स्पेस स्टेशन में कसरत कराने वाली मशीन
५ मई २०१७वैज्ञानिक इसी परेशानी का हल खोज रहे हैं. अंतरिक्ष मेडिसिन एक्सपर्ट प्रो. रुपेर्ट गेर्त्सर कहते हैं, "अंतरिक्ष यात्रियों को हर दिन दो घंटे कसरत करनी पड़ती है, ताकि मांसपेशियों और हड्डियों के विघटन को रोका जा सके. इसीलिए हमें नई ट्रेनिंग मैथड्स की जरूरत है और इसमें सेंट्रीफ्यूज महत्वपूर्ण है."
एक खास मशीन में ट्रेनिंग का काउंटडाउन. टेस्ट के लिये यहां आने वाले शख्स का सबसे पहले हार्ट और ब्लड सर्कुलेशन टेस्ट किया जाता है. लक्ष्य मांसपेशियों को मजबूत करने का है. साथ ही शरीर के पूरे आर्गेनिज्म को भी. इस दौरान किसी का भी सिर आराम से घूम सकता है. गोल झूले की तरह सेंट्रीफ्यूज जितनी तेजी से घूमेगा, शरीर पर गुरुत्व बल का प्रभाव उतना ही ज्यादा पड़ेगा.
इस दौरान सेंट्रीफ्यूज पर लेटा शख्स एक रेडियो कॉन्टेक्ट के जरिये तकनीशियनों और डॉक्टरों के संपर्क में रहता है. इमरजेंसी की स्थिति में वह टेस्ट रोकने को कह सकता है. इस दौरान उसे घूमती मशीनों पर ताकतवर जी फोर्स का सामना करना होगा, शायद कुछ ज्यादा ही देर तक. धीरे धीरे सेंट्रीफ्यूज चलना शुरू होता है. अब यह अधिकतम स्पीड की तरफ जा रहा है. करीब 45 चक्कर प्रति मिनट की स्पीड तक पहुंचने के बाद टेस्ट सीट पर लेटा इंसान रुक जाता है.
सेंट्रीफ्यूज की ताकतों ने सबसे ज्यादा असर उसके पैरों पर डाला है. यह ट्रेनिंग का अच्छा इफेक्ट है. प्रो. गेर्त्सर के मुताबिक, "सेंट्रीफ्यूज के जरिये अंतरिक्ष यात्री जल्द ट्रेन किये जा सकेंगे. ऐसा करने के दौरान शरीर के निचले हिस्से में ऊपरी हिस्से के मुकाबले ज्यादा भारीपन महसूस होता है. इसके साथ ही अंतरिक्ष यात्री साइकिल भी चला सकते हैं, इस तरह हम हर दिन की ट्रेनिंग शेड्यूल को आधे घंटे कम कर सकते हैं."
सब कुछ ठीक रहा. सेंट्रीफ्यूज की रफ्तार जब कम हुई तो ऐसा लगा जैसे किसी विशाल चरखे में बैठे हों. लंबे वक्त तक अंतरिक्ष स्टेशन में तैनात यात्री पारंपरिक तरीके से ट्रेनिंग करते थे. लेकिन अब वहां सेंट्रीफ्यूज मशीन पहुंच चुकी हैं.
(अंतरिक्ष से नजारा)