भेंगी आंखों ने दा विंची को बनाया महान पेंटर?
२४ अक्टूबर २०१८एक एकेडमिक जर्नल में छपी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सब्जेक्ट को थ्रीडी में प्रस्तुत करने के दा विंची के खास हुनर में मुमकिन है कि उनकी खराब आंखों ने भी भूमिका निभाई हो. इसके साथ ही लैंडस्केप में उनके बनाए पहाड़ों को एक खास गहराई भी शायद नजर के इस दोष के कारण ही मिली होगी. रिसर्चरों ने उनकी बनाई दो मूर्तियों, दो पेंटिंग्स और दो ड्रॉइंग्स का अध्ययन किया. दा विंची की इन कृतियों में रिसर्चरों ने 10.3 डिग्री का बाहरी भेंगापन निरंतर महसूस किया. बाहरी भेंगापन में आंखों की पुतलियां देखते वक्त बाहर की तरफ घूम जाती हैं. 10.3 डिग्री का भेंगापन मध्यम दर्जे का माना जाता है. भेंगेपन से पीड़ित लोगों की दृष्टि एकनेत्री हो जाती है. इसका मतलब है कि दोनों आंखें स्वतंत्र रूप से अलग अलग दिशा में देखती हैं. इसकी वजह से दृष्टिक्षेत्र और थ्रीडी में देखने की क्षमता (डेप्थ परसेप्शन) में इजाफा हो जाता है.
जेएमए ऑप्थेमोलॉजी जर्नल में छपी रिपोर्ट में कहा गया है, "खासतौर से अगर यह तय है तो मुमकिन है कि बाहरी भेंगेपन की मौजूदगी ने दा विंची को समतल कैनवस को भरने की असाधारण क्षमता दी." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दा विंची की स्थिति "खासतौर से दुनिया की चीजों और चेहरों को थ्री डी में प्रस्तुत करने और पहाड़ के दृश्यों में सुदूर गहरे ढलानों को दिखाने में" मददगार साबित हुई.
लंदन की सिटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस्टोफर टायलर ने यह शोध किया है. उनका कहना है, "रेमब्रांड्ट से लेकर पिकासो तक के बारे में माना जाता है कि उनकी नजर भेंगी थी और अब ऐसा लगता है कि दा विंची में भी भेंगापन था." टायलर के मुताबिक, "यह स्थिति पेंटरों के लिए सुविधाजनक है क्योंकि एक आंख से दुनिया को देखने के कारण आंखें उन चीजों की समतल पेंटिंग से सीधी तुलना कर पाती हैं जिनकी तस्वीर बनाई जानी है." प्रोफेसर टाइलर ने इस रिसर्च के लिए गोलों और चांद को पुतलियों, आइरिस और पलकों के सामने रखा और इसके बाद नापतौल की.
1452 में इटली में जन्मे दा विंची दुनिया के विख्यात पेंटरों में हैं. फ्रांस के लूव म्यूजियम मे मौजूद मोना लिसा की पेंटिंग उनकी अमर कृतियों में से एक है. उनकी रुचि इंजीनियरिंग से लेकर प्राकृतिक विज्ञान तक में थी. 1519 में उनकी मृत्यु हो गई.
एनआर/एके (एएफपी)