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अर्जुन मुंडा ने पेश किया सरकार बनाने का दावा

७ सितम्बर २०१०

झारखंड में बीजेपी विधायक दल के नेता अर्जुन मुंडा ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. मंगलवार को वह झारखंड मुक्ति मोर्चा, एजेएसयू और जेडीयू पार्टी के 44 विधायकों की सूची लेकर राज्यपाल एमओएच फारूकी से मिले.

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मुंडा ने पेश किया दावातस्वीर: UNI

झारखंड में तीन महीने पहले बिखरी गठबंधन सरकार के सहयोगी फिर एक दूसरे के करीब आ गए हैं. लेकिन कमान इस बार बीजेपी के हाथ में होगी. मंगलवार को रांची में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई जिसमें रघुवर दास के इस्तीफे के बाद अर्जुन मुंडा को नया नेता चुना गया. इसके बाद अर्जुन मुंडा राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया. राजभवन से निकलने के बाद अर्जुन मुंडा ने कहा कि उन्होंने 44 विधायकों के साथ राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है.

अर्जुन मुंडा ने विधायकों की जो सूची सौपी है उसमें बीजेपी और जेएमएम के 18-18 विधायक, जेडीयू के दो विधायक और एजेएसयू के पांच विधायकों के अलावा दो निर्दलीय एमएलए भी शामिल हैं. अर्जुन मुंडा जब राज्यपाल से मिलने गए तो उनके साथ एजेएसयू के मुखिया सुदेश महतो और जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन भी थे. जेएमएम का कहना है कि उसने सरकार बनाने की बीजेपी की पहल को बिना शर्त समर्थन दिया है. अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्यपाल ने कहा है कि सभी मसलों पर गौर करने के बाद वह सरकार के गठन के बारे में सूचित करेंगे.

हो सकता है कि जेएमएम की हालिया पैंतरेबाजियों के मद्देनजर राज्यपाल सब चीजों को परख लेना चाहते हैं. झारखंड में पिछले साल हुए चुनावों में खंडित जनादेश मिला. इसके बाद बीजेपी और जेएमएम ने गठबंधन सरकार बनाई. लेकिन तीन महीने पहले बीजेपी और जेएमएम की गठबंधन सरकार उस वक्त बिखर गई, जब बजट सत्र के दौरान लोकसभा में कटौती प्रस्ताव पर जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन ने यूपीए सरकार के पक्ष में मतदान किया.

इससे नाराज बीजेपी ने 28 अप्रैल को सोरेन सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया. बाद में हेमंत सोरेन की तरफ से बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को पत्र लिखे जाने पर बीजेपी ने समर्थन वापसी के फैसले को रोक दिया. इस पत्र में जेएमएम ने कहा कि वह बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार है. लेकिन जेएमएम अपनी बात से पीछे हट गई और बारी बारी से सरकार का नेतृत्व करने की मांग करने लगी. इस बात पर सहमति बनी कि 25 मई को सोरेन मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे जिसके बाद मुंडा अगली गठबंधन सरकार का नेतृत्व करेंगे.

लेकिन जब जेएमएम सत्ता साझेदारी की डील से भी पीछे हट गई, तो हताश होकर बीजेपी ने 23 मई को शिबू सोरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद सोरेन सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया. अब फिर दोनों पार्टियां साथ हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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