WEBVTT 1 00:00:01.340 --> 00:00:07.640 तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले में 30 साल से फल फूल रही श्रिंप यानी झींगा मछली की 2 00:00:07.640 --> 00:00:10.130 खेती पर खतरा मंडराने लगा है. 3 00:00:10.280 --> 00:00:15.290 झींगा किसान शिव ने छोटे खेत से शुरुआत की थी, अब उनके पास सैकड़ों 4 00:00:15.290 --> 00:00:16.579 एकड़ जमीन है. 5 00:00:20.940 --> 00:00:24.600 लेकिन साल दर साल उनका काम सिकुड़ता जा रहा है. 6 00:00:29.280 --> 00:00:32.340 ज्यादा कमाई के लिए ही मैंने झींगा फार्मिंग चुनी थी. 7 00:00:32.760 --> 00:00:36.450 मैं पारंपरिक फसलों के मुकाबले ज्यादा पैसा कमाना चाहता था. 8 00:00:36.659 --> 00:00:39.810 श्रिंप इंडस्ट्री में सभी को अच्छा मुनाफा मिल रहा था. 9 00:00:39.850 --> 00:00:43.710 देखते ही देखते लागत का चार गुना मुनाफा हो जाता था. 10 00:00:43.890 --> 00:00:48.570 आज हम बड़ी मुश्किल से लागत पर ही झींगा मछली बेच पा रहे हैं. 11 00:00:48.570 --> 00:00:52.200 और वो भी तभ, जब साल भर सब कुछ सही रहे. 12 00:00:57.080 --> 00:01:01.610 झींगा खेती में गिरते मुनाफे की सबसे बड़ी वजह है- फिश-मील. 13 00:01:01.610 --> 00:01:05.630 दुनिया भर में एक्वाकल्चर यानी मछली-पालन में मछलियों का ये 14 00:01:05.630 --> 00:01:06.670 सामान्य चारा है. 15 00:01:06.690 --> 00:01:10.040 ये चारा अक्सर मछलियों से ही तैयार किया जाता है. 16 00:01:10.410 --> 00:01:14.840 मांग बहुत ज्यादा ही है इसलिए महासागरों में मछलियां तेजी से कम हुई हैं. 17 00:01:15.140 --> 00:01:18.770 नतीजतन, झींगा किसानों को दूसरे विकल्प ढूंढने पड़े हैं. 18 00:01:19.100 --> 00:01:23.390 जैसे, वे महंगी फिश-मील में कीड़ों से बना चारा मिला रहे हैं. 19 00:01:29.040 --> 00:01:31.580 भारत में कीड़ा खेती हाल में ही शुरू हुई. 20 00:01:31.590 --> 00:01:36.360 इसमें लोगों की दिलचस्पी – शहरों के कूड़े और जैविक कचरे को अपसाइकिल 21 00:01:36.360 --> 00:01:39.330 करने वाले पर्यावरणीय प्रबंधन के रूप में है. 22 00:01:39.360 --> 00:01:44.100 लेकिन लोगों को जल्द ही अहसास हो गया कि इन कीड़ों की पौष्टिकता अधिकांश 23 00:01:44.100 --> 00:01:47.000 झींगा प्रजातियों की जरूरत से मेल खाती है. 24 00:01:47.010 --> 00:01:50.430 तो उस संदर्भ में, कीड़ा-चारे की अहमियत बढ़ती जा रही है. 25 00:01:50.670 --> 00:01:53.790 खासकर एक्वाकल्चर और पशु आहार के रूप में. 26 00:01:56.700 --> 00:02:01.440 बचत के इरादे से शिव ने जो काम शुरू किया उसके नतीजे चौंकाने वाले रहे. 27 00:02:02.070 --> 00:02:05.030 झींगा मछली तेजी से बढ़ रही हैं. 28 00:02:05.040 --> 00:02:08.630 उनके लिए, पहले वे चारे में अतिरिक्त पोषक तत्व मिलाते थे. 29 00:02:09.090 --> 00:02:14.220 अब वो बिना अतिरिक्त खर्चे के इस इंसेक्ट फूड का उपयोग कर सकते हैं. 30 00:02:14.220 --> 00:02:16.669 वो भी काफी कम तैयारी के साथ. 31 00:02:20.513 --> 00:02:29.547 कीड़ों को मसलने, उबालने और आगे प्रोसेस करने की जरूरत नहीं होती तो उनसे 32 00:02:29.669 --> 00:02:33.510 कोई कचरा भी नहीं निकलता है. 33 00:02:33.510 --> 00:02:35.610 इस्तेमाल करना आसान है. 34 00:02:35.760 --> 00:02:39.750 झींगे का मल भी पहले के मुकाबले आधा रह गया है. 35 00:02:40.470 --> 00:02:45.480 उनका अपशिष्ट अब ज्यादा आसानी से विघटित हो जाता है तो इसलिए पानी भी 36 00:02:45.480 --> 00:02:46.400 साफ रहता है. 37 00:02:47.477 --> 00:02:53.190 कीड़े वाला चारा शिव के खेत के काफी काम आया लेकिन वो झींगा एक्वाकल्चर 38 00:02:53.190 --> 00:02:55.919 की सबसे बड़ी चुनौती को हल नहीं कर पाया. 