होली आई रे, जरा बच के...
होली रंगों और भावनाओं का त्योहार है. रासायनिक रंगों के बदले अब प्राकृतिक रंगों के लिए लोगों में जागरुकता बढ़ रही है.
मौज मस्ती का त्योहार
होली रंगों और मौज मस्ती का त्योहार है. वसंत आने की खुशी लोग सड़कों पर उतर कर और एक दूसरे के साथ गुलाल खेल कर मनाते हैं.
सिंथेटिक रंगों की पैठ
पिछले सालों में मस्ती के त्योहार में रासायनिक और सिंथेटिक रंग की पैठ बढ़ती गई थी. इन रंगों के खराब असर पर जागरुकता बढ़ रही है.
रंगों पिचकारियों से भरा बाजार
रंगों के त्योहार होली से पहले बाजार कई तरह के रंगों और पिचकारियों से भरा है. लेकिन इस बार हर्बल या ऑर्गेनिक रंग का जोर है.
बढ़ती जागरुकता
प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ रही है, भले ही बाजार में उसकी कीमत दोगुनी है. लोगों की नई जागरुकता कारोबारियों की जेब भी भर रही है.
किस चीज से बना रंग
जागरुक ग्राहक इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि रंग ऑर्गेनिक तो हो ही, वह शुद्ध भी हो. अक्सर ग्राहक ये भी देखते हैं रंग किन चीजों से बना है.
नये रंग बाजार में
इस साल बाजार में कुछ नये रंग भी हैं. सिर्फ पारंपरिक रंग लाल, पीले, हरे, नीले और गुलाबी ही नहीं. रंगों का बाजार लगातार बढ़ रहा है.
रंगों में विस्तार
अलग अलग तरह के रंगों की मांग बढञने के कारण इस बार हल्दी वाला पीला, पानी जैसा नीला, समुद्री हरा और क्रीमी सफेद भी मिल रहा है.
खतरनाक परिस्थितियां
प्राकृतिक रंग भले ही खतरनाक न हों, उनके बनाने और ऱखने की जगह से ये दिखता है कि रंग किन हालात में बनाये जाते हैं और मजदूरों को कितना खतरा पहुंचा सकते हैं.
सावधानी की हिदायत
रंग खेलने में कितना भी मजा आता हो, थोड़ी सावधानी भी जरूरी है. डॉक्टर भी रासायनिक रंगों से बचने और आंखों का खास ख्याल रखने की हिदायत दे रहे हैं.
विदेशी पर्यटकों में लोकप्रिय
होली का त्योहार विदेशी पर्यटकों में भी लोकप्रिय हो गया है. पश्चिमी देशों से सैलानी खास तौर पर होली का मजा लेने के लिए होली के समय भारत की यात्रा पर जाते हैं.
अमेरिका में फगवा
अमेरिका भी होली का त्योहार फगवा के रूप में मनाया जाता है. भारतीय प्रवासियों के अलावा वहां कैरिबिक के भारतवंशी भी फगवा मनाते हैं.
जर्मनी में सालों भर होली
जर्मनी में होली के त्योहार का कॉर्पोरेट संस्करण शुरू हो गया है. एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी जर्मनी के विभिन्न शहरों में अलग अलग महीनों में होली का आयोजन करती है.