राजस्थान में हॉकी सिखाती 'बुआ सा'
१३ जुलाई २०१३एथेंस ओलंपिक मे शूटिंग का रजत पदक पाने वाले मशहूर निशानेबाज कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने आंद्रेया के काम को सराहा है और आगे बढ़कर उनकी मदद करने का बीड़ा उठाया है.
राज्यवर्धन जल्द ही सेना से निवृत्त हो रहे हैं और अब उन्होने भारतीय खेलों में एक एक्टिविस्ट की हैसियत से काम करने का मन बना लिया है. राजस्थान मे पैदा हुए और पलेबढ़े राज्यवर्धन अपनी इस मुहिम की शुरआत आंद्रेया की मदद से करना चाहते हैं.
जर्मनी के लिये सब जूनियर लेवल पर हॉकी खेल चुकी 38 साल की आंद्रेया 1999 मे एक ट्रेनिंग कैंप मे श्रीलंका गयी थी. और फिर वहां से भारत घूमने के इरादे से राजस्थान पहुंची जहां उन्हे बहुत अच्छा लगा.
न्यूरेम्बर्ग मे जन्मी आंद्रेया दोबारा राजस्थान आने का प्रण करके घर वापस गयी और जब उन्होंने बर्लिन मे अपनी एक ट्रैवल एजेंसी खोली तो सबसे पहला लक्ष्य राजस्थान था. "मैं जर्मन सैलनियों के ग्रुप लेकर आती थी और बस इस तरह मेरा राजस्थान और वहां के लोगो से रिश्ता जुड़ गया." यह राजस्थान के लिए प्यार था जिसकी वजह से आन्द्रेया ने ट्रैवल एजेंसी बंद करके जयपुर से करीब 140 किलोमीटर दूर दौसा के गढ़ हिम्मत सिंह गांव मे अपने बल बूते पर बच्चो को हॉकी सिखाने का काम शुरू कर दिया. आंद्रेया ने बताया, "शुरू मे तो बहुत विरोध हुआ क्योंकि वहां के लोग एक अकेली जर्मन महिला को शक की नजर से देखते थे लेकिन अब कुछ शांति है.''
अपने कुछ जर्मन दोस्तों की मदद से अन्द्रेया ने गांव के टूटे फूटे मैदान को ठीक करके उस पर लगाने के लिये लाखों रुपये का आस्ट्रो टर्फ भी मंगवा लिया. लेकिन गांव मे विरोध की वजह से वो नहीं लग सका.
बच्चो की किट, खाना और उन्हें हॉकी खिलाने ले जाना तक सब आंद्रेया अपने पैसे से करती हैं. इसी लिये बच्चे उन्हे प्यार से राजस्थानी अंदाज में `बुआ सा' बुलाने लगे. अब जब आन्द्रेया के दिल्ली में होने की खबर राज्यवर्धन सिंह को मिली तो वी एक सच्चे ओलंपियन की तरह आन्द्रेया को मिलने सीधे शिवाजी स्टेडियम पहुंचे. वहां आन्द्रेया अपनी टीम `हॉकी विलेज इंडिया' को लेकर एक छोटे से टूर्नामेंट मे खेलने आयी थी.
राज्यवर्धन ने डॉयचे वेले को बताया कि जैसे ही वे सेना से रिटायर होंगे वे अपना सारा समय खिलाड़ियों के लिए ही लगाएंगे. "मुझे देश और देशवासियों ने बहुत प्यार और सम्मान दिया. अब कुछ वापस लौटाने के समय गया है." राठौर ने कहा की वो जल्द ही गढ़ हिम्मत सिंह जायेंगे और एक राजस्थानी होने के नाते वहां के लोगों को आन्द्रेया के काम की अहमियत समझाएंगे. "मैं राज्य की सरकार के अधिकारियों से भी मिलूंगा और साथ ही कॉर्पोरेट जगत के कुछ लोगों से भी मिलकर बच्चों के लिए आर्थिक मदद की कोशिश करूंगा,'' राठौर ने भरोसा दिलाया.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादनः आभा मोंढे