आम चुनाव के दौरान महिला नेताओं ने हर दिन गालियां खाईं
२३ जनवरी २०२०मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के मुताबिक पिछले साल भारत में आम चुनाव के दौरान करीब सौ महिला राजनेताओं को निशाना बनाते हुए सोशल मीडिया पर गालियां दी गईं. इनमें हत्या और बलात्कार जैसी धमकियां भी शामिल थीं. उन्होंने मार्च से मई के बीच ट्विटर पर नफरत भरे लगभग दस लाख संदेश मिले. भारत के आम चुनावों में कुल 724 महिला उम्मीदवार थीं.
मानवाधिकार संस्था ने दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती ऑनलाइन हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की है. डिजिटल अधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि लिंग आधारित ऑनलाइन हिंसा बढ़ रही है, जिसका मकसद भय दिखाकर महिलाओं को सार्वजनिक पदों पर आने से रोकना है.
इस रिपोर्ट में बीजेपी की महिला नेता शाजिया इल्मी कहती हैं, "लोगों को समझना चाहिए कि राजनीति में महिलाएं क्या-क्या झेलती हैं. उन्हें क्या करना पड़ता है और यह उनके लिए कितना असमान होता है." एमनेस्टी के प्रवक्ता के मुताबिक महिला नेताओं के खिलाफ ऑनलाइन गाली गलौज के मामले बिगड़े या सुधरे हैं, यह स्पष्ट नहीं है. देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इस तरह का शोध किया गया है. लेकिन वर्ल्ड वाइड वेब फाउंडेशन के प्रमुख एड्रियन लवेट के मुताबिक विकसित और विकासशील देशों में लिंग आधारित ऑनलाइन हिंसा विश्व स्तर पर बढ़ रही है.
दावोस में विश्व आर्थिक फोरम में हिस्सा लेने पहुंचे लवेट ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "लिंग आधारित हिंसा बढ़ रही है. यह किसी एक खास देश या क्षेत्र में नहीं हो रही है. यह विकासशील देशों की वास्तविकता है और उत्तरी अमेरिका, यूरोप और दुनिया भर में एक बढ़ती चुनौती है. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी प्रभावित हो रही है, खासतौर पर युवा महिलाएं ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण सार्वजनिक जीवन से दूरी बना रही हैं."
एमनेस्टी ने भारत पर अपनी रिपोर्ट में नेताओं के नाम नहीं जाहिर किए हैं. संसद के निचले सदन में 14 फीसदी सीटें महिलाओं के पास हैं जबकि ऊपरी सदन में 11 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं. एमनेस्टी ने इसी तरह का शोध 2018 में ब्रिटेन और अमेरिका में किया था और 323 महिलाओं नेताओं पर शोध करने के बाद पाया गया कि उन्हें ठेस और अपमानित करने के इरादे से 7 फीसदी ट्वीट्स में उनका जिक्र था. ब्रिटेन में कई महिला नेताओं ने ऑनलाइन गाली गलौच से परेशान होकर पिछले साल आम चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया था.
एमनेस्टी ने ट्विटर से कहा है कि वह ऑनलाइन अभद्रता पर कड़े कदम उठाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए और मजबूत नीति बनानी होगी. ट्विटर का कहना है कि उसे अपने मंच पर अपशब्द और उत्पीड़न मंजूर नहीं है. साथ ही उसने कहा कि तकनीक की मदद से 50 फीसदी ऐसी सामग्री की पहचान की गई है. ट्विटर के मुताबिक उसे पता है कि अभद्रता के कारण लोग अपनी बात स्वतंत्रता के साथ नहीं कह पाते.
एए/एके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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