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कानून और न्याय

बैंकों के साथ धोखाधड़ी का एक और मामला

चारु कार्तिकेय
२७ नवम्बर २०२०

सीबीआई ने चावल निर्यात करने वाली दिल्ली की एक कंपनी के खिलाफ 1,200 करोड़ के घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई को शक है कि कंपनी के निदेशक भारत छोड़ कर विदेश जा चुके हैं.

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Logo CBI Central Bureau of Investigation, India
तस्वीर: Central Bureau of Investigation

एफआईआर अमीरा फूड्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रोमोटर करण चानना और निदेशकों के खिलाफ दायर की गई है. आरोप है कि कंपनी ने 12 बैंकों से 1,200 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा का कर्ज लिया और उसे चुकाया नहीं. मीडिया में आई खबरों के अनुसार अमीरा की स्थापना 1993 में हुई थी और वो तबसे उच्च कोटि के बासमती चावल, दूसरे किस्म के चावल और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात का व्यापार कर रही थी.

2009 में उसने 12 बैंकों के एक समूह से ऋण लेना शुरू किया. इनमें कनारा बैंक, पीएनबी, स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीबाई बैंक के अलावा और भी बैंक शामिल हैं. कुछ सालों पहले बैंकों के फॉरेंसिक ऑडिट में पता चला कि कंपनी ने कुछ शेल कंपनियों के नाम पर करीब 734 करोड़ रुपयों की फर्जी लेनदेन की है. 2015 से 2018 के बीच कंपनी द्वारा विदेशी मुद्रा में भी फर्जी लेनदेन करने की शिकायत की गई है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार फॉरेंसिक ऑडिट में पाया गया था कि अमीरा इंडिया अमीरा मॉरिशस की नियंत्रित कंपनी है और अमीरा मॉरिशस का नियंत्रण है अमीरा नेचर फूड्स के पास, जो ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में पंजीकृत है. कंपनी का मुख्यालय दुबई में है.

Kombobild Nirav Modi, Vijay Mallya und Lalit Modi
पिछले कुछ सालों में ललित मोदी, विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे डिफॉल्टरों के भारत छोड़ कर विदेश चले जाने से ना तो उन्हें धोखाधड़ी की सजा हो पा रही है और ना बैंकों के नुक्सान की भरपाई.

कंपनी के मुख्य प्रोमोटर करण चानना भारत से बाहर ही रहते हैं, लेकिन प्रबंधक निदेशक राजेश अरोड़ा, अन्य निदेशक अपर्णा पूरी और जवाहर कपूर, पूर्व निदेशक अनीता डियेंग और फाइनांस प्रमुख अक्षय श्रीवास्तव भारत में इसका परिचलान देख रहे थे. मीडिया रिपोर्टों में ही दावा किया गया है कि जब सीबीआई ने इनके ठिकानों पर रेड की तो वो हाथ नहीं आए. वो अभी भी लापता हैं और एजेंसी को शक है कि सभी आरोपी भारत छोड़ कर विदेश जा चुके हैं.

दिलचस्प बात यह है कि बैंकों ने इस कंपनी के खातों को 2016 और 2017 में ही एनपीए (वो लोन जिन्हें चुकाया ना गया हो) की श्रेणी में डाल दिया था, लेकिन सीबीआई से शिकायत 2020 में ही की गई. 2018 में बैंकों के इस समूह ने आरोपियों के खिलाफ डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में भी शिकायत की थी. इस बीच, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने भी कंपनी के निदेशकों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए हैं.

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