WEBVTT 1 00:00:01.610 --> 00:00:05.360 सैलानियों के लिए तस्वीरें खींचने की पसंदीदा जगह हैं शिकारे. 2 00:00:05.630 --> 00:00:10.070 पानी पर तैरती ये छोटी कश्तियां छुट्टियां बिताने वालों को उनके 3 00:00:10.070 --> 00:00:11.800 ठिकानों तक पहुंचाती है. 4 00:00:11.810 --> 00:00:16.430 ठिकाने हैं – हाउसबोट्स जो ब्रिटिश काल से तटों पर लगी हैं. 5 00:00:16.970 --> 00:00:20.470 उस वक्त पानी के किनारे घर बनाने की मनाही थी . 6 00:00:20.480 --> 00:00:24.079 अंग्रेज़ तो चले गए लेकिन हाउसबोट्स टिकी रहीं. 7 00:00:24.560 --> 00:00:27.190 फिलहाल डल झील पर थोड़ी शांति है. 8 00:00:27.200 --> 00:00:31.700 ऑफ सीजन चल रहा है और मंजूर अहमद शल्ला के पास सांस लेने 9 00:00:31.700 --> 00:00:32.830 की फुर्सत है. 10 00:00:32.850 --> 00:00:36.840 पीढ़ियों से वो और उनका परिवार, पर्यटन पर गुज़ारा करते आ रहे है. 11 00:00:40.530 --> 00:00:44.520 मेरी पैदाइश इसी झील पर हुई और यहां के लोग इसी के सहारे जिंदा हैं. 12 00:00:47.810 --> 00:00:54.200 1980 के दौर से पहले, लोग पीने और खाना पकाने के लिए यहां का पानी 13 00:00:54.200 --> 00:00:55.500 इस्तेमाल करते थे. 14 00:00:55.520 --> 00:01:01.543 लेकिन 1991 के बाद से इंसानी गतिविधि बेतहाशा बढ़ी तो प्रदूषण भी बढ़ गया. 15 00:01:02.930 --> 00:01:08.510 डल झील कश्मीर घाटी में करीब 1500 मीटर की ऊंचाई पर जबरवान पहाड़ियों 16 00:01:08.520 --> 00:01:10.800 और श्रीनगर शहर के बीच स्थित है. 17 00:01:10.819 --> 00:01:16.400 शहर का 4 करोड़ 40 लाख लीटर से ज्यादा बेकार पानी रोज़ाना बह कर 18 00:01:16.410 --> 00:01:19.030 आसपास के इलाकों में आ जाता है. 19 00:01:19.250 --> 00:01:22.700 झील के इर्दगिर्द ही करीब 50 हजार लोग रहते हैं. 20 00:01:22.700 --> 00:01:26.700 वे भी अपना कचरा झील के किनारे डालते हैं. 21 00:01:28.134 --> 00:01:31.405 अंकेरा और उनके पिता आयरलैंड से यहां छुट्टियां मनाने आये है. 22 00:01:31.644 --> 00:01:33.696 झील की हालत देखकर वो निराश है. 23 00:01:35.510 --> 00:01:39.740 मैं मानती हूं कि झील के साथ हमेशा से एक खास भावना जुड़ी होती है- कि 24 00:01:39.740 --> 00:01:41.540 वो सुंदर और नीली होती है. 25 00:01:41.569 --> 00:01:45.260 लेकिन हकीकत तो बिल्कुल अलग है क्योंकि लोग उसके सहारे रहते हैं. 26 00:01:46.040 --> 00:01:50.630 जाहिर है बहुत सारा कचरा पड़ा हुआ है, बहुत सा प्लास्टिक अभी भी झील 27 00:01:50.630 --> 00:01:51.920 में फेंका जाता है. 28 00:01:54.020 --> 00:01:58.220 65 साल के गुलाम रसूल इस स्थिति से परेशान हो चुके हैं. 29 00:01:59.210 --> 00:02:04.430 हर 20-22 दिन में वो और उनके गांव के अन्य लोग, पर्यटकों और स्थानीय 30 00:02:04.430 --> 00:02:07.700 निवासियों का फेंका हुआ कचरा उठाने के लिए निकलते हैं. 