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स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले की मिलेगी कड़ी सजा

चारु कार्तिकेय
२३ अप्रैल २०२०

स्वास्थ्यकर्मियों को हमलों से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर एपिडेमिक डिजीजेज एक्ट में संशोधन कर दिया है. अब से स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला एक संज्ञान योग्य अपराध होगा और इसमें बेल भी नहीं मिलेगी.

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तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan

भारत में स्वास्थ्यकर्मियों की एक पुरानी मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है. डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को हमलों से बचाने के लिए बुधवार 22 अप्रैल की देर रात केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर एपिडेमिक डिजीजेज एक्ट में संशोधन कर दिया. अध्यादेश के अनुसार अब से स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला एक संज्ञान योग्य अपराध होगा और इसमें बेल भी नहीं मिलेगी.

अगर हमला होता है और किसी स्वास्थ्यकर्मी को मामूली चोट आती है तो दोषी पाए जाने वाले को 50 हजार से दो लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है या उसे तीन महीने से पांच साल तक की जेल हो सकती है. अगर चोट गंभीर हुई तो जुर्माना न्यूनतम एक लाख से पांच लाख तक होगा और छह महीने से सात साल तक की जेल हो सकती है. इस अध्यादेश के दायरे में सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि सामुदायिक स्तर पर काम करने वालीं आशा कार्यकर्ता तक सभी स्वास्थ्यकर्मी आएंगे.

अध्यादेश का एक और महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी है कि पुलिस को हमले की जांच एक महीने में पूरी कर लेनी होगी. हमले की परिभाषा में स्वास्थ्यकर्मियों पर शारीरिक हमले के अलावा अस्पताल, क्लिनिक और अन्य मेडिकल संस्थानों और मोबाइल मेडिकल यूनिटों पर हमलों को भी शामिल किया गया है. अध्यादेश पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के कहा कि ये अध्यादेश कोविड-19 से लड़ने वाले हर स्वास्थ्यकर्मी की रक्षा करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

स्वास्थ्यकर्मियों की रक्षा के लिए एक विशेष कानून लाना पूरे देश में स्वास्थकर्मियों की पुरानी मांग रही है. डॉक्टरों पर हमले भारत में एक बड़ी समस्या है. लगभग एक साल पहले पूरे देश में इस तरह के हमलों के मामले काफी बढ़ गए थे जिसके बाद देश में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी और आंदोलन भी किया था. डॉक्टरों ने सरकार से उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम करने की मांग की थी. सरकार के आश्वासन के बाद ही उन्होंने अपना आंदोलन खत्म किया था.

महामारी के दौरान भी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थकर्मियों पर कई हमले हुए हैं. कुछ ही दिनों पहले इंदौर के टाट पट्टी भाखल इलाके से संक्रमण के दो मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्यकर्मी और नगरपालिका के कर्मचारी जब वहां रहने वालों की जांच करने गए तो स्थानीय लोगों ने जांच की अनुमति नहीं दी और जोर देने पर स्वास्थ्यकर्मियों पर ही हमला कर दिया. पुलिस ने किसी तरह से उन लोगों को वहां से बचा कर निकाल लिया. बाद में पुलिस की कार्रवाई में चार लोगों को हिरासत में लिया गया.

बुधवार 22 अप्रैल को ही मध्य प्रदेश के शिवपुर में एक गांव में हाल ही में लौटे एक व्यक्ति की मेडिकल जांच करने गए एक डॉक्टर और एक पुलिसकर्मी पर उस व्यक्ति के परिवार वालों ने पथराव कर दिया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इन हमलों से स्वास्थ्यकर्मियों को बचाने के लिए एक कानून की मांग की थी और जब तक ऐसा कानून नहीं आ जाता तब तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी. अध्यादेश पास होने के बाद संगठन ने प्रदर्शन रद्द कर दिया है.

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