जिंदा होने की उम्मीद में फ्रीज होगा बच्ची का शव
१८ नवम्बर २०१६बेहद दुलर्भ किस्म के कैंसर से जूझ रही बच्ची ने जज को लिखा, "मैं सिर्फ 14 साल की हूं और मैं मरना नहीं चाहती हूं लेकिन मैं मरने वाली हूं. मुझे लगता है कि क्रायो-प्रिजर्व्ड होने से मुझे इलाज का मौका और फिर से जीने का मौका मिलेगा-भले ही कई सौ साल बाद."
खत लिखने के बाद बच्ची की मौत हो गई. आगे की कानूनी कार्रवाई मां ने की. मां ने कहा कि अपने शरीर का फैसला करने का अधिकार उनकी बेटी के पास है. बच्ची के मां-बाप का तलाक हो चुका है. पिता इस फैसले के लिए राजी नहीं थे.
अक्टूबर में इंग्लैंड और वेल्स हाई कोर्ट के जज पीटर जैक्सन ने बच्ची के हक में फैसला दिया. अदालत ने कहा, "इसमें कोई हैरानी नहीं है कि यह इस देश के कोर्ट और शायद दूसरी जगहों पर भी आने वाली अर्जियों में इस तरह की पहली अर्जी है. विज्ञान कानून के सामने नए सवाल खड़े कर रहा है और यह उसी का एक उदाहरण है. शायद सबसे ज्यादा सवाल फैमिली लॉ के मामले में."
जज ने यह भी कहा कि ये बीमारी भरे बचपन और पारिवारिक विवाद का दुखद मेल है. कोर्ट ने बच्ची द्वारा सुझाए गए कदम की सराहना भी की. बच्ची ने बीते आठ साल से अपने पिता को नहीं देखा था. पिता को शव को फ्रीज किये जाने का विरोध करते हुए कहा, "अगर इलाज सफल भी रहा और वह जीवित हो गई, मान लीजिए 200 साल बाद, तो भी वह किसी रिश्तेदार से नहीं मिल सकेगी और उसे कुछ याद भी नहीं रहेगा."
लेकिन जैसे जैसे सुनवाई आगे बढ़ी, पिता का दिल पिघलने लगा. अंत में उन्होंने भी बेटी की आखिरी इच्छा को पूरा करने पर हामी भर दी. अब बच्ची के शरीर को क्रायोजैनिकली फ्रीज करने के लिए अमेरिका भेजा जाएगा.
(क्या है मृत्यु और कैसे धीरे धीरे खत्म होता है इंसानी शरीर)
ओएसजे/आरपी (एएफपी)