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हजारों ग्रहों की जानकारी जुटाने वाला केपलर मर गया

३१ अक्टूबर २०१८

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के खोजी अंतरिक्षयान केपलर को उसकी दसवीं सालगिरह से करीब छह महीने पहले मृत घोषित कर दिया गया है. मंगलवार को अधिकारियों ने केपलर दूरबीन के मौत की घोषणा की.

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NASA Kepler Teleskop
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/NASA

केपलर अपनी अनुमानित आयु पहले ही पूरी कर चुका था. 9 साल और छह महीने पुराने केपलर में पिछले कुछ महीनों से ईंधन की कमी हो रही थी. सुदूर ग्रहों को देखने और बाहरी जगत को पहचानने की उसकी क्षमता अक्टूबर महीना शुरु होने के साथ ही बहुत तेजी से घटने लगी. हालांकि फ्लाइट कंट्रोलर उसकी आखिरी खोज को हासिल करने में सफल रहे. अब यह दूरबीन खामोश है और उसके ईंधन की टंकी पूरी तरह खाली हो चुकी है. दूरबीन बनाने वाली केपलर साइंस टीम का नेतृत्व कर चुके नासा के वैज्ञानिक विलियम बोरुकी ने कहा, "केपलर ने इंसान के लिए ब्रह्मांड की खोजबीन का रास्ता खोला." विलियम बोरुकी अब नासा से रिटायर हो चुके हैं.

केपलर ने हमारे सौरमंडल से बाहर के 2,681 ग्रहों का पता लगाया साथ ही उन खगोलीय पिंडों का भी जो ग्रह हो सकते हैं. इसने पृथ्वी के आकार और पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों के बारे में जानकारी जुटाई जहां जीवन भी संभव हो सकता है. यह अतुलनीय सुपर अर्थ को भी सामने लाया. ऐसे ग्रह जो पृथ्वी से बड़े लेकिन वरुण से छोटे थे. नासा के खगोल भौतिकी निदेशक पॉल हर्ट्ज का अनुमान है कि केपलर के खोजे ग्रहों में दो से लेकर दर्जन भर तक ऐसे ग्रह हैं जो चट्टानी हैं और पृथ्वी के बराबर आकार के हैं. केपलर ने जितने ग्रहों के बारे में खोजबीन की और आंकड़े जुटाए उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि रात को आसमान में दिखने वाले तारों में 20 से 50 फीसदी तक ऐसे हैं जो हमारी पृथ्वी की तरह के हैं और जहां जीवन संभव हो सकता है.

70 करोड़ अमेरिकी डॉलर के इस अभियान ने बीते साल हमारे जैसे एक और सौरमंडल को ढूंढने में भी मदद दी जिसमें आठ ग्रह हैं. हर्ट्ज का कहना है, "इसने ब्रह्मांड में हमारी जगह के बारे में हमारी समझ में क्रांतिकारी बदलाव किया. केपलर स्पेस टेलिस्कोप और उसके साइंस मिशन की वजह से हम जान सकते हैं कि हमारी आकाशगंगा में सितारों की तुलना में ग्रह ज्यादा आम हैं."

USA Astronomie Raumfahrt Kepler-452b NASA entdeckt erdähnlicher Planet
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/NASA/Ames/JPL-Caltech/T. Pyle/Handout

2013 में एक ऐसा मौका आया था जब केपलर लगभग नाकाम होने के कगार पर था लेकिन इंजीनियरों ने ना सिर्फ इसे बचा लिया बल्कि ब्रह्मांड की खोजबीन में इसे लगाए रखा. तारों और आकाशगंगाओं से भरे अंतरिक्ष में यह और ज्यादा गहराई तक घुसता गया ताकि तारों की चमक में परिक्रमा करते ग्रहों को ढूंढ सके. पिछले दो दशकों में करीब 4000 एक्सोप्लेनेट यानी हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रहों की पहचान की पुष्टि हुई है. सात मार्च 2009 को अंतरिक्ष में गए केपलर को इनमें से करीब दो तिहाई को ढूंढने और उनके बारे में जानकारी जुटाने का श्रेय दिया जाता है.

नासा के मुताबिक केपलर ने हजारों प्रकाश वर्ष दूर के तारों पर ध्यान लगाया और आंकड़ों के आधार पर बताया कि हमारी आकाशगंगा में हर तारे के इर्द गिर्द कम से कम एक ग्रह जरूर है. 

एनआर/एमजे (एपी)

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