ईरान में संकट का भारत पर कितना असर पड़ेगा
६ जनवरी २०२०इराक में हुए अमेरिकी हमले में ईरान के शक्तिशाली सैन्य अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद मध्य पूर्व में युद्ध की आशंकाओं ने जन्म ले लिया है. इन आशंकाओं के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पांच जनवरी को ईरान और अमेरिका, दोनों ही देशों के विदेश मंत्रियों से फोन पर बात कर भारत की चिंताओं पर चर्चा की.
भारत और ईरान के बीच पुराने सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध हैं. 1947 तक तो दोनों देशों की सीमाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं. दोनों देशों में राजनयिक रिश्तों की शुरुआत 1950 में हुई और भारत के तेहरान में दूतावास के अलावा बन्दर अब्बास और जहेदान में कांसुलेट भी हैं. ईरान के भी नई दिल्ली में दूतावास के अलावा मुंबई और हैदराबाद में कांसुलेट जनरल हैं.
विदेश मंत्रालय के अनुसार ईरान में लगभग 4000 भारतीय नागरिक रहते हैं. इनमें धर्म का अध्ययन करने वाले छात्रों और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा ईरान में निजी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय भी हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई 2016 में दो दिवसीय यात्रा पर ईरान गए थे, जहां दोनों देशों के नेतृत्व के बीच कई महत्वपूर्ण संधियों पर हस्ताक्षर हुए. ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी फरवरी 2018 में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत आए थे. ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ मई 2018, जनवरी 2019 और फिर मई 2019 में तीन बार भारत आ चुके हैं.
दोनों देशों के बीच घनिष्ठ व्यापारिक रिश्ते हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार 17 अरब अमेरिकी डॉलर पर था, जो इससे एक साल पहले के मुकाबले लगभग 24 प्रतिशत ज्यादा था. भारत ने ईरान को साढ़े तीन अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि वहां से 13.5 करोड़ डॉलर मूल्य की चीजें आयात कीं.
भारत ईरान को चावल, चाय, लोहा और इस्पात, आर्गेनिक केमिकल, धातु, बिजली के उपकरण और दवाएं समेत कई चीजें निर्यात करता है. ईरान भारतीय चाय का विश्व में सबसे बड़ा आयातक है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में जनवरी से नवंबर के बीच में ईरान ने भारत से पांच करोड़ किलो से भी ज्यादा चाय की पत्तियां आयात कीं.
पिछले वित्त वर्ष में भारत ने कुल 32,800 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात किया, जिसमे से 10,800 करोड़ रुपये के चावल ईरान भेजे गए.
भारत ईरान से कई चीजें आयात करता है, जिनमें पेट्रोलियम और उसके उत्पाद, आर्गेनिक केमिकल, खाद, प्लास्टिक, फल, शीशा और शीशे की वस्तुएं, मोती, कीमती पत्थर इत्यादि शामिल हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत ने फिलहाल ईरान से तेल लेना बंद किया हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी की मई 2016 में हुई तेहरान यात्रा के दौरान चाबहार बंदरगाह पर समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिकोणीय संधि है जिसकी मदद से तीनों देशों को समुद्र के रास्ते व्यापार में बढ़त मिलेगी. भारत ने इसके लिए 8.5 करोड़ डॉलर के निवेश का वादा किया है. इसके अतिरिक्त भारत ने ईरान को 15 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की बात भी कही है. दिसंबर 2018 से इस बंदरगाह को भारत ही चला रहा है. भारत वहां एक 900 किलोमीटर लंबी रेल लाइन भी बिछा रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार और विदेशी मामलों के जानकार संदीप दीक्षित कहते हैं कि चाबहार बंदरगाह, रेल लाइन और ईरान द्वारा एक अरसे से प्रस्तावित तेल के क्षेत्र भारत के लिए संकट की स्थिति में ईरान में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चिंताएं हैं. ईरान ने भारत को पेशकश की हुई है कि वह आकर तेल निकाले, लेकिन भारत इस विषय में अपना मन नहीं बना पा रहा है.
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