सेनेगल के खतरनाक मदरसे
सेनेगल के कुछ स्कूलों में आज भी बच्चों का शोषण किया जाता है. उनके टीचर उन्हें जबरदस्ती सड़कों पर भीख मांगने भेजते हैं. अगर वे ज्यादा पैसा जमा नहीं कर पाते हैं तो उनकी पिटाई भी होती है.
मदरसा यानि डारा
आठ साल का ओमर वोने डारा की जमीन पर बैठा है. सेनेगल में मदरसे को डारा कहते हैं. काफी समय से सेनेगल के परिवार अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजते रहे हैं. वहां उन्हें सिर्फ कुरान की ही शिक्षा नहीं दी जाती, उन्हें शराफत सीखने के नाम पर सड़कों पर भीख भी मंगवाई जाती है.
माराबू पर निर्भर
सेंट लुई शहर में मदरसे का एक छात्र भीख मांग रहा है. कुछ मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मदरसों के बहुत से छात्र जिन्हें तालिब कहा जाता है, बहुत ही बुरी परिस्थितियों में रहने को बाध्य हैं. अगर वे भीख में पर्याप्त रकम नहीं लाते तो टीचर उनकी पिटाई करते हैं. उनमें से बहुत से भाग भी जाते हैं.
पैसा या पिटाई
दस साल का सुलैमान बताता है, "जब तक कि मैं पूरी तरह कुरान सीख नहीं लेता अपने माता पिता से नहीं मिल सकता. मुझे माराबू को 200 फ्रांक लाकर देना होता है, नहीं तो मेरी पिटाई होती है." मदरसों से भागने वाले बच्चों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. वे अक्सर सड़कों पर रहने को बाध्य होते हैं.
विकल्प क्या
पूटा इलाके का तालिब मूसा मदरसे के छात्रों के लिए चलने वाले एक राहत प्रोजेक्ट में काम करना चाहता है. "मेरे माता पिता को पता है कि मैं माराबू के लिए पैसा देने के लिए भीख मांगता हूं, लेकिन वे इसके खिलाफ कुछ नहीं करते. मुझे भीख मांगना पसंद नहीं लेकिन कोई चारा नहीं है."
स्थिति पर बहस
सेनेगल में मदरसा छात्रों के साथ दुर्व्यवहार के मामले पर काफी समय से कोई बात नहीं होती थी. लेकिन अब धीरे धीरे मदरसों की स्थिति पर बहस शुरू हो रही है. राष्ट्रपति मैकी साल ने बच्चों को सड़कों से वापस लाने और उनसे भीख मंगवाने वाले शिक्षकों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है.
सड़कों पर असुरक्षा
राहत संगठन मेसन डदे ला गार के संस्थापक ईसा कूयाते एक बच्चे की कहनी सुनाते हुए रोने लगते हैं. आठ साल के एक बच्चे ने उन्हें अपनी कहानी सुनाई है. वह मदरसे से भाग गया और सड़क पर रात में उसका बलात्कार किया गया. कूयाते ने संयोग से उस बच्चे को बचाया.
रोग का इलाज
पहले मदरसे में पढ़ चुके अल हज दियालू मेसन दे ला गार संगठन में डॉक्टर का काम करते हैं. वे मदरसे के बच्चों का इलाज करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत से माता पिता को पता नहीं होता कि कुछ मदरसों में उनके बच्चों के साथ कैसा बर्ताव होता है. वे बच्चों को मदरसे इसलिए भेजते हैं कि वे पढ़ लिखकर इमाम बन सकें.
कचरे से खाना
13 वर्षीय न्गोरसेक सेंट लुई शहर में कचरे के डब्बे में खाना खोज रहा है. "मैं स्कूल छोड़कर भाग गया हूं क्योंकि अब बर्दाश्त नहीं होगा. माराबू मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते. मैं तंग आ गया हूं." मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार सेनेगल में अभी भी 100,000 बच्चों से भीख मंगवाई जाती है.
आजादी की सांस
आठ साल का डेम्बा कहता है, "मैं कराटे सीख रहा हूं ताकि अपनी सुरक्षा कर सकूं." एक टीचर ने उससे रात भर सड़कों पर भीख मंगवाई. सुबह में एक नशेड़ी ने उसका सारा पैसा लूट लिया. मैसन दे ला गार में मदरसे के बच्चों को खाना पीना दिया जाता है और बीमार होने पर इलाज किया जाता है. यहां खेलने कूदने की भी सुविधा है.