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भविष्य का काम कितना तनावहीन हो सकेगा

१६ जनवरी २०२१

कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है. बीमा कंपनियों के आंकड़े बताते हैं तनाव की वजह से वे बीमार हो रहे हैं. काम का बोझ घटाने के कई उपायों पर काम चल रहा है. उनमें एक सॉफ्टवेयर भी है जो तनाव की निगरानी करता है.

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Menschen bei der Arbeit am Laptop Inspiration Kreativität
तस्वीर: Konstantin Pelikh/Zoonar/picture alliance

भविष्य में शायद कर्मचारियों को उतना ही काम देना संभव होगा, जितना वे करने की स्थिति में हों. एक सॉफ्टवेयर इस बात का हिसाब रखेगा कि किस पर काम का कितना बोझ दिया जा सकता है. इसके लिए कर्मचारियों को पल्स मीटर पहनना होगा जो दिल की धड़कन पर नजर रखता है और एक कैमरा चेहरे के भावों को कैद करता रहेगा. इस सेट अप से कर्मचारियों के मूड का अंदाजा लगाया जाएगा. इसके जरिए सॉफ्टवेयर बताएगा कि कब वे काम के बोझ के कारण परेशान होने लगे हैं और वे कितना काम संभालने की हालत में हैं.

सॉफ्टवेयर की मदद से काम

टावनी कंपनी के मार्को मायर इस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली टीम में हैं. वे चेडली के डाटा के विश्लेषण से जानेंगे कि उनके साथी काम के दौरान कैसा महसूस कर रहे थे और उनकी भावनात्मक स्थिति क्या थी. वे बताते हैं कि सॉफ्टवेयर ये जानकारी उपलब्ध कराता है कि क्या काम कर्मचारियों के लिए मुश्किल था या आसान. इससे यह पता किया जा सकेगा कि क्या वे काम का दबाव सहने की हालत में हैं. लेकिन कंप्यूटर यह तभी पता कर सकता है जब वह चेहरे के भावों को पढ़ पाए.

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काम के दौरान तनावतस्वीर: Robert Kneschke/Zoonar/picture alliance

कर्मचारियों के स्ट्रेस टेस्ट में उन्हें अलग अलग टेक्स्ट टाइप करना होता है. लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि टेक्स्ट धीरे धीरे मुश्किल होता जाएगा. पहले उन्हें बच्चों की कहानी दी जाती है और फिर मुश्किल केमिकल फॉर्मूला वाला टेक्स्ट आता है. डिवाइस अपना काम करता रहता है और बताता रहता है कि दवाब का क्या असर हो रहा है. कैमरा उनके चेहरे की मांसपेशियों को कैप्चर करता है और उनकी भावनाओं के बारे में बताता है. जैसे कि मुंह के छोर की प्रतिक्रिया या फिर आंखों पर उभरने वाली लकीरें.

मार्को मायर बताते हैं कि डिवाइस चेहरों की भंगिमा को रजिस्टर कर एक ओर काम के दबाव के बारे में बताता है तो दूसरी ओर दिल की धड़कन भी मापता है. चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान के आधार पर तनाव, कर्मचारियों को दिए गए काम और उन्हें मिलने वाले आराम के बारे में निष्कर्ष निकाले जाते हैं. हो सकता है कि उनके चेहरे के भाव तटस्थ दिखें, लेकिन अंदर से वे तनाव में हो सकते हैं.

निजता के सख्त कानून

जर्मनी में कर्मचारियों की सहमति के बिना उनकी निगरानी गैरकानूनी है. लेकिन क्या उनके पास इसे मना करने का कोई विकल्प है? मायर कहते हैं कि वह ना तो कर्मचारियों की निगरानी करना चाहते हैं, ना उनका डाटा जमा करना चाहते हैं, बल्कि इस टेस्ट के जरिए वह तो काम का ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जो हर किसी के लिए मुनासिब हो. जैसे कि जब ध्यान लगाकर काम कर रहे हों तो परेशान करने वाली कॉल फॉरवर्ड हो जाएं.

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काम के लिए बेहतर परिस्थितियांतस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Blend Images

बहुत से लोग मानते हैं कि तेजी से डेवलप हो रही टेक्नोलॉजी उन्हें बहुत डिस्टर्ब भी कर रही है. कम्युनिकेशन के बहुत सारे चैनल आ गए हैं, ईमेल, मेसैंजर, सोशल मीडिया. खास तौर से काम के दौरान किसी चीज पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. इसलिए काम की लय में आ पाना मुश्किल होता जा रहा है, एकाग्रता से काम करना मुश्किल होता जा रहा है.

मार्को मायर कहते हैं, "उस स्थिति को आप बोरियत और काम के बोझ तथा तनाव के बीच एक बढ़िया संतुलन के तौर पर समझ सकते हैं. इसके बीच में ही कहीं वो जगह है जहां काम आपको चुनौती लगता है. लेकिन आप उसे कर सकते हैं. यही काम की लय है." इसी लय के दौरान हमारा शरीर खुशी वाले हार्मोन छोड़ता है. हमारा दिल अच्छी तरह धड़कता है और त्वचा भी सहज रहती है. मायर हमारी इन्हीं प्रतिक्रियाओं के जरिए कंप्यूटर को सिखाना चाहते हैं.

रिपोर्ट: अलेक्जांड्रा फान डे पोल

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