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सूडान में जर्मन दूतावास पर हमला

१४ सितम्बर २०१२

विवादित इस्लाम विरोधी फिल्म के खिलाफ शुक्रवार को कई मुस्लिम देशों में पश्चिमी देशों के दूतावासों के सामने प्रदर्शन हुए. सूडान में जर्मन दूतावास की इमारत पर हमला किया गया, लेकिन कर्मचारी सुरक्षित हैं.

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तस्वीर: Reuters

सूडान की राजधानी खारतूम में 5000 क्रुद्ध प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटेन और जर्मनी के दूतावासों पर हमला किया. एएफपी के अनुसार आगजनी में दूतावासों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितरबितर करने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़े, लेकिन कुछ लोग दूतावास की इमारत पर चढ़ गए और झंडे को फाड़ कर काला झंडा लहरा दिया. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है कि खारतूम में दूतावास कर्मी सुरक्षित हैं.

मिस्र, लीबिया और दूसरे मुस्लिम देशों में भी पिछले दिनों की तरह हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प होने की भी खबर है. इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स नाम की विवादित फिल्म के कारण अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में इस्लामी देशों में और हिंसा होने की आशंका थी. जर्मनी ने सुरक्षा बंदोबस्त किए थे और कुछ देशों में अपने दूतावासों को बंद कर दिया था. विदेशों में स्थित जर्मन संस्थानों से अतिरिक्त सुरक्षा बरतने को कहा है.

Guido Westerwelle zu den Anschlägen im Sudan
वेस्टरवेलेतस्वीर: dapd

इस फिल्म के कारण अरब और मुस्लिम देशों में कई दिनों से अमेरिका विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंसक प्रदर्शनों की शुरुआत मंगलवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में हुई. उसी दिन लीबिया के बेनगाजी में हुए प्रदर्शन के दौरान हुए हमले में अमेरिकी राजदूत क्रिस स्टीवेंस और तीन दूसरे दूतावास कर्मी मारे गए थे. यमन में गुरुवार को अमेरिकी दूतावास के सामने हुए प्रदर्शनों में चार लोग मारे गए.

राष्ट्रपति बराक ओबामा के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वाशिंगटन को विरोध प्रदर्शनों के जारी रहने की आशंका है. प्रवक्ता ने कहा है कि शुक्रवार "परंपरागत रूप से इस्लामी देशों में विरोध का दिन है. हम हर उस विकास पर नजर रखे हुए जिनकी वजह से और हिंसा हो सकती है."

Sudan Khartum Angriff auf deutsche Botschaft
खारतूम में प्रदर्शनतस्वीर: AFP/Getty Images

मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी ने हिंसा की निंदा की है लेकिन अमेरिका से फिल्म के खिलाफ गंभीर कदम उठाने की मांग की है. लेकिन उनके ताकतवर संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड ने देश भर में जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन किया. गुरुवार को हुए प्रदर्शनों में 200 लोग घायल हो गए थे. जॉर्डन में भी सलाफी मौलवियों ने नमाज के बाद अमेरिकी दूतावास पर प्रदर्शन करने की अपील की है. दूसरे मुस्लिम देशों में भी प्रदर्शनों की आशंका है.

उधर अमेरिका में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इस्लाम विरोधी फिल्म की निंदा करते हुए उसे बेकार और निंदनीय बताया है. उन्होंने कहा, "मैं साफ साफ कहना चाहती हूं कि अमेरिका की सरकार का इस वीडियो से कोई लेना देना नहीं है." संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी फिल्म की निंदा की है. उन्होंने कहा कि वीडिया बनाने वाले खूनखराबा भड़काना चाहते थे.

कश्मीर में प्रदर्शन
तस्वीर: AFP/Getty Images

इस बीच इस्लाम विरोधी फिल्म के निर्माता को अमेरिका में पुलिस सुरक्षा दी जा रहा है. लॉस एंजिलिस के शेरिफ के प्रवक्ता ने कहा, "हमसे अनुरोध किया गया और उसका जवाब में ऐसा कर रहे हैं. हम सार्वजनिक सुरक्षा की गारंटी देते हैं." प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि किसने अनुरोध किया है और किस तरह की सुरक्षा दी जा रही है. 55 वर्षीय नकूला बासेली नकूला का कहना है कि वह फिल्म का निर्माता है, लेकिन लेखक सैम बेसिल है. उसने एक टेलिफोन नंबर दिया जिसपर सैम बेसिल ने अमेरिकी मीडिया से बात की है.

इस बीच मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जर्मनी ने कुछ मुस्लिम देशों में शुक्रवार को अपने दूतावासों को बंद रखा है. इसके अलावा सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए गए हैं. प्रभावित देशों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी है. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने हिंसा की निंदा की है और संबंधित देशों से दूतावासों को सुरक्षा देने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि वे फिल्म पर लोगों के गुस्से को समझ सकते हैं लेकिन वह हिंसा को सही ठहराने का कारण नहीं हो सकता.

अमेरिकी दूतावासों के सामने हुए प्रदर्शनों के बाद भारत में भी अमेरिका विरोधी हिंसक प्रदर्शनों की आशंका है. सरकार ने सर्च इंजिन गूगल से यूट्यूब की 11 साइटों को बंद करने को कहा है जिनपर विवादास्पद फिल्म के हिस्से हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान भी इन साइटों को बंद कर रहे हैं.

एमजे/एनआर (एएफपी, डीपीए)

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