जापान बना एशिया कप का विजेता
३० जनवरी २०११तदनारी ने 105वें मिनट में गोल दागा और ब्राजील में होने वाले 2013 के कॉनफेडरेशन कप में जगह बना ली है. जापान ने इसके पहले 1992, 2000 और 2004 में एशिया कप जीता था.
90 मिनट तक ऑस्ट्रेलिया और जापान में से कोई टीम गोल नहीं कर पाई. इस कारण एक्स्ट्रा टाइम शुरू हुआ और लग रहा था कि पेनल्टी किक की बारी आ जाएगी, लेकिन ली के गोल ने ऑस्ट्रेलिया की जीत का सपना धूमिल कर दिया.
जापानी टीम के इतालवी कोच अलबैर्तो जाक्केरोनी ने ली की तारीफ की और टीम की भी. "यह बहुत ही शानदार जीत है. वह साथ मिल कर खेले और इतने कड़े प्रतिस्पर्धी को टक्कर दी. मुझे पता था कि वह करेगा. इस टीम के खिलाड़ी इसे जबरदस्त बनाते हैं जो पिच पर नतीजे ले कर आते हैं."
ऑस्ट्रेलिया के जर्मन कोच होल्गर ओसिएक ने भी अपने खिलाड़ियों की तारीफ की. "आप सोच सकते हैं कि दूसरे नंबर पर आने से हम कितने दुखी हैं क्योंकि हमारे पास मौके थे, लेकिन हम उन्हें गोल में नहीं बदल सके. लेकिन मुझे खिलाड़ियों पर गर्व है और टूर्नामेंट के दौरान उनके व्यव्हार पर भी. मैं खिलाड़ियों के लिए दुखी हूं क्योंकि उन्हें कोशिशों का फल नहीं मिला."
दोनों टीमों ने अपने अब तक खेले गए मैचों में 13-13 गोल किए और संभावना जताई जा रही थी कि ऑस्ट्रेलिया ही जीतेगी.
शुरुआती मिनट में ही हैरी केवेल ने गोल की ओर गेंद मारी लेकिन गोल नहीं हुआ. जापान के शिंजी कागावा के टीम में नहीं होने के कारण ऑस्ट्रेलिया मजबूत मानी जा रही थी. कागावा के पंजे की हड्डी दक्षिण कोरिया के साथ पेनल्टी शूट आउट के दौरान टूट गई. ऑस्ट्रेलिया को 15वें मिनट में ही गोल कर देना था जब ब्रेट होलमन ने पास दिया लेकिन कार्ल वालेरी मौका चूक गए. जापान ऑस्ट्रेलिया की रक्षा पंक्ति तोड़ने की पुरजोर कोशिश करते रहे.
पहले हाफ में जापान हावी रहा लेकिन ब्रेक के बाद ऑस्ट्रेलिया खेल में लौटा और 49वें मिनट में गोल होते होते बचा जब लूक विल्कशर की गेंद गोल में जाने की बजाए खंबे से टकरा गई और काहिल ने फिर किक मारी. ऑस्ट्रेलिया ने गोल का दावा किया लेकिन रिप्ले में दिखाई दिया कि बॉल गोल लाइन के पार नहीं गई. जापान ने भी कई मौके गंवाएं. खेल एक्स्ट्रा टाइम की ओर बढ़ चला था, इस दौरान केवेल की जगह रॉबी क्रूसो को मैदान में भेजा गया उन्होंने भी गोल का एक मौका गंवा दिया.
फिर ली मैच के हीरो बन गए जब आखिरी क्षणों में उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला और टीम के लिए विजयी गोल दागा. "मैं खुद से बात करता रहता था कि मैं हीरो बनूंगा. और मैं बहुत खुश हूं कि मैं गोल कर सका."
रिपोर्टः एजेंसियां आभा एम
संपादनः एस गौड़