हिंदू शादियों को अब पाक में मिलेगी मान्यता
१२ अप्रैल २०१७पाकिस्तान की सपना गोबिया इन दिनों अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं. अगले कुछ हफ्तों में उनकी शादी पारंपरिक तरीकों से होने जा रही है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन अग्नि के सामने फेरे भी लेंगे. सपना के साथ साथ उनका परिवार भी अब एक अलग तरह का सुकून महसूस कर रहा है. और इसका कारण है देश में लागू हुआ नया हिंदू मैरिज लॉ.
इस नये कानून के तहत सपना को अपनी शादी की मान्यता स्वरूप सरकारी प्रमाण भी मिलेगा. ऐसा प्रमाण पत्र अब तक नहीं मिलता था क्योंकि यहां हिंदू शादियों को मान्यता प्राप्त नहीं थी. साल 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद से ही यहां रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यकों की शादियों को कभी आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी गई. पाकिस्तान की कुल 19 करोड़ की आबादी में से तकरीबन 30 लाख लोग हिंदू हैं. यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव आम बात है.
धर्म परिवर्तन का डर
सपना पाकिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यकों में शुमार हैं, जिनकी आबादी यहां महज 30 लाख है. सपना को 19 मार्च को दस्तखत किये गये हिंदू मैरिज एक्ट 2017 के तहत अब अपनी शादी का औपचारिक रूप से प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
अंग्रेजी साहित्य से स्नातक करने वाली सपना बताती है कि यहां हिंदू धर्म की लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं हमेशा ही एक डर में जीती हैं. उन्हें डर रहता है कि कहीं उनका अपहरण न हो जाए या जबरन धर्म परिवर्तन करा कर उन्हें दोबारा शादी के लिये मजबूर न किया जाए. लेकिन अब सपना की तरह तमाम हिंदू महिलाओं को उम्मीद है कि यह नया कानून उन्हें मजबूरन धर्म परिवर्तन और एक से अधिक शादियों से बचाएगा.
सपना कहती हैं कि अब हमारी शादियां सरकारी दफ्तर में कानूनों के तहत पंजीकृत होगी, ऐसे में कोई भी हमारी या हमारे पतियों की वैवाहिक स्थिति पर सवाल नहीं उठा सकेगा. इस नये कानून में दो शादियों को गैरकानूनी करार दिया गया है, साथ ही इसे एक दंडनीय अपराध माना गया है जिसे सपना एक बड़ी राहत मानती हैं.
हिंदू समुदाय, पाकिस्तान काउंसिल ऑफ मेघवार के चैयरमेन अर्जुन दास के बताते हैं कि गैर-हिंदू संगठन हमारी शादीशुदा बेटियों और बहनों को अपहरण कर लेते हैं और उन्हें धर्म-परिवर्तन के लिये मजबूर करते हैं. वे कहते हैं कि कई मामलों में अपहरणकर्ता जबरन हमारी बेटियों और बहनों से शादी कर लेते हैं. दास पेशे से वकील हैं जो लंबे समय से पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के हकों के लिये लड़ रहे हैं.
अपहरण के मामले
तीन साल पहले 16 साल की अंजलि कुमार का अपने घर से अपहरण कर लिया गया है और एक दिन के भीतर ही उसे इस्लाम कबूल करवाया गया. अंजलि के पिता ने बताया कि उन्होंने अपहरणकर्ताओं के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और उनकी बेटी को मजबूरन धर्म परिवर्तन कर शादी करनी पड़ी. कराची की एक अदालत ने अंजली के मामले में फैसला सुनाते हुये कहा था कि अंजलि को शहर में स्थित शरण स्थली में रखा जायेगा, जहां उसके माता-पिता उससे मिल सकते हैं. लेकिन उसके बाद भी अंजलि के मां-बाप को उससे मिलने नहीं दिया गया और धीरे-धीरे अंजलि ही उनके खिलाफ हो गई. उसे लगने लगा कि उसके परिवार ने उसे बचाने के लिये कुछ नहीं किया.
कानूनी सुरक्षा
देश के कानून और न्याय मंत्री जाहिद हमीद के मुताबिक इस हिंदू मैरिज एक्ट का मुख्य उद्देश्य कानूनी रूप से हिंदू अल्पसंख्यकों के विवाह को मान्यता देकर इनके परिवारों की रक्षा करना है, खासकर महिलाओं और बच्चों की. यह कानून हिंदुओं को तलाक दाखिल कर दोबारा शादी करने का अधिकार भी देता है. उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत देश के कई हिस्सों में मैरिज रजिस्ट्रार नियुक्त किये जाएंगे. हमीद ने कहा कि ये सारी कोशिशें पाकिस्तान में एक से अधिक शादियों से जु़ड़े मुद्दों को सुलझाने के लिये भी की जा रहीं है.
पाकिस्तान हिंदू काउंसिल और पाकिस्तान काउंसिल ऑफ मेघवार ने भी इस कानूनी रूप को अमल में लाने के लिये काफी संघर्ष किया है. पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के रमेश कुमार का मानना है कि इस कानून को लागू करने के लिये मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है.
एए/आरपी (रॉयटर्स)