यूनिसेफ: जलवायु परिवर्तन से कोई बच्चा नहीं बच सकता
२३ अगस्त २०२१यूएन एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग एक अरब बच्चों का स्वास्थ्य और जीवन जलवायु परिवर्तन से गंभीर रूप से खतरे में है और उनके जीवन को समाप्त कर सकता है. ये बच्चे खराब स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा से वंचित होने, जीवन की असुरक्षा और असामान्य मौसम की स्थिति का सामना कर रहे हैं.
बच्चों के लिए खतरा
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक विशेष रिपोर्ट में कहा कि पहली बार जलवायु परिवर्तन से बच्चों को होने वाले खतरे स्पष्ट हो गए हैं और विशेषज्ञ उनकी गंभीरता से अवगत हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों में बच्चे बदलते मौसम के कारण जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं और इन बीमारियों के कारण उनकी जान भी जा सकती है, जो अफसोस की बात होगी.
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को "बेहद चौंकाने वाला" बताया. फोर के मुताबिक जलवायु और जलवायु परिवर्तन एक झटके की तरह है और इसने बच्चों के अधिकारों के दायरे को सीमित कर दिया है. फोर ने पर्यावरणीय संकट को टालने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई पर जोर दिया है. फोर का यह भी कहना है कि परिवर्तनों के साथ कई देशों में बच्चे धीरे-धीरे स्वच्छ हवा और स्वच्छ पेयजल तक पहुंच खो रहे हैं.
यूनिसेफ की प्रमुख ने यह भी कहा कि बच्चों के मूल अधिकारों के दायरे को कम करने से उनका शोषण बढ़ेगा और उन्हें शिक्षा, आवास और बचपन की स्वतंत्रता से वंचित किया जाएगा. उन्होंने साफ किया कि स्थिति एक भयानक मोड़ ले रही है और अंत में दुनिया का हर बच्चा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होगा.
उच्च जोखिम वाले देश
यूनिसेफ की विशेष रिपोर्ट का शीर्षक "पर्यावरण संकट बाल अधिकारों के लिए एक संकट है." रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 2.2 अरब बच्चे 33 देशों में रहते हैं. ये सभी देश गंभीर खतरे के कगार पर हैं. इनमें कई अफ्रीकी राष्ट्र (मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, नाइजीरिया और गिनी) के साथ-साथ एशियाई देश भारत और फिलीपींस शामिल हैं. इन देशों को कई नकारात्मक पहलुओं और जलवायु परिवर्तन की खतरनाक तीव्रता का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इनके कारण मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति में कमी हो गई है. इन बुनियादी जरूरतों में स्वच्छ पानी, सीवरेज, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल हैं.
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान चलाने वाले युवा कार्यकर्ता जलवायु परिवर्तन पर पर्याप्त प्रगति करने में विफल रहने के लिए विकसित और विकासशील देशों में नेताओं की आलोचना करना जारी रखे हुए हैं. इनमें स्वीडन की किशोरी ग्रेटा थुनबर्ग भी शामिल हैं. ग्रेटा ने ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में भाग लेने वाले नेताओं से कार्बन डाइऑक्साइड समेत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करने का आह्वान किया है.
एए/वीके (रॉयटर्स, डीपीए)