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सेक्स वर्कर्स की याद में लगी प्रतिमा को फिलीपींस ने हटाया

३० अप्रैल २०१८

"कंफर्ट विमन" का मसला जापान के बाद अब फिलीपींस में भी विवाद पैदा कर रहा है. फिलीपींस की राजधानी मनीला से सेक्स वर्कर्स के सम्मान में लगी प्रतिमा को हटा दिया गया. मानवाधिकार समूह इसके पीछे जापान का दबाव बता रहे हैं.

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Philippinen Statue der "Trostfrauen" in Manila
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Marquez

सेक्स वर्कर्स के सम्मान में लगी इस प्रतिमा के हटाए जाने का फिलीपींस में जोरदार विरोध हो रहा है. इस प्रतिमा का दिसंबर 2017 में उद्घाटन किया गया था. प्रशासन का तर्क है कि जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए यह कदम उठाया गया है. एक बार ये व्यवस्था दुरस्त कर ली जाए, उसके बाद यह प्रतिमा दोबारा लगा दी जाएगी. लेकिन इसे कब वापस लगाया जा सकता है, इस पर प्रशासन खामोश है. प्रशासन के इसी रुख के चलते मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में गु्स्सा है. कार्यकर्ताओं को संदेह है कि कहीं जापान सरकार ने तो फिलीपींस पर इस प्रतिमा को हटाने का दबाव नहीं डाला.

दरअसल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के सैनिकों की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सेक्स वर्कर्स को रखा जाता था. इस पेशे में फंसी ये महिलाएं "कंफर्ट विमन" कहलाती थीं. उन्हीं सेक्स वर्कर्स के सम्मान में मनीला में एक प्रतिमा लगाई गई थी. जापान की समाचार एजेंसी के मुताबिक, मनीला स्थित जापानी दूतावास ने पुष्टि की है कि प्रतिमा हटाने की अपनी योजना को लेकर फिलीपींस सरकार ने दूतावास को सूचित किया था. 

"कंफर्ट विमन" का मसला जापान और फिलीपींस के संबंधों में अब तक काफी अस्पष्ट रहा है. लेकिन जापान, फिलीपींस को काफी सहायता और आर्थिक मदद दे रहा है. और, इसी के चलते फिलीपींस सरकार के इस कदम पर मानवाधिकार कार्यकर्ता संदेह जता रहे हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान का फिलीपींस पर कब्जा था. मनीला की डी ला साले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर माइकल चार्ल्सटन शिआओ चुआ, ने प्रतिमा को राष्ट्रीय गरिमा का प्रतीक कहते हुए जनता से आग्रह किया है कि वे प्रतिमा वापस स्थापित करने की लड़ाई में हिस्सा लें. 

क्या नर्म पड़ रहा फिलीपींस?

यह प्रतिमा उन सेक्स वर्कर्स की याद में लगाई गई थी जिन्हें साल 1942-1945 के बीच जबरन कंफर्ट विमन बनाकर रखा गया. इसे चीनी-फिलिपीनो समूह के साथ-साथ निजी व्यक्तियों के दान से तैयार किया गया था. इतिहासकारों के मुताबिक, एशियाई मुल्कों की करीब दो लाख महिलाएं उस वक्त जापान के सैनिकों के लिए सेक्स वर्कर्स का काम कर रहीं थीं. इनमें में अधिकतर कोरियाई थीं.

हालांकि जापान का राष्ट्रवादी खेमा इन कंफर्ट विमन को "सेक्स स्लेव या यौन गुलाम" नहीं मानता. उनके मुताबिक इन महिलाओं ने अपनी मर्जी से यह काम चुना था. इस खेमे का कहना है कि जापान को बेवजह बदनाम किया जाता है, क्योंकि युद्ध के दौरान यह अकसर होता है. हालांकि साल 1995 में एक निजी फंड से जापान ने फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और ताइवान की ऐसी करीब 280 महिलाओं को 20 लाख येन (18 हजार अमेरिकी डॉलर) की राशि दी थी. लेकिन कई पीड़िता चाहती हैं कि जापान सरकार उनसे पूरी माफी मांगे और आधिकारिक सरकारी मुआवजा प्रदान करे.

इस मुद्दे पर फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे ने कहा कि उन्हें इस बारे में कम जानकारी है लेकिन वे देश की जनता से आग्रह करेंगे की वह जापान का अपमान न करें. उन्होंने कहा कि फिलीपींस की नीति अन्य देशों के विरोध की नहीं हैं.

एए/आईबी (एएफपी, एपी)