31 00:02:11.560 --> 00:02:15.570 लेकिन रसूल जानते हैं कि और भी कुछ करने की जरूरत है. 32 00:02:15.570 --> 00:02:20.580 वह कहते हैं, की गंदे पानी को झील में आने बहने से रोकना होगा. 33 00:02:20.970 --> 00:02:25.530 लिहाजा कई साल से वह एक स्थानीय सीवेज सिस्टम तैयार करने की कोशिशों 34 00:02:25.530 --> 00:02:27.150 में जुटे हुए हैं. 35 00:02:30.750 --> 00:02:35.760 जो ड्रेनेज व्यवस्था आप यहां देख रहे हैं वो 20 साल पहले हमारी बनाई 36 00:02:35.970 --> 00:02:37.400 व्यवस्था से प्रेरित है. 37 00:02:37.410 --> 00:02:40.440 हमारे परिवार ने 21 घरों के लिए दो गड्ढे खोदे. 38 00:02:41.010 --> 00:02:44.220 पानी हमारे बनाए गहरे गड्ढों में बह जाता है. 39 00:02:44.490 --> 00:02:48.480 शुरू में मैंने पहल की, अपने घर के सीवेज को बहने से रोका. 40 00:02:48.600 --> 00:02:53.400 जब स्थानीय प्रशासन ने देखा कि मैंने क्या किया था तो उसने यही ड्रेनेज 41 00:02:53.400 --> 00:02:54.810 सिस्टम बना दिया. 42 00:02:54.960 --> 00:02:56.850 सारा इलाका इससे जुड़ा है. 43 00:02:56.910 --> 00:02:59.700 थोड़ा काम बाकी है, लेकिन जल्द ही पूरा होगा. 44 00:03:00.030 --> 00:03:04.770 वहां से ड्रेनेज नेटवर्क इलाकों मे चारों तरफ जाता है, सारे मोहल्ले के 45 00:03:04.770 --> 00:03:05.570 काम आता है. 46 00:03:05.580 --> 00:03:08.460 जहां करीब 120 परिवार रहते हैं. 47 00:03:12.313 --> 00:03:18.840 अपने गांव में मिली कामयाबी के बाद गुलाम रसूल दूसरे गांवो में भी सीवेज 48 00:03:18.840 --> 00:03:20.760 नेटवर्क बनाना चाहते हैं. 49 00:03:21.000 --> 00:03:24.570 उनके बहुत से पड़ोसी अपना भोजन खुद उगाते हैं. 50 00:03:25.080 --> 00:03:29.760 गोभी पत्ता, गाजर और कमलककड़ी बेचकर वो पैसे कमाते हैं. 51 00:03:30.150 --> 00:03:32.960 सभी लोग एक साफ झील चाहते हैं. 52 00:03:32.970 --> 00:03:37.530 और इसके लिए नियमित रूप से साथ मिलकर सफाई भी करते हैं. 53 00:03:40.440 --> 00:03:43.500 झील में दूसरी बड़ी समस्या गाद भरने की है. 54 00:03:43.500 --> 00:03:47.610 हम गाद निकालकर इस समस्या को अपने आप सुलझाने की कोशिश करते हैं. 55 00:03:47.850 --> 00:03:51.720 फिर उस गाद को खेतों में खाद के तौर पर इस्तेमाल कर लेते हैं. 56 00:03:52.230 --> 00:03:56.220 लोग अपनी झील को बचाने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं. 57 00:03:57.150 --> 00:04:00.210 अगर इसे कुछ हुआ तो हम सब कुछ गंवा देंगे. 58 00:04:00.210 --> 00:04:05.160 इसलिए किसानों, नाविकों, झील पर रहने वाले आठ अन्य समुदायों के लोगों को 59 00:04:05.160 --> 00:04:07.590 हमारे साथ मिलकर काम करना चाहिए. 60 00:04:11.430 --> 00:04:16.500 कुछ साल पहले, सरकार ने समस्या का एक बड़ा, लेकिन तुरत-फुरत समाधान दिया था. 