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होंठ पढ़कर ट्विटर चलाती यूलिया

२३ जून २०१२

फुटबॉल मैचों के दौरान कोच क्या चीखते-चिल्लाते हैं, यह हमें नहीं पता चलता. लेकिन एक जर्मन महिला कोच के होंठ पढ़कर तुंरत बता देती हैं कि क्या कहा गया. यूलिया प्रोब्स्ट नाम की यह महिला कान नहीं सुन पाती है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

यूरो 2012 में जर्मन खिलाड़ी थोमास म्यूलर ने जैसे ही गोल का एक मौका गंवाया, जर्मन कोच योआखिम लोएव चीखे. कैमरों के माइक ने यह आवाज नहीं पकड़ी. लेकिन यूलिया प्रोब्स्ट ने लोएव की बात समझ ली. होंठ पढ़ने की एक्सपर्ट यूलिया ने ट्विटर पर लिखा कि लोएव ने कहा, "क्या थोमास. क्या कर रहे हो, बॉल दूसरे को मत दो."

जर्मन मिडफील्डर लुकास पोडोल्स्की ने जैसे गलत शॉट मारा, लोगों ने ट्विटर पर यूलिया से पूछा, ''यूलिया लोएव ने क्या कहा.'' यूलिया ने जवाब दिया, "कम ऑन, लुकास...(बीप). ओह माय गॉड."

जर्मन स्ट्राइकर को बढ़िया पास देते हुए मिडफील्डर मेसुत ओएजिल कुछ चीखते हैं. यूलिया बताती हैं कि ओएजिल 'गोमेज, गोल करो' कहते हैं.

यह यूलिया का ही कमाल है कि कोच लोएव मानते हैं कि कभी कभार आवेश में उनके मुंह से गलत शब्द निकल जाते हैं. लोएव कहते हैं, "मैंने कुछ बहुत बेकार शब्द इस्तेमाल किये हैं. मैं यह स्वीकार करता हूं. भविष्य में मुझे और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है."

UEFA EURO 2012 Viertelfinale Deutschland Griechenland
क्या करें कोच लोएवतस्वीर: Reuters

30 साल की जूलिया जन्म से ही बधिर हैं. कान न सुनने में असमर्थ होने की वजह उनका बचपन काफी परेशानी भरा रहा. लेकिन धीरे धीरे उन्होंने होठों की बुदबुदाहट को पढ़ना सीख लिया. अब वह इसमें एक्सपर्ट है. अगर उनके सामने कोई जर्मन या अंग्रेजी में कुछ बोले तो यूलिया समझ जाती हैं.

जर्मन पत्रिका डेयर श्पीगल के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर उनके 24,000 फॉलोवर हैं. फुटबॉल मैचों के दौरान यूलिया के हाथ में उनका मोबाइल फोन होता है और उसी के जरिए वह ट्वीट करती रहती हैं. डेयर श्पीगल से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं तभी ट्वीट करती हूं जब मुझे पता रहता है कि मैं सही हूं. जैसे ही मैं कुछ देखती हूं मैं टाइप करना शुरू कर देती हूं."

इस खूबी की वजह से यूलिया जर्मनी में ट्विटर पर 10 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों में हैं. उनका एक ब्लॉग भी है, जो विकलांग के अधिकारों के लिए जागरुकता फैलाता है. यूलिया मानती है कि टीवी और सिनेमा उद्योग को विकलांगों का भी ध्यान रखना चाहिए.

ओएसजे/एमजी (एएफपी)

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