1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चुनावों में वोट खरीदने की कोशिशें

निधि सुरेश
२६ मार्च २०१९

मतदान से ठीक पहले इस बार भी पार्टियां लोगों को लुभाने में लग गई हैं. विशेषज्ञ कहते हैं ये दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होने वाला है जिसमें पार्टियां जम कर पैसा बहाएगी.

https://p.dw.com/p/3FfoL
Electronic Voting Machines Indien
तस्वीर: picture alliance/NurPhoto/D. Chakraborty

23 मई को दुनिया की नजर भारत पर होगी. चुनाव बताएंगे कि भारत की जनता किसे देश की कमान सौंपेगी. एक अमेरिकी थिंक-टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस का कहना है कि 2019 का आम चुनाव दुनिया में सबसे महंगा चुनाव होने वाला है. थिंक-टैंक के दक्षिण एशिया कार्यक्रम के वरिष्ठ फेलो और निदेशक मिलन वैष्णव ने अपने संपादकीय में लिखा है कि 2016 के अमेरिका के चुनाव में 650 करोड़ डॉलर लगे थे. 2014 के भारत के आम चुनाव में 500 करोड़ डॉलर खर्च किए गए थे और 2019 के चुनाव में आंकड़ा पार होने वाला है. वैष्णव का कहना है कि क्योंकि ये अभी तक साफ नहीं हुआ है कि कौन जीतेगा इसलिए दल पूरी ताकत से लोगों को अपनी और खींचने की कोशिश करेंगे. धन इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा. लोगों को लुभाने के लिए हर पार्टी आपनी तरफ से सबसे बड़ा तोहफा देने कि कोशिश करती है. गुचपुच की जाने वाली इन कोशिशों में नकद से लेकर टीवी, मुफ्त खाना, सोना, मोबाइल फोन, कपड़ा और शराब तक का इस्तेमाल होता रहा है.

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने दो करोड़ की नगदी और समान पकड़ा था जो लोगों को देने के लिए रखा गया था. चुनाव आयोग का कहना है कि भारत में ये सबसे बड़ी रकम हैं जो पकड़ी गई है. चुनाव आयोग के मुताबिक चुनाव लड़ने वाले आम जनता के बैंक खातों में पैसा जमा कर रहे थे. वादा था कि जीत के बाद और पैसा दिया जाएगा. चुनाव आयोग ने बताया कि उनको एक नकली शादी के बारे में भी बताया गया था जहां पर शादी में खाना, शराब और पैसा दिया जा रहा था. राजस्थान में चुनाव से पहले उस समय की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मोबाइल फोन बांटे थे और उतर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने छात्रों को लैपटॉप दिए थे.

सी-वोटर के संस्थापक और चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख का कहना है कि "आज कल पार्टी चुनाव से पहले ही लोगों को पैसा या सोना देना शुरू कर देती है. चुनाव आयोग जब तक चुनाव की तारीख बताता है उससे पहले ही लोगों को लुभाने का खेल शुरू हो जाता है." वैसे पार्टियां चुनावी वादे भी मतदाताओं को रिझाने के लिए ही करती हैं. फरवरी 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने जब अंतरिम बजट पेश किया तो उसमें किए गए वादों को चुनावी बताया गया. जैसे कि सरकार ने कहा की किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत दो-दो हजार रुपये तीन किश्तों में दिए जाएंगे. यह रकम हर साल 12 करोड़ किसानों तक पहुंचेगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस योजना को गलत बताया था और आरोप लगाया कि सरकार किसानों को लुभाने कि कोशिश कर रही हैं. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इसे रोकने के लिए आग्रह भी किया.

राजनीतिक दल करते हैं इनकार

राजनीतिक दलों का कहना हैं कि वे ऐसा कोई भी काम नहीं करते हैं जो अनैतिक हो मगर वे एक दूसरे का नाम लेने से भी पीछे नहीं हटते. यूपी में भाजपा के विधायक संजय सिंह जायसवाल का कहना है कि "भाजपा जैसी पार्टी को लोगों को रिश्वत देने की जरूरत नहीं है. लोगों उन्हें मोदी जैसे नेता के नाम और काम पर वोट देंगे. और जो लोग रिश्वत देते हैं वे कभी नहीं जीतेंगे." आम आदमी पार्टी के आलोक अग्रवाल का भी कहना है कि उनकी पार्टी के सिवा हर पार्टी लोगों को रिझाने के लिए अनैतिक रास्ता अख्तियार करती है.

चुनाव आयोग की भूमिका

चुनाव आयोग के पास इस पर रोक लगाने के लिए कोई भी कानून नहीं है. हालांकि भारतीय दंड संहिता 1860 (IPC) के धारा 171बी/171ई के तहत अगर लोगों के मतदान के अधिकार को प्रभावित करने के इरादे से पैसा या कोई भी चीज देते पकड़ा जाता है तो उस पर जुर्माना और एक साल की कैद हो सकती है या फिर दोनों भी हो सकता है. मगर अगर कोई लोगों को खाना, शराब और मनोरंजन देने के नाम पर वोट मांगता है तो उस पर सिर्फ जुर्माना लगाया जा सकता है. चुनाव आयोग सरकार से कहता आया है कि चुनाव में दी हुई रिश्वत को संज्ञेय अपराध के तौर पर देखा जाए. संज्ञेय अपराध में पुलिस के पास ये अधिकार होता हैं कि वे शिकायत मिलते ही कार्रवाई शुरू करे. चुनाव आयोग ने आम लोगों की मदद लेने के लिए C-Vigil ऐप शुरू किया है. इस पर कोई भी आपनी शिकायत दर्ज कर सकता है. इस ऐप से आम जनता चुनाव आयोग को जानकारी भेज सकती है. जानकारों का मानना हैं कि चुनाव आयोग को इतना बड़ा चुनाव करना के लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी और वही सबसे बड़ी चुनौती है.

(भारतीय चुनाव: आखिर खर्चा कितना होता है?)