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जर्मन चुनाव: एसपीडी के ओलाफ शॉल्त्स का पलड़ा भारी

बेन नाइट
२० सितम्बर २०२१

चांसलर उम्मीदवारों की आखिरी बहस में सोशल डेमोक्रेट्स और ग्रीन पार्टी के बीच एक संयुक्त मोर्चा दिखा. वहीं एक स्नैप पोल में एसपीडी के ओलाफ शॉल्त्स स्पष्ट विजेता बने. लेकिन सीडीयू के आर्मिन लाशेट उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं.

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Bundestagswahl 2021 3. TV-Triell Kandidaten
तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार ओलाफ शॉल्त्स और उनकी ग्रीन पार्टी की प्रतिद्वंदी अनालेना बेयरबॉक कई बार क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के आर्मिन लाशेट के खिलाफ अगले रविवार को होने वाले चुनावों से पहले तीसरी और अंतिम टीवी डीबेट में एक संयुक्त मोर्चा बनाते दिखे. यह सभी निवर्तमान चांसलर अंगेला मैर्केल की जगह लेने के सबसे प्रबल उम्मीदवार हैं. 90 मिनट तक चली आखिरी कांटेदार बहस के अंत में यह दिखा कि यह अब तक की सबसे करीबी चुनावी दौड़ है. बेयरबॉक और फिर शॉल्त्स दोनों ने ही सुझाया कि "अच्छा होगा अगर सीडीयू विपक्ष में चली जाए." हालांकि वे यह बात जताने के लिए भी उत्सुक थे कि सरकार बनाने के लिए वे जर्मनी के धुर दक्षिणपंथी दल अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के अलावा सभी पक्षों से बातचीत के लिए तैयार होंगे. 

इस दौरान लाशेट, पिछले रविवार की बहस के मुकाबले कम आक्रामक दिखे. इस बार, उन्होंने अपने इस सामान्य आरोप को अंत तक बचाए रखा कि उनके सेंटर-लेफ्ट प्रतिद्वंदी सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी को सरकार में लाने की योजना बना रहे हैं. वहीं पहले से उलट बेयरबॉक, लाशेट के साथ ज्यादा अधीर दिखीं. एक समय आया जब उन्होंने जोर से कहा कि उनके कंजरवेटिव प्रतिद्वंदी के साथ "कुछ तो गलत है." कुल आंकड़े अब भी शॉल्त्स के समर्थन में हैं. सैट 1 टीवी नेटवर्क पर बहस के तुरंत बाद जारी किए गए एक फोर्सा पोल में दिखा कि 42 फीसदी दर्शक सोचते हैं कि सोशल डेमोक्रैट उम्मीदवार शॉल्त्स बहस में जीते. जिसके बाद 27 फीसदी ऐसा लाशेट के लिए और 25 फीसदी बेयरबॉक के लिए सोचते हैं.

Bundestagswahl 2021 3. TV-Triell Kandidaten
डिबेट के लिए आते लाशेट और शॉल्त्सतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

यह आंकड़े INSA की ओर से प्रकाशित हालिया राष्ट्रीय ओपिनियन पोल के आंकड़ों से भी मेल खाते हैं. जिसमें तीनों पार्टियों की स्थिति कमोबेश ऐसी ही थी हालांकि इस राष्ट्रीय ओपिनियन पोल में एसपीडी पर सीडीयू की बढ़त काफी कम थी. एसपीडी को जहां 26 फीसदी का समर्थन प्राप्त हुआ था, सीडीयू को 21 फीसदी ने समर्थन दिया था, जबकि ग्रीन्स को सिर्फ 15 फीसदी ने.

गरीबी से निपटना

संभावना से इतर जल्द ही बहस के गंभीर हो जाने से एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चे कठोर हो गए. नेटवर्क ने मुद्दों में टीवी रिपोर्ट, वोटर्स के साथ बातचीत को भी शामिल किया. और एक मध्यस्थ ने 30 साल पुरानी कॉमिक बुक पेश की ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा रहा है, जिसे 1990 के दशक में ही बच्चों के लिए उपयुक्त समझ लिया गया था.
जब बहस गरीबी से निपटने की ओर मुड़ी, शॉल्त्स और बेयरबॉक अक्सर एक-दूसरे के साथ सिर हिलाते और एक-दूसरे की बातों से बिंदु उठाते दिखे. यह इतनी बार हुआ कि लगा कि दोनों दलों ने पहले ही एक गठबंधन का निर्माण कर लिया है.

जर्मनी के चुनाव में सरकारी पैसे का खेल

सोशल डेमोक्रेट्स और ग्रीन उम्मीदवारों दोनों ने ही वर्तमान के 9.6 यूरो के न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 12 यूरो प्रति घंटे करने के अपने वादे को दोहराया. इसे लाशेट ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि रोजगार देने वालों और ट्रेड यूनियन्स को आपस में बात करके न्यायपूर्ण वेतन पर रजामंदी बनानी चाहिए. कई बड़े ट्रेड यूनियन 12 यूरो के न्यूनतम वेतन की मांग कर रहे हैं.
हालांकि बेयरबॉक ने पूरी तरह से शॉल्त्स को भी छूट नहीं दी. उन्होंने वर्तमान वित्त मंत्री को सीडीयू के साथ सरकार में उनके रिकॉर्ड और फिर वित्तीय पारदर्शिता के मामले में भी चुनौती दी. बेयरबॉक ने कहा, "आपने (लाशेट को संबोधित करते हुए) 16 साल शासन किया और आप (शॉल्त्स की ओर इशारा करते हुए) 12 साल तक इनके साथ शासन करते रहे. और अमीरों और गरीबों के बीच की खाई केवल लगातार चौड़ी होती गई."

केंद्र में रहा जलवायु संकट का मुद्दा

पश्चिमी जर्मनी में जुलाई में आई भीषण बाढ़ से हुई जबरदस्त तबाही की तस्वीरों का एक मोंटाज दिखाया गया, जिसके बाद एक बहस में जलवायु परिवर्तन को काफी समय दिया गया. शॉल्त्स ने खुद को ऐसे उम्मीदवार के तौर पर पेश किया, जो जर्मनी की औद्योगिक अर्थव्यवस्था को 2045 (एसपीडी का वर्तमान लक्ष्य) तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनाने में आने वाली बड़ी बाधाओं से निपटने के लिए इच्छुक हैं. उन्होंने वह बात फिर से दोहराई, जिसे वे अपने प्रचार अभियान के दौरान बार-बार दोहराते रहे हैं कि देश "जर्मनी के अब तक किए सबसे बड़े आधुनिकीकरण" को देख रहा है.

Bundestagswahl  2021 Wahlplakate in Frankfurt am Main
गठबंधन का खांका साफ नहींतस्वीर: Arne Dedert/dpa/picture alliance

हालांकि लाशेट ने दावा किया कि सीडीयू हेल्मुट कोल की सरकार के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने वाली शुरुआती पार्टियों में से थी. इसके बाद उन्होंने ग्रीन्स पर कोयले से ऊर्जा से पहले न्यूक्लियर ऊर्जा से लड़ने का आरोप लगाया. यह एक ऐसी बात है, जिसे उन्होंने पिछले हफ्ते भी कहा था. बेयरबॉक के लिए क्लाइमेट से जुड़े मुद्दों को लेकर अपनी ही समस्याएं हैं. जर्मन मीडिया में ग्रीन्स को ऐसी पार्टी के तौर पर पेश किया जाता है, जो जर्मन लोगों की मीट खाने और फ्लाइट से विदेश जाकर छुट्टियां मनाने जैसी साधारण खुशियों पर बैन लगा देना चाहती है.

एक मध्यस्थ ने इसी दिशा में उन्हें घेरते हुए पूछा, "एक ग्रीन सरकार के तहत जिंदगी थोड़ी मुश्किल लगती है, क्या ऐसा नहीं है?" बेयरबॉक ने जवाब दिया, "नहीं, ऐसा नहीं है. ग्रीन लाइफ का मतलब है आजादी, इसका मतलब है आपके बच्चों और पोतों के लिए आजादी. अगली सरकार को जलवायु सरकार होना चाहिए. अगर हम कुछ नहीं करते तो भविष्य हमारे हाथों से बाहर हो जाएगा."

घरेलू सुरक्षा पर कड़े लाशेट

आर्मिन लाशेट को तब एक मजबूत आधार मिल गया जब आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा आया. यह मुद्दा हागेन शहर में एक यहूदियों के प्रार्थनास्थल पर हुए इस्लामिक हमले को नाकाम करने की घटना पर चर्चा के दौरान आया. इस पर कंजरवेटिव नेता ने अपने और अपने विरोधियों के बारे में अंतर दिखाने का प्रयास यह कहते हुए किया कि एसपीडी और ग्रीन्स उनके नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया राज्य में उन्हें डिपोर्ट करने के खिलाफ हैं, जिन्हें खुफिया एजेंसियां खतरनाक मानती हैं.

इस पर चर्चा एक ऐसे बिंदु पर खत्म हुई जहां गठबंधन बनने अनिवार्य हो गए थे, अनिवार्य होने के बावजूद कोई भी उम्मीदवार नहीं चाहता था कि उसे इससे जोड़कर देखा जाए कि वह किस सहयोगी को पसंद कर रहा है. फिर भी, आगे जो चर्चा हुई, उससे स्पष्ट हो गया कि एसपीडी और ग्रीन्स में एक तरह का लगाव है.
एकमात्र परेशानी यह है कि वर्तमान ओपिनियन पोल्स के मुताबिक किसी भी दो जर्मन पार्टियों के पास सफल संसदीय बहुमत नहीं है और लाशेट अब भी अंतर को कम कर सकते हैं.