61 00:04:16.710 --> 00:04:22.020 उसने डल झील के करीब 10 हजार निवासियों को वहां से हटाकर श्रीनगर 62 00:04:22.020 --> 00:04:24.470 के दूसरे छोर पर बसा दिया. 63 00:04:24.480 --> 00:04:27.870 लेकिन वहां उनके पास रोज़ीरोटी का कोई साधन नहीं है. 64 00:04:28.360 --> 00:04:32.820 इसलिए दिन के समय पैसा कमानेवो लोग यहां आते हैं. 65 00:04:35.550 --> 00:04:37.880 सरकार ने दूसरे उपाय भी किए. 66 00:04:37.890 --> 00:04:43.470 झील की हाउसबोटों से मल, गंदगी, तेल और साबुन का अवांछित बहाव रोकने के 67 00:04:43.480 --> 00:04:46.890 लिए ड्रेजर और फ्लोटिंग सीवेज सिस्टम बनाए गए. 68 00:04:47.370 --> 00:04:50.520 इसके लिए करीब 3 करोड़ यूरो खर्च हुए. 69 00:04:50.610 --> 00:04:54.660 झील के किनारों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं. 70 00:04:56.190 --> 00:05:00.510 लेकिन कश्मीर यूनिवर्सिटी में बॉटनिस्ट प्रोफेसर मंजूर अहमद शाह 71 00:05:00.510 --> 00:05:03.950 कहते हैं कि ऐसे समाधान ज्यादा देर तक नहीं टिकते. 72 00:05:05.250 --> 00:05:09.390 इस सिस्टम को अभी तक इंजीनियरिंग के लिहाज से ही देखा जा रहा है. 73 00:05:09.810 --> 00:05:13.950 तलछट, पाइप डालने और एयरेशन सिस्टम लगाने पर ध्यान है. 74 00:05:14.550 --> 00:05:18.570 लेकिन हमें झील की पारिस्थितिकी के विज्ञान को उसकी समग्रता 75 00:05:18.570 --> 00:05:19.950 में समझना होगा. 76 00:05:21.089 --> 00:05:24.120 हाल के बरसों में, झील का जलस्तर गिरा है. 77 00:05:24.550 --> 00:05:28.440 इससे कुछ स्थानीय प्रजातियों के बसेरे उजड़ गए हैं. 78 00:05:28.440 --> 00:05:35.070 इस बीच कुछ घुसपैठिये पौधे भी पनप आए हैं इससे झील का ईकोसिस्टम बिगड़ गया है. 79 00:05:35.820 --> 00:05:39.040 लेकिन फिर भी कुछ समाधान मुमकिन हैं. 80 00:05:39.350 --> 00:05:44.970 हम देख रहे हैं कि विज्ञान के जरिए उनका कुछ फायदा हो सकता है या नहीं, 81 00:05:45.330 --> 00:05:50.190 जैसे कि कुछ डाइ, मोम, कागज, कुछ दवाएं उनसे बनाई जा सकती 82 00:05:50.190 --> 00:05:51.080 हैं या नहीं. 83 00:05:51.089 --> 00:05:56.220 और अगर हम यह कर पाए तो यह शून्य निवेश वाला बायोमास हर जगह उपलब्ध 84 00:05:56.220 --> 00:05:59.640 होगा और आप आसानी से उसका इस्तेमाल कर सकेंगे. 85 00:06:03.390 --> 00:06:08.100 मंजूर शाह यह भी कहते हैं कि पर्यटन से होने वाली आमदनी पर पांच फीसदी टैक्स 86 00:06:08.310 --> 00:06:09.770 लगाया जा सकता है. 87 00:06:09.779 --> 00:06:14.400 उससे होने वाली आमदनी का इस्तेमाल सीधे झील की बहाली के उपायों पर हो 88 00:06:14.410 --> 00:06:15.510 सकता है. 89 00:06:16.110 --> 00:06:21.120 मंजूर अहमद शल्ला को पूरी उम्मीद है कि डल झील जल्द ही उबर आएगी. 90 00:06:21.330 --> 00:06:24.870 ऐसा होने पर ही टूरिस्ट यहां आना जारी रखेंगे. 91 00:06:24.870 --> 00:06:29.260 और तभी भविष्य की पीढ़ियां भी अपनी रोजीरोटी कमा पाएंगी.