भारतीय वैज्ञानिक ने सुलझाई सबसे मुश्किल गुत्थी!
१२ अगस्त २०१०विनय कैलिफोर्निया में ह्युलेट पैकर्ड कंपनी की रिसर्च करने वाली शाखा में काम करते हैं. विनय का कहना है कि उन्होंने 'पी वर्सेस एनपी' नाम की पहेली को सुलझा लिया है. यह पहेली उन सात गुत्थियों में शामिल है जिन्हें मैसचुसेट्स के क्ले मैथेमेटिकल इंस्टीट्यूट ने सहस्राब्दि की सबसे मुश्किल पहेलियां माना है. अखबार डेली टेलीग्राफ ने लिखा है कि अगर विनय का दावा सही साबित होता है वह दस लाख अमेरिकी डॉलर के इनाम के हकदार होंगे.
'पी वर्सेस एनपी' नाम की यह पहेली 1971 में स्टीफन कुक और लियोनिड लेविन नाम के गणितज्ञों ने खड़ी की. यह कंप्यूटर साइंस की प्रमुख अनसुलझी समस्याओं में है. सीधे शब्दों में समझने की कोशिश करें तो यह पहली कुछ इस तरह है कि हर वह सवाल जिसका जवाब हां या ना में हो सकता है और जिनकी कंप्यूटर बहुत सटीक तरीके से पुष्टि कर सकता है, क्या कंप्यूटर उसे उसी सटीक तरीके से सुलझा भी सकता है.
विनय ने इसका हल कुछ यूं बताया है कि पी यानी हर वह समस्या जिसका हल ढूंढना और उसकी पुष्टि करना आसान है, एनपी के बराबर नहीं है. यहां एनपी से मतलब उस समस्या से है जिनका हल खोजना लगभग असंभव है, लेकिन उसकी पुष्टि करना आसान है. 'पी वर्सेस एनपी' इस बात का पता लगाने का काम करती है कि बड़ी से बड़ी गणना का हल कितनी जल्दी निकाला जा सकता है.
विनय ने अपने हल को इंटरनेट पर डाल दिया है और अब कंप्यूटर साइंस के जानकार इस हल को जांच रहे हैं.
मैसचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में कंप्यूटर साइंस पढ़ाने वाले स्कॉट आरोनसन तो इस बात को लेकर इतने उत्सुक हैं कि उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिख दिया है कि अगर क्ले इंस्टीट्यूट विनय के हल को स्वीकार कर लेता है तो वह विनय को दो लाख डॉलर अपनी तरफ से देंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार