महाकीटाणु से बेल्जियम में पहली मौत
१४ अगस्त २०१०बेल्जियम के अधिकारियों का कहना है कि पीड़ित व्यक्ति पाकिस्तान गया था और वहां के अस्पताल में भर्ती रहा. कहा जा रहा है कि अस्पताल में ही दवानिरोधी वायरस एनएमडी-1 उसे अपना शिकार बनाया. यह व्यक्ति जून में पाकिस्तान गया था, वहां एक सड़क हादसे का शिकार होने के बाद वह अस्पताल में भर्ती हुआ. इसके बाद उस व्यक्ति का इलाज बेल्जियम में चला. डॉक्टरों के मुताबिक, ''पाकिस्तान में उसके पांव में घातक चोट लगी. इसके बाद उसे बेल्जियम लाया गया लेकिन वह संक्रमित था.''
डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को बेहद ताकतवर एंटीबायोटिक दवाएं दी गई, लेकिन सुपरबग पर इनका कोई असर नहीं हुआ. सुपरबग इसी वजह से घातक माना जा रहा है. पश्चिमी देशों ने महाकीटाणु को एनएमडी-1 यानी नई दिल्ली मैटालोलेक्टमस-1 नाम दिया है. बेल्जियम के व्यक्ति की मौत के बाद पश्चिमी देशों में सुपरबग का डर फैलने लगा है. ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी सुपरबग से प्रभावित मरीज सामने आ रहे हैं.
उधर भारत सरकार ने सुपरबग को भारत से जोड़े जाने का विरोध किया है. भारत का कहना है कि ऐसा कोई वायरस भारत के अस्पतालों से नहीं फैला है. भारत में अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है.
लेकिन अब मुंबई के हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने दावा किया है कि भारत में महाकीटाणु का सामना महीनों पहले सामने आ चुका है. अस्पताल के कुछ डॉक्टरों का कहना है कि इसी साल मार्च में उन्होंने सुपरबग यानी महाकीटाणु की चेतावनी दी थी. अंजलि शेट्टी, फरहाद कपाड़िया, कैमिला रोड्रिगेज, पायल देशपांडे, आशित हेडगे और राजीव सुमन ने दावा किया है कि महाकीटाणु की जानकारी जनरल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस इंडिया, जेएपीआई को दे दी गई थी.
हिंदुजा हॉस्पिटल का कहना है कि बीते साल अगस्त और नवंबर में 22 मरीजों में सुपरबग इंफेक्शन पाया गया. इसके बाद जेएपीआई के लेख में कहा गया कि सुपरबग जैसा वायरस दुनिया में हर कहीं हो सकता है. लेकिन इसके बाद ब्रिटेन की एक मेडिकल पत्रिका द लांसेट ने सुपरबग को सीधे भारत पाकिस्तान से जोड़ दिया. लांसेट ने जेएपीआई का हवाला देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के अस्पतालों से सुपरबग फैल रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा