विक्रम पंडित के खिलाफ एफआईआर
५ जनवरी २०११गुड़गांव के डीएलएफ फेज वन में रहने वाले संजीव अग्रवाल का कहना है कि बैंक ने उनसे 32.43 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. अपनी शिकायत में अग्रवाल ने पुलिस को बताया कि उन्होंने सिटी बैंक में 2004 में एक वेल्थ मैनेजमेंट अकाउंट खोला था. शिकायत में उन्होंने कहा, "बैंक खाली डिमांड ड्राफ्ट, ट्रांसफर फॉर्म और अन्य कई फॉर्मों पर पहले ही ग्राहक के दस्तखत करा लेता है ताकि उन्हें बार बार परेशान न होना पड़े." लेकिन बैंक खाते की स्टेटमेंट शिवराज पुरी की ईमेल के जरिए ही भेजता रहा. शिवराज पुरी इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं.
अग्रवाल ने बताया, "दिसंबर महीने में सिटी बैंक एक एक सीनियर अफसर का फोन आया. उसने कहा कि हमारा कस्टमर रिलेशन ऑफिसर कुछ दिन छुट्टी पर है और बैंक नहीं आएगा. मुझे यह बात थोड़ी खटकी. मैंने उस अफसर से कहा कि मेरा जितना भी निवेश किया गया है, उसकी डीटेल भेजो." जब अग्रवाल को डिटेल मिली तो उनके होश उड़ गए क्योंकि उन्हें जो सूचनाएं पुरी से मिली थीं वे एकदम अलग थीं.
अग्रवाल का आरोप है कि हमने जिन कोरे दस्तावेजों पर दस्तखत करके दिए थे, बैंक ने उनका इस्तेमाल कर लिया. उन्होंने बताया, "अब हमें पता चला है कि पुरी जो स्टेटमेंट भेजता था, उनमें से काफी तो झूठी थीं. पुरी के मुताबिक मेरे निवेश की कुल कीमत 46 करोड़ रुपये थी जबकि असल में यह 15 करोड़ ही है. बाकी पैसा पुरी ने ही निकाल लिया."
गुड़गांव पुलिस ने बैंक के जिन अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है उनमें विलियम आर रोड्स, जॉन गेर्सपाक, डगलर पीटरसन, अमित जारपुरी, अश्विन चड्ढा, अमृता फरमाहन, राहुल सूता, एन राजशेखरन, प्रमित झावेरी और शिवराज पुरी का नाम शामिल है. इस बारे में बैंक ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एम झा