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अर्जुन मुंडा बने तीसरी बार झारखंड के सीएम

११ सितम्बर २०१०

बीजेपी के शीर्ष नेताओं की नाराजगी और गैर मौजूदगी के बीच अर्जुन मुंडा ने झारखंड के आठवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली. मुंडा ने तीसरी बार इस राज्य की कमान संभाली है.

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फिर बने मुख्यमंत्रीतस्वीर: UNI

झारखंड के राज्यपाल एमओएच फारुक ने मुंडा को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. मुंडा के अलावा जेएमएम के हेमंत सोरेन और अखिल झारखंड छात्र संघ के सुदेश महतो ने भी उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. राज्यपाल ने मुंडा को एक हफ्ते के अंदर 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है.

Dürre im indischen Bundesstaat Jharkand
सूखे में झारखंडतस्वीर: UNI

जैसा कि पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे, बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे. समारोह में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह के अलावा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल दिखे. पहले से ही कहा जा रहा था कि आडवाणी समेत पार्टी के दूसरे प्रमुख नेता शिबू सोरेन की अगुवाई वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठजोड़ के सहारे सरकार के गठन के खिलाफ थे.

यह फैसला पार्टी अध्यक्ष गडकरी और राजनाथ सिंह ने किया. अर्जन मुंडा ने शपथ लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सरकार की प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि वे सूखे की हालत से निपटने की दिशा में कदम उठाएंगे.

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस बात का खंडन किया कि झारखंड में जेएमएम के समर्थन से अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर पार्टी में कोई मतभेद है. उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में सरकार के गठन के सवाल पर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. यह सब मीडिया की उपज है.

समझा जाता है कि 14 सितंबर को विधानसभा के एक दिवसीय अधिवेशन में मुंडा विश्वासमत का प्रस्ताव पेश कर सकते हैं. उसके बाद ही राज्य में बाकी नौ मंत्रियों का चयन होने की संभावना है. बीजेपी नेताओं ने सफाई दी है कि एक ही दिन ईद और गणेश चतुर्थी होने की वजह से ही आडवाणी शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंच सके. लेकिन असलियत कुछ और ही है.

मई में जेएमएम ने संसद में यूपीए के समर्थन में वोट डाला था. बीजेपी करार के विरोध में थी. इसलिए झारखंड में अपनी सहयोगी जेएमएम के इस रुख पर वह नाराज हो गई और शिबू सोरेन की अगुवाई में चल रही गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. लेकिन अब राज्य में बीजेपी ने उसी जेएमएम के एक नेता को उप मुख्यमंत्री बना कर उसके समर्थन से फिर सरकार का गठन किया है.

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि आडवाणी पहले तो जेएमएम से हाथ मिलाने के ही खिलाफ थे. लेकिन जब सब कुछ तय हो गया तो वे चाहते थे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी यशवंत सिन्हा को सौंपी जाए ताकि इस पिछड़े राज्य में एक स्थायी सरकार का गठन हो सके.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि मुंडा ने ऐसे समय राज्य की कमान संभाली है जब झारखंड कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहा है. राज्य में गरीबी, बेरोजगारी,भ्रष्टाचार, नक्सली हिंसा, अशिक्षा जैसी समस्या खतरनाक सतर तक बढ़ी हुई है. झारखंड लगातार दूसरे साल जबरदस्त सूखे की चपेट में है. इसकी वजह से गांवों से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है.

इसके अलावा मंत्री पदों के बंटवारे में भी मुंडा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. राज्य में मुंडा समेत 12 मंत्री ही हो सकते हैं.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः ए जमाल

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