"जजों को भी गरिमा से काम करने का हक"
२९ अगस्त २०१०कपाड़िया ने कहा, "मैं पिछले 20 साल से देख रहा हूं कि ज्यादातर राज्यों के जिला जज बेहद खराब परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. कोई इमारत नहीं, कमरा नहीं और काम करने के लिए ठीक से जगह भी नहीं है. खुद मैंने ऐसी अदालतें देखी हैं." जस्टिस कपाड़िया ने कहा कि संविधान की धारा 21 हर व्यक्ति या मानवीय समाज को गरिमा के साथ काम करने का अधिकार देती है और इसमें जज भी शामिल हैं.
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में कानून का राज होने की वजह से ही बडे़ पैमाने पर विदेशी निवेश आ रहा है. पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में स्थिति बिल्कुल अलग है जिसकी वजह कानून को ठीक तरह लागू करना और चलाना है. कपाड़िया ने कहा कि इसे संरक्षित करने की जरूरत है. दिल्ली में छठे जिला न्यायालय परिसर का उद्घाटन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने कहा, "आज हमें बहुत सा विदेशी निवेश मिल रहा है खास विदेशी संस्थागत और प्रत्यक्ष निवेश के रूप में. इसकी वजह है एक देश के तौर पर भारत की ऐसी छवि जहां कानून का राज चलता है और वह भारत के लोकतांत्रित ताने बाने में बरकरार है."
पर्याप्त बुनियादी न्यायिक ढांचे की जरूरत पर बल देते हुए जस्टिस कपाड़िया ने कहा कि कोई भी न्याय व्यवस्था इसके बिना प्रभावी रूप से काम नहीं कर सकती. उन्होंने दिल्ली सरकार की तरफ से इस बारे में उठाए जा रहे कदमों को सराहा. कपाड़िया ने कहा कि उन्होंने पिछले दस साल में न्यायिक व्यवस्था पर किए गए खर्च के आंकड़े देखे हैं. दूसरे राज्यों ने जहां अपनी जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम इस मद में खर्च किया है, वहीं दिल्ली अपनी जीडीपी के 1.6 प्रतिशत खर्च के साथ सबसे ऊपर है.
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने बताया कि साकेत में 313 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला नया जिला अदालत परिसर सपनों की परियोजना थी. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि न्यायिक तंत्र के लिए जो भी जरूरत पड़ेगी, उनकी सरकार देने को तैयार है. उन्होंने कहा, "हम दिल्ली को बेहतरीन न्यायिक व्यवस्था की राजधानी बनाना चाहते हैं. हम छठा जिला अदालत परिसर खोल रहे हैं. जरूरत पड़ने पर दो और ऐसे परिसर बनाए जाएंगे. इसके लिए जो भी जरूरी होगा, हम देंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह