सोनाली को करियर से शिकायत नहीं
९ नवम्बर २०१३पेश है इस बातचीत के कुछ हिस्सेः
डीडब्ल्यूः आप कोई एक दशक बाद वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा में नजर आई हैं. इसमें काम करने का फैसला कैसे किया?
सोनाली बेंद्रेः सबसे बड़ी वजह तो यह थी कि यह शोभा कपूर की फिल्म थी. वह कोई साढ़े चार दशक से मेरी सास की सहेली हैं. इसके अलावा मिलन लूथारिया से भी मेरा काफी पुराने संबंध रहा है. मैं उनके साथ पहले भी कई फिल्में कर चुकी हूं.
डीडब्ल्यूः आप फिल्मों में कैसे आईं?
सोनाली बेंद्रेः यह महज एक संयोग था. केंद्र सरकार की नौकरी में होने की वजह से हर दो साल पर मेरे पिता का तबादला होता रहता था. इसलिए मेरा बचपन खानाबदोश की तरह गुजरा और कहीं कोई मित्र नहीं बन सका. दसवीं पास करने के बाद हम लोग मुंबई आए. वहां एक फैशन शो के दौरान जब एक प्रतियोगी लड़की किसी वजह से शामिल नहीं हो सकी तो मुझे उसकी जगह शामिल होने को कहा गया. मैंने तब तक कभी ऊंची एड़ी वाली सैंडिल नहीं पहनी थी. लेकिन उस शो में पहले नंबर पर रही. वहीं महेश भट्ट साहब ने मुझे देखा. मां का भी काफी सहयोग मिला. वह हमेशा कहती थी कि मेरी बेटियां काम जरूर करेंगी.
डीडब्ल्यूः 10 वर्षों में फिल्मोद्योग में कैसे बदलाव आए हैं?
सोनाली बेंद्रेः मैंने 10 साल बाद किसी फिल्म में काम किया था. अब फिल्म के निर्माण में जो पेशेवर क्षमता और दक्षता आई है वह आश्चर्यचकित करती है. हमें यह नहीं याद रखता होता कि पिछले सीन में किसने क्या पहना था. पहले हम एक साथ 8-10 फिल्मों की शूटिंग करते थे. हर फिल्म की शूटिंग पर पहुंचने पर उसका सीक्वेंस याद रखना पड़ता था. लेकिन अब इस काम के लिए कई सहायक मौजूद रहते हैं.
डीडब्ल्यूः अब पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ ही फिल्में, टीवी शो और विज्ञापन, एक साथ यह सब कैसे संभालती हैं?
सोनाली बेंद्रेः मैं शुरू से ही मेहनती रही हूं. पहले मैं लगातार 48 घंटे तक काम कर चुकी हूं. मैंने आजीवन काम किया है. काम से फुर्सत पाने की बात कभी सोची ही नहीं. अब बेटा भी बड़ा हो गया है. इसलिए तालमेल बिठाने में कोई खास दिक्कत नहीं होती.
डीडब्ल्यूः फिल्मों में दोबारा काम शुरू करने पर आपके पति (गोल्डी बहल) का रुख कैसा रहा?
सोनाली बेंद्रेः दरअसल, उहोंने ही मुझे इसके लिए प्रेरित किया. वह लगातार कहते रहते थे कि अब मैं काम का बेहतर मजा ले सकती हूं.
डीडब्ल्यूः अपनी दूसरी पारी में कैसी फिल्मों में काम करना चाहेंगी?
सोनाली बेंद्रेः मैं वैसे रोल नहीं करूंगी जो पहले कर चुकी हूं. अब हर फिल्म में कुछ नई और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं करना चाहती हूं. भूमिकाओं के दोहराव से कोई फायदा नहीं है. मैं ऐसे किरदारों को तरजीह दूंगी जो मेरी उम्र से मेल खाते हों. इसके अलावा फिल्में ऐसी हों जिनको करते समय परिवार प्रभावित न हो.
डीडब्ल्यूः आम तौर पर फिल्मों में वापसी करने वाली हीरोइनें महिला किरदारों पर आधारित फिल्में चुनती हैं. माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी इसकी मिसाल हैं. क्या आपके मन में भी ऐसी कोई योजना है?
सोनाली बेंद्रेः मेरी ऐसी कोई योजना नहीं. अभिनय को किसी खास किरदार या पटकथा की सीमा में बांधना बेमतलब है. फिल्मोद्योग में इस समय निर्देशकों की नई पौध काफी बेहतर काम कर रही है. उनके साथ काम करना दिलचस्प होगा.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः ए जमाल