39 00:02:57.300 --> 00:03:01.800 ब्रीडिंग पानी के टैंको में होती है, तो उनमें साफसफाई और झींगा मछलियों 40 00:03:01.800 --> 00:03:05.790 को बीमारियों से मुक्त रखना किसानों के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है. 41 00:03:09.990 --> 00:03:13.290 हम एक बीमारी से निपट नहीं पाते है कि दूसरी आ जाती है. 42 00:03:13.290 --> 00:03:18.300 एक खास बीमारी है व्हाइट फीकल डिजीज, उससे इंडस्ट्री को सालों से भारी 43 00:03:18.300 --> 00:03:19.740 नुकसान हो रहा है. 44 00:03:21.750 --> 00:03:26.850 शिव के तटीय गांव से 400 किलोमीटर दूर, बायोटेक्नोलजी की एक स्टार्टअप 45 00:03:26.880 --> 00:03:31.889 कंपनी अल्ट्रान्युट्री, बीमारी से जूझती झींगा खेती के लिए समाधान 46 00:03:31.889 --> 00:03:32.970 ढूंढ रही है. 47 00:03:33.180 --> 00:03:36.510 इसके लिए हजारों ब्लैक सोल्जर मक्खियों की ब्रीडिंग कराई 48 00:03:36.510 --> 00:03:37.500 जा रही है. 49 00:03:37.980 --> 00:03:41.220 नाम पर ना जाए, ये मक्खियां इंसानों का नुकसान नहीं करती. 50 00:03:41.580 --> 00:03:44.847 इनके लार्वा बहुत असरदार होते हैं. 51 00:03:45.890 --> 00:03:51.930 वे असल में जैविक पदार्थ, मृत जानवर या सड़े हुए भोजन को साफ 52 00:03:51.930 --> 00:03:52.980 कर देते हैं. 53 00:03:53.340 --> 00:03:58.020 जिसका मतलब कीड़ों के लार्वा एक मुश्किल पर्यावरण में पनपने 54 00:03:58.020 --> 00:04:00.150 के लिहाज से विकसित हुए हैं. 55 00:04:00.720 --> 00:04:05.400 और जब ये पेप्टाइड युक्त कीड़े, झींगा मछली को खिलाए जाते हैं तो 56 00:04:05.400 --> 00:04:10.230 हमने लैब के स्तर पर दिखाया है कि उनकी इम्युनिटी बढ़ जाती है जिससे 57 00:04:10.410 --> 00:04:12.630 वो बीमारियों की चपेट में नहीं आती. 58 00:04:15.360 --> 00:04:19.500 एक नियंत्रित चौकस पर्यावरण में मक्खियों का प्रजनन करवाया जाता है. 59 00:04:21.360 --> 00:04:26.370 अंडे देने के 25 दिन बाद उनके लार्वा इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाते हैं. 60 00:04:28.950 --> 00:04:33.270 प्रोटीन से भरपूर इन लार्वा को फिर छांट कर अलग किया जाता है. 61 00:04:36.110 --> 00:04:40.000 हम उन्हें यहां लेकर आते हैं, रात भर एक ट्रे में भरकर सुखा देते हैं. 62 00:04:40.180 --> 00:04:43.270 उनका पूरा पानी सुखा दिया जाता है ताकि वे लंबा चल पाएं. 63 00:04:43.270 --> 00:04:45.810 हमें तब ये मिलता है, एकदम सूखा माल. 64 00:04:51.520 --> 00:04:54.720 उच्च पोषण वाले इंसेक्ट लार्वा को चारे के रूप में तैयार कर 65 00:04:54.900 --> 00:04:55.950 लिया जाता है. 66 00:04:55.980 --> 00:05:00.390 आसानी से ट्रांसपोर्ट के लायक है, लंबे समय तक ये टिका भी रहता है. 67 00:05:04.380 --> 00:05:08.450 ब्लैक सोल्जर मक्खी का पहला काम एक्वाकल्चर के लिए इंसेक्ट मील तैयार 68 00:05:08.460 --> 00:05:10.020 करने में मदद का है. 69 00:05:10.110 --> 00:05:14.220 आज जाहिर है झींगे पर हमारा ध्यान है लेकिन उसका इस्तेमाल दूसरे 70 00:05:14.230 --> 00:05:18.300 एक्वाकल्चर में भी किया जा सकता है, चाहे वो सालमन हो या कुछ और. 71 00:05:20.400 --> 00:05:26.160 इस बीच, भारत सरकार ने एक्वाकल्चर उत्पादन को 2030 तक दोगुना करने का 72 00:05:26.170 --> 00:05:27.330 लक्ष्य रखा है. 73 00:05:28.890 --> 00:05:33.270 इन लक्ष्यों को टिकाऊ ढंग से पूरा करने के लिए कीड़ों से बने चारे का 74 00:05:33.270 --> 00:05:35.880 उपयोग ही एकमात्र तरीका है. 75 00:05:36.270 --> 00:05:39.900 फिर महासागर भी मछलियों से खाली नहीं होते रहेंगे.