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कानून और न्यायभारत

आज बिलकिस है कल कोई भी हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट

आमिर अंसारी
१९ अप्रैल २०२३

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजरात सरकार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई के कारण बताने चाहिए. गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था.

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बिलकिस बानो
बिलकिस बानोतस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance

केंद्र और गुजरात सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को रिहा देने के संबंध में फाइलों पर विशेषाधिकार है. साथ ही कहा कि वे अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग कर सकते हैं.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि विचाराधीन अपराध 'भयानक' था और गुजरात सरकार के लिए यह अनिवार्य है कि वह 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई की अनुमति देने में दिमाग का इस्तेमाल करे.

गर्भवती महिला का गैंगरेप हुआ था-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सख्त सवाल पूछे. बेंच ने गौर किया कि एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और कई लोग मारे गए थे और इस मामले की तुलना मानक धारा 302 (हत्या) के मामलों से नहीं की जा सकती. बेंच ने सवाल किया क्या "आप सेब और संतरे की तुलना करेंगे?"

बेंच ने आगे कहा, "जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, उसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती. अपराध आम तौर पर समाज और समुदाय के खिलाफ किए जाते हैं. असमान लोगों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता."

क्या अदालतों में चल रहे केस पुराने हो जाने के कारण बंद कर दिए जाने चाहिए ?

रिहाई के लिए किन शक्तियों का इस्तेमाल?

साथ ही कोर्ट ने कहा कि "अदालत यह देखने में रुचि रखती है कि कानूनी रूप से किन शक्तियों का प्रयोग किया गया और उसके लिए यदि आप हमें कारण नहीं बताते हैं, तो अदालत निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र है."

सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रख रहे एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि फाइलें उनके पास मंगलवार को ही आईं. उन्होंने कहा, "मुझे फाइल देखने दीजिए और मैं अगले हफ्ते इस पर वापस आऊंगा."

इसके जवाब में जस्टिस जोसेफ ने एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, "आपने पूरी तरह से कानूनी काम किया है, डरने की कोई बात नहीं है... सामान्य मामलों में छूट का अनुदान न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं होगा."

कल कोई भी हो सकता है-कोर्ट

जस्टिस जोसेफ ने सवाल किया कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया, किस सामग्री को अपने निर्णय का आधार बनाया था. उन्होंने कहा न्यायिक आदेश में दोषियों को उनके प्राकृतिक जीवन के लिए जेल में रहने की आवश्यकता है. वे (कार्यकारी) आदेश द्वारा रिहा किए गए थे. उन्होंने आगे कहा, "आज यह महिला (बिलकिस) है. कल, यह आप या मैं हो सकते हैं. फिर आप कौन से मानक लागू करेंगे... वस्तुनिष्ठ मानक निर्धारित हैं."

सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिलकिस बानो मामले में जेल की सजा काट रहे 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में पीड़िता बिलकिस बानो की भी याचिका शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च की सुनवाई के दौरान 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के गैंगरेप और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या को एक "भयानक" कृत्य करार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दो मई को अंतिम निस्तारण के लिए सूचीबद्ध किया है.

बेंच ने सभी पक्षों को एक मई तक फाइल पेश करके अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है.

कौन हैं बिलकिस बानो

गुजरात के दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में 3 मार्च 2002 को भीड़ ने बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उनकी तीन साल की बेटी सालेहा समेत 14 रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी.

तब गुजरात गोधरा में ट्रेन में लगी आग में हिंदू कारसेवकों की मौत के बाद दंगों की आग में जल रहा था. बिलकिस बानो जान बचाने के लिये अपने परिवार और रिश्तेदार के साथ अपने गांव से भाग रही थीं तब पूरा परिवार उग्र भीड़ के हत्थे चढ़ गया. 21 साल की बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थीं जब उनके साथ 11 लोगों ने बलात्कार किया.

15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था. इस फैसले की आलोचना विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने की थी.