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"सबसे भ्रष्ट देश माना जाता था भारत"

२४ जनवरी २०१८

20 साल पहले दावोस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा आज मानते हैं कि भारत ने दो दशकों में काफी प्रगति की है. उनके कार्यकाल में हुई बैठक में दूसरे देश भारत को सबसे भ्रष्ट देश मानते थे.

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H. D. Deve Gowda
तस्वीर: IANS

साल 1996-97 के दौरान भारत के 11वें प्रधानमंत्री रहे एचडी देवगौड़ा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "प्रधानमंत्री के तौर पर जब मैं विश्व आर्थिक फोरम में शामिल होने गया था, उस समय वहां ऐसा माहौल था कि अन्य देश भारत को सबसे भ्रष्ट देश मानते थे." उन्होंने कहा कि भारत में निवेश की दृष्टि से उस दौर का आर्थिक मंच वर्तमान की तुलना में हितकर नहीं था.

जनता दल (सेक्युलर) के 84 वर्षीय अध्यक्ष ने दोहराते हुए कहा कि उस समय देश कई समस्याओं से जूझ रहा था और कर्ज तले दबा हुआ था. इसके बाद अब देश ने निवेश और आर्थिक परिस्थितियों में विभिन्न मोर्चों पर प्रगति की है. देवगौड़ा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दावोस में विश्व आर्थिक फोरम में शामिल हो कर पूरे अधिवेशन को संबोधित किया.

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जानिए क्या हैं विश्व आर्थिक फोरम के मायने

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 साल पहले और वर्तमान की परिस्थितियां अलग-अलग होने के कारण दोनों अधिवेशनों की तुलना नहीं की जा सकती. देवगौड़ा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर 1995 में भी दावोस में हिस्सा लिया था. उन्होंने कहा कि उस समय विकसित, विकासशील और पिछड़े देश एक दूसरे से मेलजोल और संपर्क बनाकर निवेश करने के उद्देश्य से इकट्ठा हुए थे.

देवगौड़ा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश ने बहुत प्रगति की है. उन्होंने आगे कहा कि यह कोई नहीं कह सकता कि यह किसी एक सरकार की उपलब्धि है. लेकिन दूसरी पार्टियों के नेताओं की आलोचना करके सारी उपलब्धियों का श्रेय लेना नरेंद्र मोदी जानते हैं.

13 राजनीतिक दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री बनने वाले देवगौड़ा ने स्वीकारा कि वर्तमान में भारत को स्थायी सरकार होने का फायदा भी मिल रहा है.

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के अधिवेशन में भारत में निवेश, सरकार द्वारा दफ्तरशाही खत्म करने से निर्माण तथा उत्पादन में अभूतपूर्व सुगमता और विदेशी निवेश पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "इससे पहले 1997 में जब देवगौड़ा जी ने अधिवेशन में हिस्सा लिया था, तब देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चार सौ अरब डॉलर था, जो वर्तमान में उससे छह गुना हो गया है."

भावना अकेला (आईएएनएस)