दावोस में मोदी ने कहा वैश्वीकरण अपनी चमक खो रहा है
२३ जनवरी २०१८विश्व आर्थिक फोरम में अपने पहले भाषण में भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम तो नहीं लिया लेकिन दुनिया में बढ़ते संरक्षणवाद की निंदा की. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की वकालत कर रहे हैं और दावोस में समापन भाषण देंगे. मोदी ने हिंदी में दिए भाषम में कहा, "भूमंडलीकरण के बदले संरक्षणवाद अपना सिर उठा रहा है." मुक्त व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस विकास के नकारात्मक नतीजे "जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से कम खतरनाक नहीं हैं."
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और 'आत्मकेंद्रित' होना दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि भूमंडलीय वास्तविकताओं के चलते आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है. मोदी ने अपने भाषण में पिछले तीन सालों में अपनी सरकार के किए गए सुधारों पर जोर दिया और कहा कि सरकार लालफीताशाही खत्म कर उसकी जगह लाल कालीन बिछा चुकी है और परिवर्तनकारी सुधारों की कार्ययोजना तैयार की है. प्रधानमंत्री के अनुसार "आज भारत में निवेश, भारत की यात्रा, भारत में काम, भारत में निर्माण, भारत से उत्पादन और निर्यात दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए पहले की तुलना में आसान है, क्योंकि हमने 'लाइसेंस-परमिट राज' को खत्म करने और लालफीताशाली को खत्म करने का निर्णय लिया है."
दो दशक पहले 1997 में एचडी देवेगौड़ा के बाद नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक फोरम की बैठक में भाग लेने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं. आर्थिक मुद्दों के अलावा उन्होंने आतंकवाद की भी चर्चा की और कहा, "आतंकवाद हर सरकार की चिंता है. आतंकवाद तब और भयावह हो जाता है, जब हम अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच कृत्रिम अंतर करते हैं." भारतीय प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कई समाज और देश आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "यह वैश्वीकरण प्रतीत होता है, लेकिन यह ठीक उसका उल्टा है. आज हर कोई इंटरकनेक्टेड दुनिया के बारे में बात करता है, लेकिन ऐसा लगता है कि वैश्वीकरण अपनी चमक खो रहा है."
प्रेक्षकों के अनुसार भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का भाषण पिछले साल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा दिए गए भाषण जैसा था लेकिन वह लोगों में वैसा जोश जगाने में नाकाम रहे. शी जिन पिंग ऐसे समय में विश्व आर्थिक फोरम में गए थे जब पश्चिमी दुनिया ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हैरान थी और कोई भी महत्वपूर्ण पश्चिमी नेता दावोस नहीं गया था. उदारवादी और खुले विश्व की सुरक्षा की जिम्मेदारी चीन के कम्युनिस्ट राष्ट्रपति पर छोड़ दी गई थी. इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित सभी विश्व नेता दावोस में मौजूद हैं. शी जिन पिंग इस बार नहीं आए हैं, लेकिन पिछले साल उनके भाषण को विश्व राजनीति में अमेरिका की खाली हुई जगह को भरने का ऐतिहासिक क्षण कहा गया था.
एमजे/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी, आईएएनएस)