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ऑस्ट्रेलिया के बजट में भारतीयों के लिए कई एलान

विवेक कुमार, सिडनी से
१६ मई २०२४

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने सालाना बजट में भारतीयों को कई सौगातें दी हैं. 2022 में हुए समझौते के तहत हॉलीडे वीजा भी शुरू किया जा रहा है.

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एंथनी अल्बानीजी और नरेंद्र मोदी
मई 2023 में नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया थातस्वीर: David Gray/AFP/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया ने भारत के लोगों के लिए एक खास वीजा योजना शुरू की है. इसके तहत 3,000 भारतीय ग्रैजुएट और करियर की शुरुआत कर रहे युवाओं को देश में रहने और काम करने के लिए वीजा दिया जाएगा. यह उन कई कदमों में से एक है, जिनका एलान इस हफ्ते आए संघीय बजट में किया गया.

1 नवंबर 2024 से ऑस्ट्रेलिया एक नई योजना शुरू कर रहा है जिसे मोबिलिटी अरेंजमेंट फॉर टेलेंटेड अर्ली-प्रोफेशनल्स (MATES) नाम दिया गया है. मेट्स ऑस्ट्रेलिया में दोस्त के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. इस योजना के तहत 3,000 भारतीय युवाओं को ऑस्ट्रेलिया में रहने और काम करने के लिए दो साल का वीजा दिया जाएगा.

18 से 30 वर्ष तक के युवा इस वीजा के योग्य होंगे और वे खास क्षेत्रों में पढ़ाई, कौशल विकास और पेशेवर अनुभव बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया आ सकेंगे. इसके लिए फीस 390 डॉलर यानी लगभग 22,000 रुपये रखी गई है, जिसमें से 25 डॉलर यानी लगभग 1,500 रुपये प्री-एप्लिकेशन फीस होगी.

एकता समझौते ने खोली राह

इस योजना का एलान फरवरी में किया गया था, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच 2022 में हुए व्यापार समझौते में सहमति बनी थी. तब देश के इमिग्रेशन मंत्री एंड्रयू जाइल्स ने कहा था, "भारत और ऑस्ट्रेलिया बहुत अच्छे मेट्स (दोस्त) हैं और स्किल्स, प्रतिभाओं और आगे बढ़ने के मौकों के लेन-देन के जरिए यह पायलट योजना हमें और करीब लेकर आएगी.”

अप्रैल 2022 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एकता समझौता (IA ECTA) हुआ था. इस समझौते के बाद भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि आठ साल में मोदी सरकार का यह पहला इतना बड़ा समझौता है जिससे पांच साल में भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार 27.5 अरब डॉलर यानी लगभग 20 खरब रुपये के मौजूदा स्तर से बढ़कर 45-50 अरब डॉलर होने की उम्मीद है.

करीब दस साल से दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर बातचीत चल रही थी. इसके तहत व्यापार की अन्य शर्तों के अलावा भारत ने अपने युवाओं को ऑस्ट्रेलिया में रहने और काम करने के लिए वीजा देने की भी मांग की थी, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने मान लिया था.

दूसरी मांग भी मानी, लेकिन...

भारत-ऑस्ट्रेलिया एकता समझौते में भारत ने एक और अपील की थी कि उसके लोगों को भी यूरोपीय मुल्कों की तरह बैकपैकर्स वीजा दिया जाए. ऑस्ट्रेलिया का बैकपैकर्स वीजा, जिसे आधिकारिक तौर पर सबक्लास 417 और सबक्लास 462 वीजा कहा जाता है, अब तक भारतीयों को नहीं मिलता था. यह वीजा 18 से 30 वर्ष तक के युवाओं को अस्थायी रूप से ऑस्ट्रेलिया में रहने और काम करने और पढ़ने का अधिकार देता है.

1975 में शुरू किया गया यह वीजा स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दुनिया घूमना चाहने वाले युवाओं को ऑस्ट्रेलिया में घूमने के साथ-साथ छोटे-मोटे काम करने के लिए आकर्षित करने के मकसद से शुरू किया गया था.

हमेशा कामगारों की कमी से जूझने वाले ऑस्ट्रेलिया के लिए यह दोनों हाथों में लड्डू जैसी योजना साबित हुई. एक तो उसे वीजा फीस और पर्यटकों के रूप में धन मिला और खेतों व अन्य मौसमी उद्योगों में काम करने के लिए कर्मचारी भी मिले. भारत भी इस योजना में हिस्सा चाहता है.

एकता समझौते में ऑस्ट्रेलिया 1,000 भारतीयों को बैकपैकर्स वीजा देने पर सहमत हुआ था, जिसका एलान उसने बजट में कर दिया है. अभी तक बैकपैकर्स वीजा सिर्फ 19 देशों के लोगों को मिल सकता था. ये देश हैं बेल्जियम, कनाडा, साइप्रस, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांग कांग, आयरलैंड, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, माल्टा, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, स्वीडन, ताइवान और युनाइटेड किंग्डम.

अब इसमें तीन देश और जोड़े गए हैं. भारत के अलावा चीन और वियतनाम के लोगों को भी बैकपैकर्स वीजा दिया जाएगा. लेकिन यह वीजा हरेक को नहीं मिलेगा बल्कि लॉटरी के आधार पर दिया जाएगा.

भारत के लिए कई एलान

ऑस्ट्रेलिया के बजट में भारत के लिए कई और सुविधाओं का भी एलान किया गया है. जैसे कि भारतीय- व्यापारियों के लिए वीजा की अधिकतम अवधि तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है. बजट भाषण में वित्त मंत्री जिम चामर्स ने कहा कि अवधि बढ़ाने से व्यापारियों के लिए बातचीत और सहयोग के लिए अधिक समय मिल पाएगा.

ऑस्ट्रेलिया हर साल एक तय संख्या में लोगों को अपने यहां रहने के लिए स्थायी वीजा देता है. इस साल यह संख्या एक लाख 85 हजार तय की गई है, जिसमें से एक लाख 32 हजार वीजा कुशल कामगारों को दिए जाएंगे. इसका भी भारतीयों को काफी लाभ हो सकता है क्योंकि हर साल यह वीजा पाने वालों में बड़ी संख्या भारतीयों की होती है.

ऑस्ट्रेलिया में रहने और बसने वाले विदेशियों में भारतीयों की तादाद पिछले कुछ साल में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. पिछले जून तक की गिनती बताती है कि देश में आठ लाख से ज्यादा भारतीय रह रहे हैं. 2022 से 2023 के बीच ही यह संख्या एक लाख से ज्यादा बढ़ गई थी. इंग्लैंड के बाद विदेशी मूल के लोगों का यह दूसरा सबसे बड़ा समूह है.

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