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हथियारों पर ख़र्च में चीन अब दूसरे नंबर पर

८ जून २००९

दुनिया भर में हथियारों पर ख़र्च करने में अमेरिका तो अव्वल नंबर पर है ही लेकिन इस होड़ में चीन अब दूसरे नंबर पर आ गया है. स्वीडन से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चीन और रूस ने हथियारों की ख़रीद में भारी बढ़ोतरी की है.

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2007 के मुक़ाबले 4 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरीतस्वीर: AP

स्वीडन के अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (सिप्री) ने हथियारों पर अलग अलग देशों के ख़र्चे पर रिपोर्ट निकाली है. विश्वभर में अमेरिका हथियारों में सबसे ज़्यादा खर्च करता है लेकिन हथियारों पर ख़र्च के मामले में अब चीन जर्मनी, फ़्रांस, रूस और ब्रिटेन को पीछे छोड़ चुका है. चीन ने 2008 में 85 अरब डॉलर खर्च किए हैं जो दुनिया में हथियारों की ख़रीद पर हुए ख़र्च का 6 प्रतिशत है.

सोचने वाली बात यह है कि आर्थिक मंदी के ज़माने में अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ के युद्ध के लिए हथियार सप्लाई करने वाली कंपनियों ने भारी मुनाफा कमाया है. जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का हाहाकार मच रहा था तब अमेरिका ने हथियारों पर 607 अरब डॉलर ख़र्च किए. यानि हथियारों पर ख़र्च हुई रक़म का कुल 41 फ़ीसदी.

2008 में हथियारों के लिए पानी की तरह पैसा बहाने में चीन दूसरे नंबर रहा. चीन ने 85 अरब डॉलर के हथियार ख़रीद कर फ़्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया. शांति अनुसंधान में काम कर रहे सैम पेर्लो फ्रीडमेन का कहना है कि युद्ध के ख्याल ने कई देशों को उत्साहित किया है कि वह हर परेशानी को हथियारों के चश्मे से देखें. संस्थान का कहना है कि इस वक्त पूरी दुनिया में लगभग 8,400 परमाणु हथियार हैं जो आठ जगहों में तैनात हैं. चीन, भारत औऱ पाकिस्तान तीनों परमाणु शक्ति संपन्न देश अब भी हथियारों की होड़ में लगे हुए हैं.

सबसे ज़्यादा हथियार बेचने वाले देशों की सूची में जर्मनी तीसरे स्थान पर है. अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान के मुताबिक बीते साल हथियारों पर 1,464 ख़रब डॉलर खर्च किए गए. इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में संघर्ष के चलते अमेरिका ने ज़्यादा ख़र्च किया है.

2007 में हथियार सप्लाई करने वाली सारी कंपनियां यूरोप या अमेरिका की थी. अमेरिका की बोइंग ने 2007 में 30.5 अरब डॉलर का कारोबार किया. दुनिया भर के हथियार बनाने वाली 100 नामी कंपनियों ने 2007 में कुल 350 अरब डॉलर का कारोबार किया जिसमें बोइंग के बाद तीसरे नंबर पर ब्रिटेन का बीएई सिस्टेम्स और अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन है.

रिपोर्ट के मुताबिक 2008 का ,सैन्य खर्च दुनिया भर के सकल घरेलू उत्पाद का 2.4 प्रतिशत है. यानी अगर इसे सामान्य हिस्से में पूरी दुनिया में बांट दिया जाए..तो दुनिया के हर कोने में बसे हर इंसान को 217 डॉलर मिलेगे.

रिपोर्ट- रॉयटर्स/डीपीए/मानसी गोपालकृष्णन

संपादन-सचिन गौड़