हावड़ा ब्रिज हुआ 75 का
कोलकाता का हावड़ा ब्रिज तकनीकी धरोहर के साथ ही कोलकाता शहर की पहचान भी है.
वर्ष 1937 से 1942 के बीच बने हावड़ा ब्रिज को आम लोगों के लिए तीन फरवरी 1943 को खोला गया था. 1965 में इसका नाम बदलकर रबीन्द्र सेतु कर दिया गया.
इस कैंटरलीवर पुल को बनाने में 26 हजार 500 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है. इसमें से 23 हजार पांच सौ टन स्टील की सप्लाई टाटा स्टील ने की थी.
पूरा ब्रिज महज नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो पायों पर टिका है. इसके दोनों खंभों के बीच की दूरी 1500 फीट है. अपने प्रकार का विश्व का छठा बड़ा पुल.
2150 फीट लंबा यह ब्रिज इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है. स्टील की प्लेटों को जोड़ने के लिए नट-बोल्ट के बदले धातु की कीलों यानी रिवेट्स का इस्तेमाल किया गया है.
हालांकि हुगली के ऊपर अब एक नया पुल बन गया है लेकिन आज भी हावड़ा ब्रिज से रोजाना लगभग सवा लाख वाहन और पांच लाख से ज्यादा पैदल यात्री गुजरते हैं.
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