यह है लियोनार्डो दा विंची की कला का राज
२९ अप्रैल २०१९हवा के झोंकों के बीच जैतून के पेड़ पर मंडराती तितलियां इटली के विंची गांव की रौनक को बढ़ा रही हैं. इटली के टस्कनी का विंची गांव मशहूर कलाकार लियोनार्डो दा विंची का जन्मस्थल है और यही वह खास जगह है जिसकी प्रकृति दा विंची को बचपन से ही कलाकार बनने के लिए प्रेरित करती रही.
दा विंची की कृतियों को समझना है तो इस गांव का दौरा काम का साबित हो सकता है. स्थानीय लोग कहते हैं कि दा विंची की पेंटिंग में जिस तरह की छवियां उकेरी गई हैं उसके मुकाबले असल वातावरण सालों बाद कुछ तो जरूर बदला है लेकिन अब भी काफी कुछ वैसा ही है. गांव के स्थानीय लोग उनकी 500वीं पुण्यतिथि की तैयारियां कर रहे हैं.
विशेषज्ञ मानते हैं मोना लिसा की पेंटिंग रचने वाले पुनर्जागरण काल के अभूतपूर्व कलाकार लियोनार्डो दा विंची के जीवन में विंची गांव में मिली परवरिश और स्थानीय माहौल का खासा असर दिखता है. लियोनार्डो दा विंची म्यूजियम के डायरेक्टर रोबेर्ता बरसांती कहती हैं कि कलाकार को प्रेरित करने वाले परिदृश्य, छवियां अब भी वैसे ही बरकार हैं. उन्होंने बताया कि दा विंची के पैतृक घर के करीब अब भी वैसा ही नजारा देखा जा सकता है जो उनकी 1473 की शुरुआती पेंटिंग में नजर आता है.
दा विंची का जन्म 15 अप्रैल 1452 को हुआ था. उस वक्त उनके माता पिता की शादी नहीं हुई थी. पिता एक नोटरी अधिकारी थे और मां किसान परिवार से तालुक्क रखती थीं. दा विंची को उनके चाचा और दादा ने पाला था और उन्हीं के साथ रहते हुए उन्होंने गांव-देहात की यात्रा की और प्राकृतिक नजारों को दिमाग में कैद कर लिया. उसी दौरान दा विंची ने पशु, पक्षी, फूल, पत्ती आदि को उकेरने की कला भी सीखी.
दा विंची को नदियां और मिलें बहुत प्रभावित करती थीं. उन्होंने कई सेल्फ पोट्रेट भी बनाए, जिनमें वह तनी भौहों और लंबी दाढ़ी वाले व्यक्ति के रूप में नजर आते हैं. पेंटिंग से इतर दा विंची की संगीत, मूर्तिकला, वास्तुकला और इंजीनियरिंग में भी रुचि थी. जानकार मानते हैं कि उनके काम में ग्रामीण परिवेश की गूंज हमेशा नजर आई.
आज भी हजारों पर्यटक उनके जीवन में झांकने के लिए उनके गांव पहुंचते हैं. 2 मई 1519 को जीवन की अंतिम सांस लेने वाले दा विंची की लोकप्रियता आज भी दुनिया भर में बरकरार है.
एए/आईबी (एएफपी)
ये हैं लियोनार्डो दा विंची की सबसे जानी-मानी पेंटिंग