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श्रीलंका ने नागरिकों के मारे जाने की बात मानी

२ अगस्त २०११

श्रीलंका सरकार ने माना है कि 2009 में एलटीटीई के खिलाफ हुए अभियान में कई आम लोगों की भी जान गई. कहा जनता को पूरी तरह बचा पाना नामुमकिन था.

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This handout photograph provided by the Sri Lanka Army made available Sunday, May 17, 2009 shows Sri Lankan soldiers standing next to an anti- aircraft gun they say they recovered from Tamil Tiger rebels in Putumattalan, Sri Lanka. (AP Photo/Sri Lanka Army)
तस्वीर: AP

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने आलोचना की है कि श्रीलंका सरकार ने 2009 में आम जनता पर हुई हिंसा पर पर्दा डालने की कोशिश की. श्रीलंका सरकार ने सोमवार को एक रिपोर्ट पेश कर यह बात मानी कि तमिल टाइगर्स के खिलाफ हुई आखिरी लड़ाई के दौरान नागरिकों की जान गई. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उस समय सेना के पास और कोई चारा नहीं था.

In this photograph provided by the Sri Lankan army, Sri Lankan army soldier escort a group of ethnic Tamil civilians who arrived in the government controlled area after leaving the Tamil Tiger controlled war zone in Putukudiyiruppu, Sri Lanka, Thursday, May 14, 2009. Doctors and aides abandoned the only hospital in Sri Lanka's war zone amid unrelenting shell attacks, a health official said Thursday. The military said thousands of civilians braved gunfire and fled across the front lines. (AP Photo/Sri Lankan Army, HO) ** EDITORIAL USE ONLY **
तस्वीर: AP

कमजोर कोशिश

एशिया में ह्यूमन राइट्स वॉच के अध्यक्ष ब्रैड एडम्स ने कहा कि यह श्रीलंका सरकार की दुनिया को यह बताने की एक कमजोर कोशिश है कि सेना ने कुछ गलत नहीं किया. एडम्स ने कहा, "आखिरकार श्रीलंका सरकार यह बात मान रही है कि लड़ाई के आखरी महीनों में नागरिकों की जान गई, लेकिन वह इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है. यह सरकार का लड़ाई के दौरान अपने गलत क़दमों पर पर्दा डालने का नया और भद्दा प्रयास है."

दरअसल सोमवार को श्रीलंका के रक्षा सचिव गोतबाया राजपक्षे ने 'ह्यूमैनिटेरियन ऑपरेशन - फैक्चुअल एनेलिसिस' नाम की रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया है कि लड़ाई के दौरान जनता को नुकसान से बचा पाना पूरी तरह मुमकिन नहीं था. साथ ही यह भी कहा गया है कि सैनिकों ने उतना ही बल प्रयोग किया जितने की जरूरत थी और इसे किसी भी स्थिति में रोका नहीं जा सकता था.

Internally displaced Sri Lankan ethnic Tamils wait at a makeshift hospital in Mullivaikal, Sri Lanka, Wednesday, May 13, 2009. (AP Photo)
तस्वीर: AP

संभव नहीं था .

यह रिपोर्ट एलटीटीई के खिलाफ 25 साल तक चली लड़ाई के केवल एक हिस्से को दर्शाती है. इसमें जुलाई 2006 से मई 2009 के बीच चली लड़ाई के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह लड़ाई ऐसे खतरनाक दुश्मन के खिलाफ थी, जिस के कारण आम लोगों की जिंदगी हमेशा खतरे में बनी रहती थी. इस स्तर की लड़ाई में नागरिकों को पूरी तरह नुकसान से नहीं बचाया जा सकता था."

यह पहली बार नहीं है कि श्रीलंका सरकार ने लड़ाई के अंतिम चरण में सेना द्वारा आम नागरिकों पर बल प्रयोग की बात स्वीकार की हो. इस से पहले राजपक्षे ने 2009 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "ऐसा हो सकता है कि नागरिकों की जान गई हो, लेकिन उनकी संख्या इतनी ज्यादा नहीं हो सकती." इस रिपोर्ट में एक बार फिर राजपक्षे की उसी बात को दोहराया गया है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि पूरे ऑपरेशन के दौरान उन्होंने नागरिकों के लिए शून्य क्षति नीति को अपनाया और इस पर अमल भी किया गया.

Sri Lankan ethnic Tamils stand in queues in front of a food distribution truck at a camp for the internally displaced at Manik Farm, in Vavuniya, Sri Lanka, Tuesday, April 28, 2009. (AP Photo)
तस्वीर: AP

दुनिया भर में आलोचना

लड़ाई के अंतिम चरण में मानाधिकार के उलंघन के कारण श्रीलंका सरकार की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कड़ी आलोचना हुई है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने इस मामले की जांच के लिए एक आयोग भी बनाया. माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट उसी के जवाब में पेश की गई है.साथ ही ब्रिटिश चैनल 'चैनल 4' पर लड़ाई के ऐसे चित्र भी दिखाए गए हैं जिस से यह साबित होता है कि सेना ने जान बूझ कर नागरिकों की हत्या की और महिलाओं का शोषण भी. ऐसे भी वीडियो हैं जिसमें देखा जा सकता है कि सेना अस्पताल पर हमला कर रही है. हालांकि सरकार ने कहा है कि इस तरह के हमले आम लोगों को निशाना बनाने के लिए नहीं किए गए थे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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