1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सोशल नेटवर्क और सामने आकर बोलता भूटान

१७ अक्टूबर २०११

पूर्वी भूटान के एक सुदूर इलाके के सांसद दुपथॉब ताशियांग्त्शे से कोई मोबाइल चार्ज कराने में मदद मांगता है तो कोई अनाज घर पहुंचाने में. भूटान के लोग सामने आकर बोल रहे हैं और जो यहां न बोल पाएं उसके लिए फेसबुक है.

https://p.dw.com/p/12sv9
तस्वीर: AP

सिगरेट पर रोक का सख्त कानून, बार में टकराते प्यालों के साथ बहस मुबाहिसे और फेसबुक का एक पेज, दुनिया की हलचल से दूर रह कर सबके साथ फिर भी अलग रहने वाले भूटान का लोकतंत्र अभी शैशव काल में है पर बदलाव के संकेत दिख रहे हैं.

कई दशकों से भूटान दुनिया का सबसे ज्यादा एकांत में रहने वाला राजतंत्र रहा है. परंपरावादी सोच के साथ गांवों में रहते लोग राजा के शासन को ही सबसे ऊपर मानते हैं. 2008 में यहां के राजा ने खुद ही देश में लोकतंत्र की पहल की. उसके बाद राजा को कई अधिकार छोड़ने पड़े. पर देश में अभी भी न्याय की सर्वोच्च शक्ति राजा के हाथ में ही है.

क्या हुआ कैसे हुआ

कुछ महीनों पहले की बात है. तब सरकार के मीडिया सलाहकार रहे किन्ले शेरिंग राजधानी थिम्पू में दोस्तों के साथ ड्रिंक के दौरान उस बौद्ध संन्यासी की चर्चा कर रहे थे जिसे करीब 150 रुपये का तंबाकू रखने के जुर्म में तीन साल के लिए कैद की सजा दे दी गई. तंबाकू पर रोक लगाने वाले नए कानून के लागू होने के बाद पहली बार किसी आरोपी को इसमें सजा मिली. अब तक 50 से ज्यादा लोगों को इस कानून के तहत सजा दी जा चुकी है. नया कानून पुलिस को खोजी कुत्तों की मदद से घरों की तलाशी लेकर गैरकानूनी तरीके से देश में लाया गया तंबाकू ढूंढने का अधिकार देता है. किसी के पास 200 सिगरेट का पैक भी मिल जाए तो उसे जेल भेजा जा सकता है.

Jigme Khesar Namgyal Wangchuck und Queen Jetsun Pema Heirat
तस्वीर: dapd

प्रशासन की कार्रवाई से नाराज शेरिंग ने एक फेसबुक पेज बनाने का पैसला किया और इसके जरिए सात लाख की आबादी वाले इस देश में ऑनलाइन विरोध अभियान शुरु किया. महीना बीतते बीतते इस पेज के हजारों फॉलोअर बन गए. शहर में इसकी चर्चा होने लगी. इस बात का साफ संकेत मिला कि देश के युवा सोशल मीडिया और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति सचेत हो रहे हैं. विपक्षी नेता शेरिंग तोबगे कहते हैं, "फेसबुक महत्वपूर्ण है. इसने सरकार की आलोचना का दरवाजा खोल दिया है. लोग अपनी बात कहना चाहते हैं. केवल दो साल पहले तक आलोचना चाहे रचनात्मक हो या कुछ और एक बिल्कुल अनजानी सी बात थी."

केवल सोशल मीडिया ही नहीं, यहां के अखबार भी अब सरकार की जांच के मामलों में आक्रामक हो रहे हैं. यहां का पहला निजी अखबार 2006 में शुरू हुआ. भूटान में राजा के लिए लोगों के लिए पूजनीय हैं और कोई भी यहां विद्रोह जैसी किसी चीज की उम्मीद नहीं कर रहा. वैश्वीकरण की राह पर फूंक फूंक कर कदम रखना और सकल राष्ट्रीय खुशहाली की नीति को व्यापक जनसमर्थन है. सकल राष्ट्रीय खुशहाली यानी जीएनपी भूटान की अपनी नीति है जिसमें लोगों की खुशहाली और पर्यावरण को जीडीपी के बराबर ही महत्व दिया जाता है.

पीढ़ियों की सोच का अंतर

भूटान की पहली लोकतांत्रिक सरकार के लिए अपनी युवा और आधुनिक जनता की बातों पर अमल करना जरूरी होता जा रहा है. दशकों से आलोचनाएं और तकलीफें परिवार और करीबी मित्रों से ही बांटी जाती थीं. थिंपू के भूटान अध्ययन केंद्र में रिसर्च करने वाली ताशी कोडेन बताती हैं, "जीएनएच के बारे में खूब बातें हो रही हैं. ऐसा लग रहा है कि बहुत कुछ हो रहा है. धरातल पर कुछ और सच्चाइयां भी हैं. युवा अलग पड़ रहे हैं. अगर हमने ध्यान नहीं दिया तो जो हमारे पास है, उसे हम खो देंगे."

