नए टापू पर जहरीली गैसें?
२६ सितम्बर २०१३भूकंप के बाद (देखिए तस्वीरें) अधिकारियों की चेतावनी की परवाह न करते हुए ग्वादर के डिप्टी कमिश्नर तूफैल बलोच भी नए द्वीप पर पहुंच गए. उन्होंने बताया कि वहां गैस जैसी महक आ रही है. उन्होंने बताया कि नए द्वीप के तट पर मरी हुई मछलियां तैर रही हैं और वहां पहुंचे लोगों ने यादगार के तौर पर कुछ पत्थर भी जमा कर लिए हैं.
यह नया द्वीप ग्वादर के पास ही समुद्र के अंदर निकला है. पाकिस्तानी नौसेना की एक खास टीम भी बुधवार को वहां पहुंची. नौसेना के भूगर्भशास्त्री मुहम्मद दानिश ने बताया कि यह द्वीप टेनिस कोर्ट से जरा बड़ा और फुटबॉल के मैदान से जरा छोटा है. पाकिस्तान में भूकंप का रिकॉर्ड रखने वाली संस्था नेशनल सीस्मिक मॉनिटरिंग सेंटर ने इस बात की पुष्टि की कि मंगलवार को भूकंप की वजह से ही यह टापू बना है. आंकड़ों के मुताबिक यह 60 फीट ऊंचा, 100 फीट चौड़ा और 250 फीट लंबा है.
इसके प्रमुख जाहिद रफी ने कहा कि पृथ्वी के गर्भ में जमा गैसों की स्थिति जब बदलती है तो अंदर जमा मिट्टी इस तरह ऊपर की तरफ उठ सकती है, "पृथ्वी के अंदर बहुत जबरदस्त झटका लगा है, जिसके बाद ऐसा हुआ है." उन्होंने बताया कि इस तरह के टापू लंबे वक्त तक बाहर रह सकते हैं या फिर समय के साथ वापस पानी में डूब सकते हैं. पाकिस्तानी नौसेना के हाइड्रोग्राफर मुहम्मद अरशद का कहना है कि लगभग इसी तरह का द्वीप मकरान तट पर 1999 और 2010 के भूकंप के बाद भी बना था लेकिन बाद में भारी बरसात की वजह से वे दोबारा डूब गए.
ग्वादर का यह तट पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची से करीब 533 किलोमीटर दूर है.
जर्मन शहर पोट्मडम में भूकंप विशेषज्ञ प्रोफेसर मार्को बोनहॉफ का कहना है कि दो तरीके से इस तरह के टापू बनते हैं. पहले तरीके में भूकंप के बाद धरती का हिस्सा इस तरह हिलता है कि समुद्र के अंदर जमा मिट्टी ऊपर उठ जाती है. दूसरे तरीके में भूकंप की वजह से पृथ्वी के अंदर की गैसें अचानक छूट जाती हैं और वहां "कीचड़ का ज्वालामुखी" फूट पड़ता है. अभी वैज्ञानिकों ने पक्के तौर पर नहीं बताया है कि यह टापू किस वजह से बना. बोनहॉफ का कहना है कि ज्वालामुखी की तरह ये टापू कड़ी मिट्टी नहीं तैयार करते हैं लेकिन फिर भी लंबे वक्त तक बने रह सकते हैं.
एजेए/ओएसजे