लश्कर कमांडर लखवी को नहीं मिली जमानत
३० अगस्त २०१०रावलपिंडी की आतंक निरोधी अदालत के जज मलिक मोहम्मद अकरम अवान ने लखवी की जमानत की याचिका खारिज की. उनका कहना है कि याचिका में स्वीकार किए जाने योग्य आधार नहीं हैं. लखवी के वकील ख्वाजा सुल्तान पर अभियोजन पक्ष के वकीलों के आरोप हैं कि याचिकाओं का बार बार आवेदन करके वे मुकदमे की कार्रवाई को टाल रहे हैं. उधर सुल्तान का कहना है,"हम हाई कोर्ट में आवेदन जमा करने की तारीख तब तय करेंगे जब आतंकवाद निरोधी अदालत का विस्तृत आदेश हमारे पास आएगा."
सुल्तान का दावा है कि लखवी को जमानत मिल ही जानी चाहिए क्योंकि अभियोजन पक्ष लखवी के 2008 में हुए मुंबई हमलों में शामिल होने का कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया है. सुल्तान ने कहा कि अभियोजन पक्ष का दावा सिर्फ कसाब के इकबालिया बयान पर आधारित है. मुंबई हमले में कसाब को भारतीय अदालत ने मौत की सजा सुनाई है.
अभियोजन पक्ष ने पांच पुलिसकर्मियों को गवाह के तौर पर पेश किया जिन्होंने गवाही दी कि लखवी लश्कर का टॉप कंमाडर था. लेकिन सुल्तान का दावा है कि वे ऐसा साबित नहीं कर सके कि लखवी का मुंबई हमलों में किसी तरह का हाथ था.
मुंबई हमलों के बारे में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी. उस दिन जज अवान अभियोजन पक्ष के दो आवेदनों पर गौर करेंगे. अभियोजन ने सात लोगों की आवाज के नमूनों की मांग की है. साथ ही भारतीय जज और पुलिस अधिकारी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत के आवेदन पर भी जज अवान विचार करेंगे.
बचाव पक्ष के वकीलों ने इन आवेदनों का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसे पाकिस्तानी कानून के अंतर्गत अनुमति नहीं है. 2009 में लखवी को मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप में गिरपफ्तार किया गया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः वी कुमार