Jigme Khesar Namgyal Wangchuck und Queen Jetsun Pema Heirat
तस्वीर: dapd

मुख्य रूप से बौद्ध भूटानी लोग हिमालय की गोद में बसे दूसरे देशों की स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं. नेपाल का राजतंत्र मिट चुका है, सिक्किम भारत में मिल गया और तिब्बत चीन के शासन में घुट रहा है. नए राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक की एक युवा छात्रा से शादी लोकप्रिय राजा की भूमिका को मजबूत कर सकती है जो अभी भी लोकतंत्र में होने वाली गड़बड़ियों को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी अपने सिर पर उठाए हैं.

भूटान की सरकार के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं. एक तरफ बुजुर्ग रूढ़िवादी संपन्न वर्ग है तो दूसरी तरफ देश के युवा. इनकी सोच में पीढ़ियों का अंतर है. सरकार को इनकी सोच के अंतर के साथ ही बेरोजगारी, शहरी गैंग और नशाखोरी की समस्या से जूझना है. देश में आर्थिक असमानताएं भी एक बड़ी चुनौती हैं. भूटान दुनिया के गरीब राष्ट्रों में नहीं गिना जाता, बावजूद इसके देश की आबादी का पांचवां हिस्सा अपना गुजारा प्रतिदिन 35 रुपये से भी कम में चलाता है. 1999 से देश में दाखिल हुआ टेलीविजन बेहतर जिंदगी की तस्वीर तो दिखा रहा है और सड़कों को रौंदती लैंडक्रूजर भी नजर आ जाती है, पर गरीब तो गरीब ही हैं. अमीरों और गरीबों के बीच की खाई नेताओं की नींद उड़ा रही है.

ऊपर से शांत, अंदर उथल पुथल

2009 में सात युवा नदी में डूब कर मर गए और सरकारी अधिकारियों का रवैया बहुत ढीला ढाला रहा. तब यहां की सड़कों पर पहली बार विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें 200 लोग शामिल हुए. इसी तरह पूर्वी भूटान को देश के मुख्य हिस्से जोड़ने वाले हाइवे के नेशनल पार्क से गुजरने के मामले पर यहां के टीवी पर बहस शुरू हुई और प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया. बहस अब केवल शहरों के पढ़े लिखे संभ्रांत लोगों के बीच ही नहीं हो रही. गांवों से पढ़ने के लिए शहर आने वाले छात्र फेसबुक से जुड़ रहे है. गांवों में कंप्यूटर सेंटर शुरू कर सरकार ने गांव में रहने वालों के लिए भी सोशल नेटवर्क से जुड़ने का रास्ता बना दिया है.

Jigme Khesar Namgyal Wangchuck und Queen Jetsun Pema Heirat
तस्वीर: dapd

सांसद दुपथॉब ताशियांग्त्शे बताते हैं कि चुने जाने के बाद गांव वाले उनसे तरह तरह की फरमाइशें करते हैं. कोई उन्हें अपना मोबाइल चार्ज कराने में मदद मांगता है तो कोई अनाज घर पहुंचाने के लिए कहता है. ताशियांग्त्शे बताते हैं, "जब हम चुनाव प्रचार कर रहे थे तो उनसे कहा कि हम आपकी मदद करने के लिए हैं, इन लोगों ने उसे बिल्कुल उसी रूप में मान लिया है और अब सामने आ कर हमसे फरमाइश कर रहे हैं." इसके अलावा हर कोई फेसबुक की बात करता है.

लोगों की प्रतिक्रिया से खुद शेरिंग भी हैरान हैं. उन्हें तो डर भी लग रहा है. वह कहते हैं, "हमें नहीं पता कि सरकार क्या करेगी." यहां तक कि खुद प्रधानमंत्री भी फेसबुक से जुड़ गए हैं और यह एक साफ संकेत है कि इस धारा को पलटा नहीं जा सकता. ऐसा भी नहीं है कि यह सब बिना किसी तनाव या डर के हो रहा है. विरोध प्रदर्शन के आयोजक कह रहे हैं कि सादे कपड़ों में तैनात पुलिस उनकी तस्वीरें उतारती है. आम तौर पर शांत दिखने वाले प्रधानमंत्री ने भी एक अखबार पर विदेशी हाथों में खेलने के आरोप लगाया. यह मामला सरकारी लॉटरी में घोटाले से जुड़ा था.

हालांकि इन सब के बावजूद अभी आगे का सफर काफी लंबा है. लोग अभी भी सामने आकर बोलने से बचते हैं और ऐसे में बदलाव अभी दूर की कौड़ी लगता है. शेरिंग से पूछिए कि क्या किसी और विरोध प्रदर्शन की योजना है तो वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, "अभी के लिए इतना काफी है."

रिपोर्टः रॉयटर्स/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी