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिल पाएगी. यूरोपीय संसद में कृषि प्रमुख यानुस वोइचिकोव्स्की का कहना है कि इन चिंताओं पर चर्चा करने और उन्हें "अच्छे से निपटाने" पर आगे बातचीत होगी.

क्यों पड़ी नई साझा कृषि नीति की जरूरत   

जलवायु परिवर्तन की रफ्तार, जैवविविधता में ह्रास, मिट्टी का क्षरण और जल प्रदूषण जैसी समस्याएं दिन पर दिन गंभीर होती जा रही हैं. यही कारण है कि कृषि नीति में बड़े बदलावों की जरूरत महसूस की जा रही थी. यूरोपीय परिषद ने सन 2018 में कृषि सुधारों की एक विस्तृत रूपरेखा पेश की थी, जिसे 2021 से 2027 के बीच लागू किए जाने का प्रस्ताव था. अब इसमें पहले दो सालों को पायलट फेज मानने और फिर 2023 से इसे अनिवार्य बनाने पर सहमति बनी है.

इसके अलावा, खाने पीने की चीजों का सस्ता होना भले ही अब तक खरीदारों को नहीं खलता था लेकिन इससे यूरोपीय किसानों की आय पर बुरा असर पड़ता आया है और वे अपनी फसल और उपज की क्वालिटी को और सुधारने की हालत में भी नहीं रहते. यूरोप में सरकारी कृषि सब्सिडी के वितरण को लेकर यह समस्या बताई जाती है कि इसका बड़ा हिस्सा केवल बड़े किसानों तक ही पहुंचता है और छोटे किसानों को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिलता.

इसी साल मई में यूरोपीय परिषद ने "फार्म टू फोर्क” (F2F) रणनीति पेश की थी जिसका मकसद ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना और खेती में कीटनाशकों और रासायनिक उत्पादों के इस्तेमाल को कम करना था. उसका लक्ष्य 2030 तक कीटनाशकों के इस्तेमाल में 50 फीसदी और उर्वरकों के इस्तेमाल में 20 फीसदी की कमी लाना है. इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तमाम विस्तृत नियम भी नई साझा कृषि नीति का हिस्सा होंगे.

________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_