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स्पेन है फुटबॉल का सिरमौरः ब्राजील

१४ जुलाई २०१२

दुनिया भले ही फुटबॉल का मतलब ब्राजील समझती हो लेकिन खुद ब्राजील का मानना है कि इस वक्त स्पेन दुनिया की सबसे बड़ी फुटबॉल टीम है, खिलाड़ियों को उससे सीख लेनी चाहिए. स्पेन ने चार साल में एक विश्व कप और दो यूरो कप जीते हैं.

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तस्वीर: Reuters

ब्राजील के फुटबॉल कोच मानो मेनजेज का कहना है कि लंबी दूरी के लिए स्पेन से प्रेरणा लेनी चाहिए. हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि स्पेन की तरह उनका देश भी बिना किसी बड़े स्ट्राइकर के मैच खेलने उतरेगा. ब्राजील पांच बार विश्व विजेता बन चुका है. स्पेन के बारे में मेनजेज की राय है, "वे दूसरे तरह की फुटबॉल खेल रहे हैं. उन्होंने बरसों इस पर काम किया और अब उन्हें इसका नतीजा मिल रहा है. जब तक वे सफल हुए, उससे पहले उन्होंने इस पर काफी मेहनत की." अगला विश्व कप 2014 में ब्राजील में खेला जाना है.

मेनजेज का कहना है, "चैंपियन हमेशा से मानक की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं. स्पेन इस वक्त फुटबॉल की दुनिया को दिशा दे रहा है. वह वैसे ही नियम बना रहा है, जैसा कभी ब्राजील बनाया करता था. स्पेन को कोई भी देश हल्के में नहीं ले सकता है."

उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि जिस तरह स्पेन के खिलाड़ी पास देकर खेल रहे हैं, उससे फुटबॉल नीरस हुआ है, "अगर वे ऐसा खेल कर सब को हरा रहे हैं तो यह तो दूसरी टीम पर निर्भर करता है कि वे इससे निपटने के लिए क्या तरीका अपनाते हैं. पहले भी कई टीमों ने गेंद को ज्यादातर समय अपने पास रख कर फुटबॉल खेला है. लेकिन वे जिस तरह से इस फॉर्मूले को अपना रहे हैं, वह बिलकुल नया है."

UEFA EURO 2012 Spanien vs. Italien Sieg
तस्वीर: AP

ब्राजील ने हाल के दिनों में फुटबॉल खेलने की अपनी तकनीक बदली है. अब वह आक्रामक खेल की जगह तकनीक का सहारा ले रहा है. पिछले वर्ल्ड कप में डुंगा के नेतृत्व में यह खेल देखने को मिला था.

लेकिन सेमीफाइनल में ब्राजील को नीदरलैंड्स के हाथों हार झेलनी पड़ी, जिसके बाद डुंगा की आलोचना हुई और ब्राजील पर खेल का तरीका बदलने का दबाव बना. मेनजेज का कहना है, "हमें स्पेन की नकल नहीं करनी है. हमें देखना है कि हम उनके खिलाफ कैसे खेलते हैं."

फुटबॉल की दुनिया 10 नंबर के खिलाड़ी को सबसे बड़ा मानती है. पेले, माराडोना, मेसी या जिनेदिन जिदान 10 नंबर की जर्सी पहना करते थे. लेकिन ब्राजील का सबसे बड़ा स्ट्राइकर नंबर 9 की जर्सी वाले माने जाते हैं. कभी सर्जिनीयो चुलापा यह जर्सी पहना करते थे और 1998 से 2006 तक यह रोनाल्डो के नाम रहा. मेनजेज का कहना है कि यह रिवाज बना रहेगा, "हमारा फुटबॉल हमेशा फॉरवर्ड खिलाड़ियों के लिए जाना जाता है. हमारे प्रशंसक भी टीम को इसी तरह से देखना चाहते हैं. मुझे नहीं लगता कि चूंकि स्पेन कामयाब हो गया है, इसलिए हम इसे छोड़ दें. हमें ऐसा रास्ता तलाशना है कि हम फॉरवर्ड खिलाड़ियों के साथ मैच जीत सकें."

मेनजेज अपनी प्लानिंग को लेकर बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं लेकिन दो साल के भीतर उन्हें अपने ही देश में वर्ल्ड कप खेलना है और समय तेजी से बीतता जा रहा है. उन्हें पता है कि ब्राजील के लोगों को अपने घर में विश्व कप से कम किसी भी बात पर संतोष नहीं होगा. लेकिन पिछले साल कोपा अमेरिका में जिस तरह टीम क्वार्टर फाइनल में बाहर निकल गई है, रास्ते बहुत मुश्किल दिख रहे हैं.

एजेए/एनआर (रॉयटर्स)

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