तुर्की में संविधान पर ऐतिहासिक जनमतसंग्रह
१४ सितम्बर २०१०जाहिर है कि इस्लाम की ओर झुकी हुई पार्टी एकेपी के नेता प्रधानमंत्री एर्दोआन जनमत संग्रह के परिणामों से बेहद संतुष्ट थे
इसका संदेश यह है कि तुर्क जनता एक प्रगतिशील लोकतंत्र पर हामी भरती है, वह आजादी के लिए हामी भरती है, विधि व्यवस्था पर अभिजातों के बर्चस्व के बदले न्याय शासित राज्य के लिए हामी भरती है. - रेसेप तय्यिप एर्दोआन
तुर्क प्रधानमंत्री एर्दोआन के शब्द. 58 फीसदी नागरिकों ने संविधान के सुधार के पक्ष में मतदान किया. 77 फीसदी मतदाताओं ने इसमें भाग लिया. इसके परिणामस्वरूप अब संसद के अधिकार बढ़ेंगे, संवैधानिक अदालत के न्यायाधीशों की नियुक्ति पर उसका प्रभाव बढ़ेगा. अब तक के संविधान को बनाने में सेना की प्रमुख भूमिका थी, उसकी ताकत अब घटेगी. तीस साल पहले सैनिक जनरलों ने सत्ता हड़प ली थी, पांच लाख लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था, उन्हें यातनाएं दी गई थीं, पचास लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. अब इस सुधार के बाद उन पर मुकदमा चलाया जा सकेगा. इस सुधार के तहत यह भी तय किया गया है कि अब सैनिक अदालतों में असैनिक नागरिकों को सजा नहीं दी जा सकेगी.
तुर्क जनता इस परिणाम से खुश है, जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी.
यह इस बात का संकेत है कि तुर्की घरेलू मोर्चे पर भी सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है. साथ ही यह दिखाता है कि कि तुर्की की नज़र यूरोप की ओर है. - गीदो वेस्टरवेले
लेकिन क्या यूरोप, यानी यूरोपीय संघ की नज़र तुर्की की ओर हैं? स्पेन और स्वीडन का कहना है कि इससे यूरोप का दरवाजा खुला है, लेकिन जर्मनी और फ्रांस अभी तक इस बात के कायल नहीं हैं, कि तुर्की को यूरोपीय संघ की सदस्यता दी जाए. वैसे एर्दोआन को एक मजबूत सहारा मिला है, जनमतसंग्रह के परिणाम आने के बाद तुर्क शेयर बाजार में भारी उछाल आई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: अशोक कुमार