1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सोशल मीडिया पर बच्चों को क्या-क्या परोसा जा रहा है?

१९ फ़रवरी २०२०

संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर बच्चों और किशोरों पर तंबाकू, शराब और हानिकारक उत्पादों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों की बमबारी हो रही. रिपोर्ट में सरकारों से नियम बनाने का आग्रह किया गया है.

https://p.dw.com/p/3XzGm
WhatsApp - Instant-Messaging-Dienst
तस्वीर: picture-alliance/N. Ansell

रिपोर्ट के मुख्य लेखक एंथनी कॉस्टेलो के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक गेम्स से जुटाए गए डाटा को विज्ञापनदाता वैश्विक तकनीकी दिग्गज कंपनियों को बेचते हैं. लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रोफेसर कॉस्टेलो कहते हैं, "बच्चों के पास अधिकार है कि हर रोज उनके फोन पर विज्ञापनों की बमबारी ना की जाए या फिर उनका डाटा ना चुरा लिया जाए."

कॉस्टेलो का कहना है कि बच्चों के विकास के लिए ऐसे विज्ञापन हानिकारक हैं. वह कहते हैं, "हानिकारक विज्ञापन बच्चों को निशाना बना रहे हैं, यह खासतौर पर उनके विकास और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा. जैसे कि चीनी का सेवन, फास्ट फूड, तंबाकू, शराब और जुआ को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन."

इस रिपोर्ट का नाम "ए फ्यूचर फॉर द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन?" रखा गया है. रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन का भी जिक्र है. इसमें किशोरों को जलवायु परिवर्तन से अधिक खतरे की बात कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कारोबार के लिए नियम बनाने की जरूरत है जिससे बच्चों के व्यक्तिगत डाटा के अनुचित इस्तेमाल से बचाया जाए.

कुछ देशों में बच्चे एक साल में करीब 30 हजार टीवी विज्ञापन देख जाते हैं, जबकि अमेरिका में ई-सिगरेट के विज्ञापन जोर शोर से चलते हैं. कॉस्टेलो कहते हैं, "लेकिन मुझे सबसे बड़ा डर सोशल मीडिया विज्ञापन और एल्गोरिथम टार्गेटिंग से है. विज्ञापन बनाने वाली कंपनी कई गेम्स बनाती है जो बाद में बच्चों का डाटा बिना उनके अनुमति के बड़ी कंपनियों को बेच देती है."

जर्मनी के म्यूनिख शहर में सुरक्षा सम्मेलन में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा था कि दूरसंचार और मीडिया उद्योगों के लिए मौजूदा नियमों के बीच कहीं न कहीं एक प्रणाली के साथ ऑनलाइन सामग्री के लिए नियम बनाए जाने चाहिए.

इस रिपोर्ट के मुताबिक जंक फूड की कमर्शियल मार्केटिंग और चीनी वाले पेय पदार्थ के विज्ञापन के कारण बच्चे उन्हें खरीद रहे हैं और यह मोटापे से जुड़ा है. डब्ल्यूएचओ ने 2016 में कहा था कि चीनी युक्त पेय पदार्थ पर सरकार को टैक्स लगाकर मोटापे और डायबिटीज जैसी बीमारी से निपटना चाहिए.

एए/एके (रॉयटर्स) 

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें