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नग्नता और महिलाओं के डर हैं भारत में फेसबुक की चुनौतियां

२२ जुलाई २०२२

सबसे बड़े बाजार भारत में फेसबुक की गति धीमी पड़ रही है. एक शोध में पता चला कि उसकी चुनौतियां क्या क्या हैं.

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अमेरिका में एक कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फेसबुक प्रमुख मार्क जकरबर्ग
अमेरिका में एक कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फेसबुक प्रमुख मार्क जकरबर्गतस्वीर: Jeff Chiu/AP Photo/picture alliance

2 फरवरी को जब फेसबुक ने पहली बार रोजाना आने वाले लोगों की संख्या में कमी दर्ज की तो कंपनी के वित्तीय प्रमुख ने कहा कि भारत में मोबाइल डाटा बहुत महंगा है इसलिए सबसे बड़े बाजार में उसकी गति धीमी पड़ रही है.

उसी दिन अमेरिका के एक टेक ग्रुप ने फेसबुक के भारत में कारोबार पर एक शोध रिपोर्ट कंपनी के कर्मचारियों के सामने पेश की थी. 2019 से 2021 के बीच दो साल तक चले इस शोध में फेसबुक के सामने चुनौतियों और समस्याओं का अध्ययन किया गया था.

इस रिपोर्ट के मुताबिक बहुत सारी महिलाओं ने फेसबुक को नकार दिया है क्योंकि यहां पुरुषों का वर्चस्व है और महिलाएं अपनी सुरक्षा और निजता को लेकर चिंतित हैं. मेटा रिसर्च कहती है, "कॉन्टेंट की सुरक्षा और अपने अकाउंट पर अनचाहे लोगों की भीड़ महिलाओं के लिए चिंता का विषय है. महिलाओं को पीछे छोड़कर मेटा भारत में सफल नहीं हो सकता."

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इस रिपोर्ट में जो अन्य परेशानी उजागर की गई है, वह है नग्नता भरी सामग्री, ऐप के डिजाइन की जटिलता और साक्षरता. इसके अलावा वीडियो सामग्री चाहने वाले ग्राहकों के बीच फेसबुक को लेकर उत्साह की कमी भी एक बड़ी चुनौती बताई गई है. यह शोध दसियों हजार लोगों के बीच हुए सर्वे व इंटरनेट से जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई थी.

1.4 अरब लोगों के देश भारत में फेसबुक की बढ़त पिछले साल ही धीमी पड़नी शुरू हो गई थी जबकि उसके अन्य ऐप जैसे कि वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम लगातार बढ़ रहे थे. रिपोर्ट ने बताया, "इंटरनेट और अन्य ऐप के मुकाबले फेसबुक का विकास धीमा रहा है."

इस शोध के बारे में जब मेटा से संपर्क किया गया तो एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी अपने उत्पादों को समझने के लिए लगातार शोध करती है ताकि बेहतर बनने के उपाय पहचाने जा सकें. उन्होंने कहा, "लेकिन सात महीने पुरानी रिसर्च को भारत में हमारे कारोबार का मानक मानना भ्रामक होगा."

फिर भी, 2 फरवरी को जब मेटा की चीफ फाइनैंशल ऑफिसर डेव वेनर ने 2021 की आखिरी तिमाही के नतीजों का विश्लेषण करने के लिए विश्लेषकों से बात की तो शोध में उठाए गए मुद्दों पर बात नहीं की. वेनर ने कहा कि एशिया-प्रशांत और कुछ अन्य क्षेत्रों में फेसबुक की वृद्धि को मुकाबले में उतरीं अन्य कंपनियों ने प्रभावित किया है. तभी उन्होंने भारत के बारे में खासतौर पर कहा कि वहां मोबाइल डाटा की ऊंची कीमतें एक बाधा है.

जब कंपनी के प्रवक्ता से पूछा गया कि वेनर ने शोध रिपोर्ट में उठाई गई चिंताओं पर बात क्यों नहीं की तो प्रवक्ता ने अप्रैल के आंकड़ों की ओर इशारा किया जबकि इस साल की पहली तिमाही में फेसबुक के भारत, बांग्लादेश और वियतनाम के ग्राहकों में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई.

भारत फेसबुक के लिए खासी अहमियत रखता है. कंपनी की कीमत इस साल लगभग आधी गिर चुकी है. टेक-कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट है और निवेशक की निगाहें पैनी हैं. खासकर विकासशील देशों में फेसबुक की वृद्धि को लेकर वे सशंकित हैं. शोध रिपोर्ट में कहा गया, "भारत में फेसबुक के ग्राहक अन्य किसी भी देश से ज्यादा हैं. कंपनी की टीमों को भारत में विकास और रणनीतिक रुख पर गहनता से विचार करना चाहिए."

लैंगिक असमानता की चिंता

शोध में यह बात साफ तौर पर कही गई है कि लैंगिक असमानता फेसबुक के लिए भारत में एक बड़ी चुनौती है. यह एक ऐसी समस्या है जिसे हल करने की कोशिश फेसबुक कई साल से कर रही है लेकिन उसे ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई. पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मासिक सक्रिय ग्राहकों में पुरुषों की संख्या 75 प्रतिशत है. जबकि 2020 में इंटरनेट पर सक्रिय कुल लोगों में पुरुषों की संख्या इससे कहीं कम, 62 प्रतिशत थी.

अब ट्रोलों की खैर नहीं

शोध कहता है, "वैसे तो भारत में पूरे इंटरनेट पर ही लैंगिक असमानता है लेकिन फेसबुक के ग्राहकों के बीच तो यह और भी ज्यादा है." रिपोर्ट में इसकी वजह ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंताएं और सामाजिक दबाव बताई गई है. शोध ने पाया कि फेसबुक इस्तेमाल करने वालीं 79 प्रतिशत महिलाओं ने "अपनी फोटो या अन्य सामग्री के गलत इस्तेमाल की चिंता" जाहिर की थी. इसके अलावा 20-30 प्रतिशत ने कहा कि सर्वे के सात दिन के भीतर उन्होंने फेसबुक पर नग्नता देखी.

फेसबुक पर नग्नता के मामले में भारत अन्य देशों से काफी ऊपर रहा है. अमेरिका और ब्राजील में दस प्रतिशत लोगों के सामने ही ऐसी कोई पोस्ट आई जिसमें नग्नता थी. एक अन्य सर्वे के मुताबिक इंडोनेशिया में ऐसे लोगों की संख्या 20 प्रतिशत थी.

पारिवारिक दबाव और नकारत्मकता

शोध रिपोर्ट में दो अन्य बातों को भी भारत के संदर्भ में उजागर किया गया. खासतौर पर महिलाओं के लिए फेसबुक इस्तेमाल ना करने का एक बड़ा कारण रहा कि "परिवार इजाजत नहीं देता." इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में "अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा नकारात्मकता पसरी पड़ी है."

मेटा के प्रवक्ता ने कहा कि इंटरनेट पर लैंगिक असमानता तो पूरी इंडस्ट्री की समस्या है ना कि सिर्फ उनके प्लैटफॉर्म की. उन्होंने कहा कि 2016 के बाद से मेटा ने सुरक्षा को लेकर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या चार गुना बढ़ाकर 40 हजार कर ली है. उन्होंने बताया कि इस साल जनवरी और अप्रैल के बीच 97 प्रतिशत ऐसी सेक्स और नग्नता संबंधी सामग्री किसी के शिकायत करने से पहले ही हटा दी गई थी.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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