अतीत में भविष्य तलाशते महेश भट्ट
१३ अप्रैल २०१३प्रभाकर मणिः आप लंबे अरसे से फिल्म उद्योग में हैं. भारतीय सिनेमा के मौजूद दौर को आप किस तरह देखते हैं ?
महेश भट्टः भारतीय सिनेमा का मौजूद दौर बेहद रोमांचक है. लेकिन साथ ही इसे अभिव्यक्ति के खतरों से भी जूझना पड़ रहा है. कुछ निहित स्वार्थी तत्व सिनेमा को अपना राजनीतिक हित साधने के लिए भी इस्तैमाल कर रहे हैं. इससे उद्योग को नुकसान हो रहा है. अब हम लोग भी पहले की तरह खतरा नहीं उठा रहे हैं.
आपने जिस्म और जिस्म 2 जैसी फिल्मों की कहानी और पटकथाएं लिखी है. अब उस सीरिज में आगे भी कोई योजना है?
देखिए, अब उस तरह की उत्तेजक फिल्मों का दौर खत्म हो रहा है. इसलिए मैं भविष्य की फिल्मों के लिए कहानी की तलाश में अतीत में लौट रहा हूं. यह कह सकते हैं कि मैं आगे बढ़ने के लिए पीछे लौट रहा हूं. स्पीलबर्ग ने भी यही किया है.
भारतीय सिनेमा में खास क्या है ?
निडर होकर फिल्म बनाने की आजादी ही भारतीय सिनेमा को पाकिस्तानी या बांग्लादेशी फिल्म उद्योग से अलग करती है. हमारी भी अपनी भी समस्याएं हैं. लेकिन हम उनके साथ ही आगे बढ़ रहे हैं. लोहे के दरवाजे यहां भी हैं. लेकिन उन दरवाजों की दो सलाखों के बीच जगह कुछ ज्यादा है. हमने जेल से बाहर निकलने के बजाय जेल की कोठरी को ही बड़ा बना लिया है.
नए सिनेमाटोग्राफिक एक्ट से इस उद्योग पर क्या असर होगा ?
अभी यह कहना तो मुश्किल है. लेकिन बदलते दौर और देश में हो रहे बदलावों के अनुरूप फिल्म उद्योग को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी. सामाजिक बदलावों के बीच और ज्यादा जिम्मेदार होना समय की मांग है. इसके साथ ही अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाना जरूरी है.
आपने शाइनी आहुजा और इमरान हाशमी जैसे अभिनेताओं को मौका दिया था. लेकिन अब पहले की तरह नए अभिनेताओं को स्थापित होने का मौका क्यों नहीं मिल रहा है ?
भारत जीवंत देश है. यहां हजारों प्रतिभावान लोग हैं. लेकिन हमारे भीतर उन प्रतिभाओं को तलाशने की प्रतिभा की कमी है.
इस उद्योग में लंबे अरसे तक आपके टिके रहने का राज क्या है?
दो शब्दों में कहें तो जोश और कामयाबी की कभी खत्म नहीं होने वाली भूख. इन दो चीजों के बिना फिल्मोद्योग में एक दशक तक भी टिके रहना मुश्किल है. मैं हमेशा अपने भीतर कुछ नया तलाशने की कोशिश में लगा रहता हूं. पहले की कोशिशों में कामयाबी की ऊंचाइयों को छूने के बावजूद मैं कभी उनसे बंध कर नहीं रहा.
इस उद्योग में आने वाले नए लोगों को क्या संदेश देंगे?
अगर आप कोई सपना देख सकते हैं तो उसे पूरा भी कर सकते हैं. किसी भी सपने को पूरा करने के लिए पहले उसे देखना जरूरी है.
आगे क्या योजना है?
निर्माता के तौर पर नब्बे के दशक में बनी हिट फिल्म आशिकी का सीक्वल आशिकी 2 मेरी अगली फिल्म है. यह इस साल मई में रिलीज होगी. इसके अलावा कई अन्य योजनाओँ पर भी काम चल रहा है.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन