भारत से फैल सकता है महाकीटाणु
१२ अगस्त २०१०लंदन के वैज्ञानिकों का कहना है कि मेडिकल टूरिज्म के कारण एक विनाशकारी बैक्टेरिया भारत सहित दक्षिण एशिया से दुनिया भर में फैल सकता है. दक्षिण एशिया और ब्रिटेन के कुछ मरीजों में एक नया जीन मिला है, जिसे न्यू डेल्ही मेटालो बीटा लेक्टामेस या एनडीएम-1 नाम दिया गया है.
बताया जा रहा है कि ये जीन ऐसे मरीजों में मिला है जो भारत, पाकिस्तान में या तो प्लास्टिक सर्जरी या कैंसर के इलाज के लिए आए थे या फिर अंग प्रत्यर्पण के लिए गए.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि एनडीएम-1 नाम का जो एन्जाइम है उस पर कोई भी दवाई काम नहीं करती और अभी तक उसका कोई इलाज नहीं निकल पाया है. ब्रिटेन के डेली मेल अखबार में ये खबर छपी है. ब्रिटिश मेडिकल पत्रिका लांसेट का कहना है कि इस बैक्टेरिया में एक जीन है जिसके कारण बैक्टेरिया तुरंत अपना रूप बदल सकता हैं और इस कारण किसी भी दवाई का असर इन पर नहीं हो सकता.
यह सुपरबग सबसे पहले स्वीडन के एक मरीज में पाया गया जो भारत के अस्पताल में भर्ती था. 2009 में कार्डिफ यूनिवर्सिटी के टिमोथी वाल्श ने इस जीन को दो तरह के बैक्टेरिया में पाया, क्लेसियेला न्युमोनी और एस्केरेशिया कोली. यह सुपरबग ई-कोली बैक्टेरिया के साथ जुड़ा हुआ मिला. ई-कोली बैक्टेरिया के कारण मूत्राशय और श्वास से जुड़े संक्रमण होते हैं.
वैज्ञानिकों को आशंका है कि ये सुपरबग आसानी से दुनिया भर में फैल सकता है क्योंकि भारत इन दिनों सस्ते इलाज के कारण दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है और कई जगहों से मरीज वहां इलाज के लिए जाते हैं. मेडिकल जानकारों के दल को ये एन्जाइम ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में मिला है. माना जा रहा है कि इस बैक्टेरिया पर सबसे कारगर एंटिबायोटिक दवाई कार्बापेनेम्स भी काम नहीं करती है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए जमाल