सौर ऊर्जा से पकवान
भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग निजी से औद्योगिक स्तर पर आराम से किया जा सकता है. साल में अधिकतर समय धूप खिली रहती है. इसका फायदा उठाने वाले अब कई राज्य हैं.
आश्रम में सुबह
मुनि सेवा आश्रम में बीमार, बूढ़े और अपाहिज बच्चों की देख रेख की जाती है. आश्रम में वैकल्पिक तरीके से खेती होती है और इसकी अपनी बेकरी भी है. यह आश्रम लगातार सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ा रहा है. देखें यहां http://www.greenashram.org/
सूरज की मदद
स्वामी विवेकानंद हाईस्कूल में बच्चों का खाना सौर ऊर्जा की मदद से बनाया जाता है.
हर दिन काम
विवेकानंद हाइस्कूल में सौर ऊर्जा की मदद से पूरा खाना बनता है चाहे, रोटी हो या दाल चावल. बच्चे भी हर दिन कुकिंग, सफाई और बेकिंग में मदद करते हैं.
देख रेख
स्कूल के होस्टल में रहने वाले बच्चे वहां के फोटोवोल्टाइक सिस्टम की देख रेख और साफ सफाई करते हैं. हफ्ते में दो बार होने वाली इस सफाई से छात्रों को वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में जानकारी भी मिलती है.
कंपनी
गाढिया सोलर नाम की कंपनी वालसाड नाम के शहर में है. कंपनी का दावा है कि वह दुनिया के सबसे बड़े सोलर किचन बनाती है और अपने ग्राहकों को 'कंप्लीट सोलर एनर्जी सॉल्यूशन' दे सकती है.
हाथ से
गाढिया सोलर के कर्मचारी हर ग्लास को पेंट करते रहे हैं. इन प्लेट्स को साथ में मिलाया जाता है और फिर सोलर डिश बनाई जाती है.
सोलर पार्क
इन सौर तश्तरियों को शेफलर पैराबोलिक मिरर कहा जाता है. मुनी सेवा आश्रम में लगे सौर प्लांट पर दो लाख बारह हजार रुपये का खर्च आया. इससे पास के कैलाश अस्पताल को बिजली मिलती है. सिर्फ 100 आइने उतनी ऊर्जा दे सकते हैं जितनी हजार किलोग्राम लकड़ी देती है.
कौतूहल
सोलर कूकर घरों में इस्तेमाल किया जा सकने वाला उपकरण है. यह कैसे काम करता है इसे देखने पूरा गांव इकट्ठा हुआ है.