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हिंदू चरमपंथियों पर कार्रवाई करके दिखाए भारतः पाक

५ फ़रवरी २०११

विदेश सचिवों की बातचीत से पहले पाकिस्तान ने कहा है कि भारत में इतना साहस नहीं है कि वह हिंदू चरमपंथियों को समझौता एक्सप्रेस धमाके में दोषी साबित कर सके. रविवार को थिम्पू में दोनों देशों के विदेश सचिव मिलेंगे.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने कहा, "लगता है कि भारत में इतना साहस नहीं है कि वह हिंदू चरमपंथियों को दोषी साबित कर सके. कुछ भारतीय सेना अधिकारियों से भी इन चरमपंथियों के संबंध हैं." पाकिस्तान के इस रुख पर भारत की तरफ से पलटवार की उम्मीद है जिससे बातचीत पर असर पड़ सकता है.

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पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा कि 2007 के समझौता एक्सप्रेस धमाके के सिलसिले में ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी कथनी और करनी के अंतर को दूर करना होगा.

भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव और पाकिस्तानी विदेश सचिव सलमान बशीर रविवार को भूटान की राजधानी थिम्पू में मुलाकात करेंगे जिसमें 2008 के मुंबई हमलों के बाद बंद पड़ी दोतरफा बातचीत को बहाल करने के लिए फिर कोशिश होगी. इस बैठक में भारतीय पक्ष मुंबई हमलों के सिलसिले में चल रहे मुकदमे की ताजा जानकारी मांग सकता है. इससे पहले पिछले साल जुलाई में दोनों देशों के विदेश सचिव मिले लेकिन उनकी बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला.

पाकिस्तान की मांग है कि दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दी जाए. हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक नेता ने इस धमाके में शामिल होने की बात कबूली. स्वामी असीमानंद ने कई और धमाकों में भी संघ परिवार के लोगों को शामिल बताया.

बासित ने कहा कि आतंकवाद को बहाना बनाकर पाकिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाला भारत अब तक इस मामले में अपनी जांच भी पूरी नहीं कर पाया है. उन्होंने कहा, "चार साल बीत जाने के बाद भी भारत यह कह देता है कि उसकी जांच अभी पूरी नहीं हुई है. हम नहीं जानते कि समझौता एक्सप्रेस धमाके के दोषियों को कानून के कठघरे में लाने के लिए कितने साल और चाहिए." पाकिस्तान इस धमाके के पीड़ितों के लिए राहत की भी बात करता है जिनमें 42 पाकिस्तान नागरिक शामिल हैं.

उधर भारत मुंबई हमलों के मामले में सात संदिग्धों के खिलाफ पाकिस्तान में जारी मुकदमे की सुस्त रफ्तार की अकसर आलोचना करता है. कई वजहों से इस मुकदमे में देरी होती रही है. अब तक तीन बार जज को भी बदला जा चुका है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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